प्रदोष व्रत आज प्रदोष व्रत हर माह शुक्र पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है।


प्रदोष व्रत हर माह शुक्र पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन लोग भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। वहीं अगल-अलग दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत की महिमा भी अलग-अलग होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत सभी कष्टों को हरने वाला माना जाता है। इस व्रत का महिमा मंडन शिव पुराण में मिलता है। कहते हैं कि इस दिन पूजा और अभिषेक करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा जीवन के सभी दुखों छुटकारा मिलता है।
आषाढ़ माह का पहला प्रदोष व्रत कब है?
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 8 जून को सुबह 7 बजकर 17 मिनट पर होगी। वहीं तिथि का समापन अगले दिन यानी 9 जून को सुबह 9 बजकर 35 मिनट पर होगा। ऐसे में जेष्ठ माह का आखिरी प्रदोष व्रत 8 जून को रखा जाएगा। वहीं दिन महादेव की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 7 बजकर 18 मिनट से लेकर 9 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। इस दौरान भक्तों को पूजा के लिए कुल 2 घंटे 1 मिनट का समय मिलेगा।
प्रदोष व्रत में क्या नहीं करें?
प्रदोष व्रत के दिन व्रती को नमक के सेवन से बचना चाहिए। साथ ही प्रदोष काल में कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए।
तामसिक भोजन, मांसाहार और शराब का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहि। साथ ही काले रंग के वस्त्र पहनने से बचना चाहिए।
मन में किसी भी व्यक्ति लिए नकारात्मक विचार नहीं लाने चाहिए। किसी से कोई विवाद नहीं करना चाहिए।
झूठ बोलने और बड़ों का अपमान या अनादर नहीं करना चाहिए।
प्रदोष व्रत में क्या करें?
प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
इसके बाद शिव जी का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें।
प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर बेलपत्र, गंगाजल, दूध, दही, शहद चढ़ाएं।
इस दिन शिव प्रतिमा या शिवलिंग को चंदन, रोली और फूलों से सजाएं।
प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक दोनों कर सकते हैं।
प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग के सामने धूप-दीप जलाकर आरती करें।
इस दिन शिव पुराण का पाठ जरूर करें।
प्रदोष व्रत के दिन जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्र दान करें।
प्रदोष व्रत के दिन फल, कपड़े, अन्न, काले तिल और गौ दान करने से पुण्य फल प्राप्त होता है।
प्रदोष व्रत का महत्व
सनातन धर्म में अजर अमर अविनाशी भगवान शिव को जन्म जन्मांतर के चक्र से मुक्ति देने वाला कहा गया है। उनकी आराधना के लिए हर माह प्रदोष व्रत किया जाता है। कहते हैं कि त्रयोदशी के दिन इस व्रत को करने से शिव धाम की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति नियमित रूप से प्रदोष व्रत रखता है, उसके जीवन की समस्त इच्छाएं पूरी हो जाती हैं और जातक के परिवार के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। कहा जाता है कि शाप मिलने के कारण चंद्रमा को क्षयरोग और दोष हो गया था और उसके भयंकर शारीरिक कष्ट हो रहा था। उसने सच्चे मन से भगवान शिव की आराधनी की और भगवान शिव ने उसके क्षय रोग का निवारण करके त्रयोदशी के दिन स्वस्थ होने का वरदान दिया। प्रदोष व्रत करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति अच्छी होती है और चंद्रमा शुभ फल देता है।
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