- राज्य सरकार की शह पर कैदियों की मेहमाननवाजी कर रहा जेल प्रशासन
- हजारीबाग जेल के भ्रष्टाचार के आरोप में सस्पेंड कारापाल को बनाया गया है होटवार जेल का प्रभारी कारापाल
रंजन कुमार सिंह
यह कोई मयखाना या डांस बार नहीं, रांची का होटवार सेंट्रल जेल है। लालू यादव और हेमंत सोरेन जैसे भ्रष्टाचार के आरोपी, कैदी के रूप में इस जेल की शोभा बढ़ा चुके हैं। जेल में रसूखदार कैदियों के लिए अलग नियम है। क्योंकि, जेल में बंद रसूखदार कैदियों को पैसे के बल पर सभी तरह की सुविधाएँ मिलती हैं। जेल में रसूखदार कैदियों के लिए कई खास वार्ड बने हुए हैं, इन वार्डों में रहने के लिए एंट्री फीस देनी पड़ती है। प्रत्येक माह तय रकम खर्च करने पड़ते हैं। हेमंत सोरेन के संरक्षण में जेल में रह चुके कुछ नामचीन कैदी, जेल विभाग के पदाधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से जेल में ऐशो-अय्याशी की पूरी व्यवस्था चलाते हैं। पैसे लेकर हर तरह के वैसे काम किए जाते हैं, जो जेल मैनुअल का उल्लंघन करते हों।
इन गतिविधियों के संदर्भ में झारखंड भाजपा के साथ कुछ अन्य विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं ने सरकार को कई बार आगाह भी किया है, लेकिन जेल में गैरकानूनी कार्य बंद नहीं हुए, बल्कि वीआईपी कैदियों” की “विशेष मेहमाननवाज़ी” से इनकार कर इन पर अंकुश लगाने की कोशिश करने वाले एक अधिकारी रॉबर्ट निशांत बेसरा का ही तबादला कर दिया गया था। यह वीडियो वायरल होने पर दो कर्मचारियों, सहायक जेलर और जमादार, को निलंबित कर ख़ानापूर्ति कर ली गई है। लेकिन घोर आश्चर्य की बात यह है कि हजारीबाग जेल में बंद विनय सिंह को विशेष सुविधाएं देने के नाम पर जिस कारापाल दिनेश वर्मा को यही बीस दिन पहले संस्पेड कर वहाँ से हटाया गया था, उसे ही निलंबन मुक्त कर एक तरह से पुरूस्कार देते हुए अब बिरसा मुंडा जेल का प्रभारी कारापाल बना दिया गया है। चर्चा है कि इसके लिये वर्मा का अच्छा दोहन किया गया है। आईजी से ये पूछा जाना चाहिए कि जो हजारीबाग में गंभीर गड़बड़ी करने के लिये अभी-अभी निलंबित हुआ उसने “कौन सी जादू की छड़ी” चला दी कि उसे तुरंत निलंबन मुक्त कर बिरसा मुंडा जेल में तैनाती का इनाम दिया गया?
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जेल का ये गंदा खेल अकेले छोटे-मोटे कर्मचारियों के बस की बात नहीं। बिना उच्चाधिकारियों की अनुमति, सहमति एवं हिस्सेदारी के ये कैसे हो सकता है? इसके लिये सीधे जेल आईजी ज़िम्मेदार हैं, इसलिये निलंबन की कार्रवाई तो आईजी पर होनी चाहिये। आईजी को ये बताना चाहिए कि किसके आदेश पर वे जेल में ये सब धंधा करवा रहे थे? शराब घोटाले के जिस हाईप्रोफ़ाइल दो क़ैदी की जेल में डांस करते और वीडियो बनाते तस्वीर वायरल हुई है, इसमें एक वही व्यक्ति है जिसे चार्जशीट समय पर दाखिल न कर ज़मानत पर निकलवाने की सुविधा एसीबी सह सीआईडी के पूर्व डीजीपी ने प्रदान करवायी है। जेल आईजी, सीआईडी के भी आईजी हैं। लगता है ये सारे लोग आपस में मिलजुलकर ये सब गोरखधंधा चला रहे हैं। माननीय उच्च न्यायालय झारखंड के जेलों में हो रहे गैरकानूनी कार्यों पर संज्ञान लें, हाईकोर्ट के सिटिंग जज के नेतृत्व में “जेल में चल रहे खेल” एवं उच्चाधिकारियों के संलिप्तता एवं उनके मनमाने कार्यों की जॉंच करायें ताकि लोगों को पता तो चले कि आख़िर ये हो क्या रहा है?
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