कविता : मैं कौन हूँ, आप कौन हैं

 

कर्नल आदि शंकर मिश्र
कर्नल आदि शंकर मिश्र

एक लोटा पानी, सिकंदर की कहानी,
किसी एक समझदार शख़्स ने,
कह कर सुनाई अपनी ज़ुबानी,
जिसने सुना उसको हुई हैरानी,
जीवन क्षणभंगुर, न बचती निशानी,
एक लोटा पानी, सिकंदर की कहानी।

      प्यासे सिकंदर को रेतीले रेगिस्तान में
नहीं दिया फ़क़ीर ने एक लोटा पानी,
सारा साम्राज्य देने को तैयार था वह,
तड़पने को मजबूर दुनिया का विजेता,
पानी लिये फ़क़ीर की न हुई मेहरबानी,
एक लोटा पानी, सिकंदर की कहानी।

सफल जीवन के चार सूत्र हैं,
मेहनत करने से धन बनता है,
धीरज रखने से काम बनता है,
मीठे बोल से पहचान बनती है,
इज्जत करने से नाम बढ़ता है,
यही है हमारे जीवन की कहानी,
एक लोटा पानी, सिकंदर की कहानी।

कविता : हमारी वंदना करुण हस्त उठता तुम्हारा

              शौक भले ही कितने ऊँचे रखिए,
लेकिन जिम्मेदारी से बढ़कर नहीं,
जीवन तो प्रेम, दया, धर्म के लिये है,
शासन, सत्ता, ताक़त क्षण भर की हैं,
कब छिन जाएँगी, न हो परेशानी,
एक लोटा पानी, सिकंदर की कहानी।

धन दौलत, ज्ञान व ताक़त का अभिमान,
ये कौन हैं कोई न सका अब तक पहचान,
मैं कौन हूँ, आप कौन हैं, कोई न सके जान,
वक्त बदलते ये न साथ रह पाते,
इनका कोई वजूद भी नहीं रहता,
आदित्य अहंकार वश न हो अभिमानी,
एक लोटा पानी, सिकंदर की कहानी।

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