- जदयू में सुनाई पड़ रहे हैं असंतोष के स्वर, विपक्ष भी सक्रिय
- नाराज नेताओं ने कहा, दिल्ली से बांटे गए बिहार के टिकट
नया लुक ब्यूरो
पटना। बिहार एनडीए में जैसा दिखाया जा रहा है वैसा चल नहीं रह है। गठबंधन में इस बार नीतीश कुमार बड़े भाई की भूमिका में नहीं है। स्थिति यहां तक आ गयी है कि चुनाव में CM फेस का फैसला भी बीजेपी ले रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनके आवास पर मुलाकात करने के से पहले ही साफ कर दिया कि एनडीए में जीत के बाद मुख्यमंत्री कौन होगा,, इसका फैसला चुनाव के बाद विधायक दल करेगा। मुख्यमंत्री आवास में दोनों के बीच करीब 15 मिनट तक बातचीत हुयी। चुनाव में एनडीए जीतेगा या महागठबंधन भारी पड़ेगा यह फैसला तो बाद में होगा पर अगर-मगर की स्थिति में नीतीश का पलड़ा बड़े भाई जैसा तो कतई नहीं लग रहा है। हालात भांपते हुए विपक्ष ने बड़े नेताओं ने भी यह कहना शुरू कर दिया कि नीतीश कुमार थक चुके हैं और भ्रमित दिखाई पड़ते हैं।
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बिहार के सियासी गलियारों में चल रही चर्चाओं की मानें तो इन सब बातों का असर पार्टी में भी पड़ने लगा है और इसकी गूँज जेडीयू के दफ़्तर में भी सुनी जा सकती है। टिकट बँटवारे और सीटों के आवंटन को लेकर नाराज़गी ज़ाहिर कर रहे जेडीयू के कुछ कार्यकर्ता पार्टी ऑफ़िस के भीतर ही खुलकर कहने लगे हैं कि नीतीश कुमार की सेहत प्रभावित हुई है और टिकट वितरण इसका असर साफ नजर आता है। उनके मुताबिक़ नीतीश जब वो कुछ ठीक होते हैं तो पार्टी में चीज़ें पटरी पर आने लगती हैं लेकिन जैसे ही स्वास्थ्य बिगड़ता है, पार्टी में उनकी पकड़ भी कमजोर पड़ने लगती है।
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टिकट वितरण को लेकर उपजे असंतोष का नतीजा ही है कि लोग पार्टी के कार्यकर्ता तक कहने लगे हैं कि पार्टी के कुछ नेता अपनी मनमानी करते हैं और ऐसा पार्टी की सेहत के लिए ठीक नहीं है। कहा तो ये भी जा रहा है कि जदयू में टिकट वितरण जैसे फैसले भबी नीतीश नहीं बल्कि कोई और ले रहा है। जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा, ही बड़े फैसले ले रहे हैं। हालांकि बिहार सरकार के मंत्री विजय कुमार चौधरी , एमएलसी ललन सर्राफ़ और विधायक संजय गांधी भी मत्वपूर्ण भूमिका में हैं। कहा तो ये जा रहा है कि ये सब नीतीश कुमार के क़रीबी लोग हैं और यही लोग सारी चीज़ें तय कर रहे है पर उपजे असंतोष और नाराजगी के सुर कुछ और ही कहानी कह रहे हैं। इस बारे में बिहार के वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी का कहना है कि नीतीश कुमार की सेहत ठीक होती तो जदयू के टिकट दिल्ली में तय नहीं होते और टिकट और सीटों से जुड़े निर्णय की ज़िम्मेदारी किसी और को नहीं सौंपी गई होती।
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हालांकि कई कार्यकर्ता इन बातों को कोरी अफ़वाह बताते हैं और कहते हैं कि नीतीश कुमार बिल्कुल फ़िट हैं और गठबंधन में सीटों के बँटवारे से लेकर टिकट देने तक सारे फ़ैसले वही कर रहे हैं। पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा का कहना है कि ये सारी बातें शुद्ध रूप से विपक्ष के एजेंडे को बढ़ाने जैसा है क्योंकि सबको पता है कि बिहार चुनाव के क्या परिणाम आएंगे।
