कर्नाटक में देवी को आमंत्रित! मुख्यमंत्री बदलें!!

के. विक्रम राव
के. विक्रम राव

कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद के लिए अब केवल कांग्रेस हाईकमान (प्रियंका, राहुल और सोनिया) ही निर्णायक नहीं होंगे। उपमुख्यमंत्री और धनाढ्य राजनेता डी.के. शिवकुमार ने दौड़ तेज कर दी। उनका पलड़ा भारी रहा उनकी संपत्ति के कारण, जो घोषित तौर पर चौदह हजार तेरह करोड़ है। वे भारत के सबसे धनी विधायक कहलाते हैं। गत सप्ताह ही पत्नी उषा के साथ शिवकुमार पड़ोसी तमिलनाडु के कुंभकोणम मंदिर में होम किया। शक्तिमठ प्रत्यंगिरा देवी की पूजा की। कुंभकोणम का यह मंदिर भाग्यदायक माना जाता है। दक्षिण भारत की यह अधिष्ठात्री देवी बड़ी उदार हैं। शिवकुमार बस सपरिवार दरबार में पहुंचे गए। इसका कारण भी था सिद्धरमय्या की पत्नी एक भूमि घोटाले में नामित हो गई। हाईकोर्ट में मामला दायर है। उन्हें हटाने की मुल्मी चली। सिद्धरामय्या ने कहा कि उन्हें सोनिया गांधी ने पूरे पाँच वर्ष हेतु मुख्यमंत्री बनाया था। कर्नाटक कांग्रेसियों का कहना है कि ढाई-ढाई साल के सौदे की बात हुई थी।

शिवकुमार की पत्नी का खास आग्रह रहा कि आमंत्रित विपत्ति को टालने हेतु देवी की मदद ली जाए। अतः वैकुंठ एकादशी (10 जनवरी) को शिवकुमार ने कहा कि तमिलनाडु के एक मंदिर में किया गया ‘होम’ उनकी सुरक्षा और मानसिक शांति के लिए था।
उपमुख्यमंत्री ने तमिलनाडु के कुंभकोणम और कांचीपुरम में मंदिरों का दौरा किया, जिसके बाद केंद्रीय मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी गौड़ा ने आरोप लगाया कि ‘होम’ का आयोजन “अपने दुश्मनों को नष्ट करने” के लिए किया गया था। मगर शिवकुमार ने कहा, “मैं ऐसा व्यक्ति हूं जो रोजाना पूजा करता हूं और नियमित रूप से ‘होम’ करता हूं। मैंने यह ‘होम’ अपने मन की शांति और सुरक्षा के लिए करवाया था।” मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मैं हर दिन भगवान से अच्छी ख़बरों के लिए प्रार्थना करता हूं। मैं भगवान से यह भी प्रार्थना करता हूं कि वे मुझे उन लोगों से बचाएं जो मेरा बुरा चाहते हैं। इसमें कुछ भी छिपा नहीं है।” पत्रकारों पर कटाक्ष करते हुए शिवकुमार ने कहा, “आप (मीडिया) भी मुझे काफी परेशान करते रहते हैं और नई-नई खबरें बनाते रहते हैं। मैंने मीडिया से सुरक्षा के लिए भी प्रार्थना की है।”
पौराणिक कथाओं के अनुसार, ‘शक्ति स्वरूपिणी’ (शक्ति का अवतार) और ‘उग्र स्वरूपिणी’ (क्रूरता का अवतार) के रूप में पूजित देवी के बारे में माना जाता है कि वे अपने शत्रुओं का नाश करने के लिए पृथ्वी पर अवतरित होती हैं। देवी को भगवान शिव, विष्णु और आदिशक्ति का अवतार भी माना जाता है। शिवकुमार की मंदिर यात्रा ने कर्नाटक के राजनीतिक हलकों में चर्चा छेड़ दी है।

पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा सांसद बसवराज बोम्मई ने टिप्पणी की कि जब से कर्नाटक में कांग्रेस सत्ता में आई है, तब से अस्थिरता और आंतरिक कलह बनी हुई है, जिससे सवाल उठ रहा है कि उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार का धैर्य आखिरकार कब खत्म होगा ? तुलनात्मक रूप से मुख्यमंत्री सिद्धरमैया अनीश्वरवादी हैं। डॉ राममनोहर लोहिया के अनुयाई रहे। जॉर्ज फर्नांडिस के कारण समाजवादी बने। मगर खुले तौर पर उनका मानना है कि कर्नाटक के लिंगायत और वक्कलिगा मठ अंधविश्वास पर पनपते हैं। हारूँ के खजाने से कई गुना अधिक धन उन सबके पास है। एकदा हमारी कर्नाटक पत्रकार यूनियन के सम्मेलन का मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या उद्घाटन कर रहे थे। मैं अध्यक्षता कर रहा था। वहां खुले तौर पर इस लोहियावादी नेता ने अंधविश्वास पर हमला बोला था। क्या संयोग है कि वे आज सोनिया कांग्रेस में हैं ?

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