कविता : माँ की ममता व पिता का अनुशासन

कर्नल आदि शंकर मिश्र
कर्नल आदि शंकर मिश्र

पहले पत्नी-पति और संतान आने
पर पत्नी माँ, पति पिता बन जाते हैं,
पत्नी गृह लक्ष्मी बन जाती, पति घर
में रहने वाले पतिदेव बन जाते हैं।

यह भेद हुआ कैसा, पति-पत्नी,
जब पापा-मम्मी बन जाते हैं,
माँ की ममता के समक्ष पापा के
शासन से बच्चे कैसे डर जाते हैं।

ममता का आँचल जितना प्रिय है
अनुशासन में होता उतना विकास
सोच समझ की सम्वेदनशीलता
यही करती प्रेम का शिलान्यास ।

कविता : समस्यायें व समाधान

पत्नी “माँ के हाथ का खाना”, पति
घर चलाने वाला पिता रह जाता है,
बच्चों को चोट लगी माँ गले लगा
लेती, पिता डाँटने वाला हो जाता है।

माँ ममतामयी हो जाती, अनुशासन
सिखाने वाला पिता हो जाता है,
बच्चों की गलती पर माँ दुलारती ‘पापा
नहीं समझते’ बस पिता रह जाते हैं।

“पापा नाराज होंगे” कह कर बच्चे
माँ के दोस्त बन जाते हैं, पापा से नही
बताना कोई भी “पापा गुस्सा करेंगे”
वाले निष्ठुर से बस पिता रह जाते हैं।

कविता : अजीब बातें : मनन, चिंतन

माँ के आंसुओं में प्यार, पिता के छिपे
स्नेह में कठोर पिता नज़र आता है,
माँ हृदय से शीतल और पिता न जाने
कैसे कब क्रोधी पिता बन जाता है ।

पति-पत्नी या पिता-माता दोनो ही
एक गाड़ी के दो पहिए जैसे होते हैं,
गृहस्थी के फ़ैसले, चलना, चलाना
दोनो की संतुलित समझ से होते हैं ।

पर माँ की पदवी धरती माँ, भारत माँ
और पवित्र प्रकृति जैसी हो जाती है
आदित्य पिता जीवन के उत्तरदायित्व
निभाने वाला मात्र पिता रह जाता है।

 

Litreture

नार्वे के भारतीय लेखक के दो लघु कथाओं की समीक्षा

समीक्षक: डॉ ऋषि कुमार मणि त्रिपाठी प्रेम प्रस्ताव(लघुकथा) कथाकार-सुरेश चंद्र शुक्ल’ शरद आलोक’ समीक्षक- डॉ ऋषि कमार मणि त्रिपाठी लेखक ने ओस्लो के एक चर्च मे मारिया के पति के अंतिम संस्कार के एक दृश्य का वर्णन किया है। किस प्रकार लोग शामिल हुए,फूलों के गुलदस्तों मे संदेश और श्रद्धांजलि देने वालो के नाम लिखे […]

Read More
Litreture

चार लघु कथाओं की समीक्षा

समीक्षक: डॉ ऋषिकुमार मणि त्रिपाठी लेखक सुरेश शुक्ल ‘शरद आलोक’ लघु कथा एक झलक लेखक सुरेश शुक्ल ‘शरद आलोक’ साग्न स्टूडेंट टाउन से मशहूर क्लब सेवेन शहर ओस्लो के मध्य रात ग्यारह बजे आगए। डिस्कोथेक के जीवंन्त संगीत आर्केस्ट्रा सभी नि:शुल्क प्रवेश  मदिरा पीकर अनजान लड़कियो के बांहो मे बाहें डाले रात भर नाचते। मै […]

Read More
Litreture

जल की एक बूंद

जल की एक बूंद करती है सृजन रचती है विश्व को । जल की एक बूंद बनती वंश लोचन सीप मे मोती गजमुक्ता चमकाती आनन । जल की एक बूंद करती है प्राणदान बनती चरणामृत विष्णु पदनख की सुरसरिता पालती विश्व को। जल की एक बूंद ऋषियों का अस्त्र थी नयनो की भाषा बच्चों की […]

Read More