- लोकतंत्र को भ्रष्टाचार मुठ्त बनायें
- प्रजा वत्सलता ही असली रामराज्य
- शासन प्रशासन की खामियां दूर कर मनाये पर्व
- सत्यव्रतं सत्य परं त्रिसत्यं
बलराम कुमार मणि त्रिपाठी
चक्रवर्ती महाराजा दशरथ ने देवासुर संग्राम मे कैकयी के रथ संचालन और उनकी राजा के जीवन लक्षा के लिए रथ के पहिये मे खुंटी निकलने पर अपनी उंगली घुसा कर महाराज की सुरक्षा बनाये रखने पर दो वर दिये थे। महारानी नै बाद मे मांग लेने की बात कहीं। उसी वायदे की याद दिलाकर मंथरा ने कैकेयी से वल मांगने को उकसाया। कैकेयी ने राजा दशरथ से मांगा तो सत्यनिष्ठ राजा इन्कार न कर सके। वर देना पड़ा,भले ही उन्हें राम के वियोग मे मृत्यु का दंड भोगना पड़ा। श्रीराम ने पिता के आदेश को सिर आंखो पर लिया।
जनकसुता को छल पूर्वक हरण करने वाले रावण को कुल सहित मार कर श्रीराम,जानकी को लेखर पुष्पक विमान से अयोध्या धाम आए ,तो राजा के आदेश पालन का चौदह साल व्यतीत होचुका था। रिम ने गुरु के आदेश को सर्वोपरि रखा। भाईयो के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन किया। संपत्ति के विवाद मे किसी को यन मे भी विकार न आए,सभी भाईयो मे राज्य का वितरण कर दिया। राम ने अपने जीवन से दो बड़े सबक लिए। एक_पत्नीव्रत का और दूसरा सभी भाईयो मे समान_रूप_से_संपत्ति के विभाजन का। वह परम्परा आज भी अघोषित रूप से चली रही है। श्रीराम ने चौदह साल के वनवास मे जो संजीवनी पाई। गरीबी के दुख को महसूस किया, ऋषि मुनियो से मिल कर ज्ञानोपदेश लेकर साधना की और तमाम दिव्य शक्तियां अर्जित कीं। उसे पाने के लिए गर्भवती सीता को किसी न किसी बहाने वन मे भेज कर अपनी संतानों को अपने से भी अधिक तेजस्वी बना दिया। वे भरत लक्ष्मण शत्रुघ्न कौ भी परास्त करने मे सक्षम हुए और हनुमान को भी ब्रह्मास्त्र मे फांस लिए। बाद मे यही एक कुशल राजा बने।
राम की सत्यनिष्ठा न केवल अपने प्रजा के प्रति बधी रज्ञी,उन्होंने गुरुजनो का भी भरपूर सम्मान किया। उनके लोकतांत्रिक रूप मे प्रजावत्सलता और सबकी बाते सुनने के कारण रामराज्य एक आदर्श राज्य सिद्ध हुआ। वन के वानर भालुओ को एकत्र कर संगठित कर सेना के रूप में रावण जैसे शक्ति संपन्न महाराजा के साथ युद्ध करना और किसी भी राजा से सहयोग न लेना एक अद्भुत संगठनात्मक कौशल था। यही आजादी के संचर्ष मे जन जागरण के माव्यम से हमारे नेताओ ने अपनाया। महात्मा गांधी,लोकमान्य तिलक,पं मदन मोहन मालवीय,गोपाल कृष्त गोखले आदि ने श्रीमद्भगवद्गीता और रामचरित मानस से सीख लिया। जब अहिंसा और सत्यनिष्ठा को व्रत बना कर जनजागरण किया तो अंग्रेजो के छक्के छूटे। लोकतंत्र स्थापित करने के पीछे राम राज्य ही बहुत कुछ आदर्श सिद्ध हुआ। यदि आज भी विजय दशमी के राम रावण युद्ध मे राय की विजय और शक्ति संपन्न होकर सत्यनिष्ठा का व्रत लेकर हम लोकतंत्र मे भ्रष्टाचार मुक्त शासन तंत्र स्थापित कर सकें तो विश्व मे हम सदा आदर्श बने रहेंगे।
दैहिक दैविक भोतिक तापा। राम राज मे काहुं न व्यापा।
