रामोत्सव के बाद वैश्विक नेता बनकर उभरे हैं योगी

  • लॉ एंड आर्डर की कॉपी करते हैं अन्य सूबे के मुख्यमंत्री
  • रामजन्मभूमि फैसले से लेकर भूमिपूजन और प्राण-प्रतिष्ठा तक गजब की दिखी शांति

भौमेंद्र शुक्ल

इनकी गिनती अब देश के दूसरे बड़े हिंदुत्ववादी नेता में होती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद पूरी दुनिया में केवल योगी का डंका बज रहा है। भगवा वेश में मंचासीन होते ही पूरे सनातन की झलक एक शख्स में देखनी हो तो मंच पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का होना जरूरी है। सोशल मीडिया चैनल एक्स हो या फिर इंस्टाग्राम पीएम मोदी के बाद सीएम योगी का ही जलवा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर किताब लिखने वाले नीलांजन मुखोपाध्याय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर किताब लिखने वाले नीलांजन मुखोपाध्याय

प्रधानमंत्री मोदी पर किताब लिख चुके पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय कहते हैं कि योगी की राजनीति मोदी की राजनीति का ही एक्सटेंशन है। कुछ वैसा ही जलवा देश के बाहर भी योगी का पसर चुका है। मोदी का मुखर विरोध करने वाला विपक्ष भी योगी के नाम पर अब कतर-ब्योंत करने लगा है। सत्ता के अनुभव की कमी के बावजूद (45 साल से कम उम्र के मुख्यमंत्री) योगी आदित्यनाथ ने कदम-कदम पर सीखने, समझने और एक्शन लेने में हिचक नहीं दिखाई। पीएम मोदी के हुक्म को पूरा करने में पूरी ताकत झोंक दी और दिन-रात काम करके खुद को साबित कर दिखाया। इसी का नतीजा है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) में पीएम मोदी के बाद सबसे कद्दावर नेता के तौर पर पूरी दुनिया में मशहूर हो गए। अब रामोत्सव के बाद उनका चेहरा और लॉ एंड आर्डर पूरी दुनिया की चर्चा में शामिल हो चुका है।

अपर निदेशक सूचना अंशुमान राम त्रिपाठी
अपर निदेशक सूचना अंशुमान राम त्रिपाठी

सूचना विभाग के अपर निदेशक अंशुमान राम त्रिपाठी कहते हैं कि वैश्विक पटल पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रशंसकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पड़ोसी राष्ट्र पाकिस्तान से लेकर ऑस्ट्रेलिया, इजरायल, अमेरिका और इंग्लैंड तक ‘बाबा’ के प्रशंसकों की बड़ी संख्या है। एक्स पर 2.73 करोड़ फॉलोअर्स हैं। वहीं, इंस्टाग्राम पर एक करोड़ पांच लाख फॉलोअर्स हैं। सीएम के वॉट्सएप चैनल पर भी करीब 25 लाख फॉलोअर्स जुड़ चुके हैं।

वरिष्ठ पत्रकार अनिल अवस्थी कहते हैं कि उन्होंने नोएडा का मिथक तोड़ा। एक बार नहीं, कई बार गए। क्राइम और करप्शन पर उनकी कड़क छवि पूरे देश में चर्चित है। आम जनता में योगी की छवि ‘बुल्डोजर बाबा’ की बन चुकी है। हिंदुत्व की छवि को बरकरार रखते हुए उन्होंने सरकार ही नहीं बल्कि पार्टी पर भी पकड़ मजबूत कर ली है। बताते चलें कि साल 1998 में योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीते, तब उनकी उम्र महज 26 साल थी। वह देश के सबसे युवा सांसद थे।

मोदी की गुजरात काबीना देखें या फिर केंद्रीय कैबिनेट, दोनों में उनके सामने न कोई था और न कोई है। हां, अमित शाह ज़रूर दोनों जगह शक्तिशाली रहे हैं, लेकिन यह मोदी की शख़्सियत के उभार में उनकी अहम भूमिका के कारण है। लेकिन यूपी में योगी की कैबिनेट देखिए तो उनके सामने किसी मंत्री की नहीं चलती यानी योगी का कोई अमित शाह भी नहीं है। वह अकेले दम पर सरकार और उसका इकबाल बुलंद कर रहे हैं। शायद यही कारण है कि साल 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान मोदी के बाद राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा डिमांड योगी आदित्यनाथ का था। तत्कालीन केंद्रीय मंत्री और वर्तमान में मध्यप्रदेश के कैबिनेट मंत्री प्रहलाद पटेल कहते हैं कि योगी को बुलाने का मतलब हिंदू वोटों का एकतरफा हो जाना होता है। साधारण से कपड़ों में लिपटे इस संन्यासी को देखने के बाद हिंदू जनता यह इंतजार नहीं करती कि वह वोट देने की अपील करें, वोट अपने आप भाजपा के खेमे में चला जाता है।

अनिल अवस्थी वरिष्ठ पत्रकार
अनिल अवस्थी वरिष्ठ पत्रकार

वरिष्ठ पत्रकार भास्कर दुबे कहते हैं कि राम जन्मभूमि फैसले से लेकर भूमिपूजन हो या फिर प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम पूरे उत्तर प्रदेश में कहीं चूं-चपाट की आवाज नहीं आई। सूबे में CAA विरोधियों पर कड़ा एक्शन और प्रदर्शनकारियों से जुर्माना वसूलने की बात मुसलमान भी नहीं भूल पाए हैं। शायद यही कारण है कि कहीं से कोई विरोध के सुर नहीं उभरे। वह कहते हैं कि मुख्यमंत्रियों के काम का असर देखने के लिए ‘मूड ऑफ द नेशन’ सर्वे में सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ को लोगों ने पसंद किया है। गौरतलब है कि गोरखपुर के गोरक्षपीठ के महंत आदित्यनाथ यूपी के 21वें सीएम हैं। 19 मार्च 2017 को बीजेपी की बड़ी जीत के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इससे पहले साल 1998 से वर्ष 2017 तक वह गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे। इनकी छवि एक प्रखर राष्ट्ररवादी नेता की है। वह हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं।

चर्चा में खूब रहा एनकाउंटर

माफिया और क्रिमिनलों पर कहर बनकर टूट रहे योगी के ऊपर विपक्षी और वामपंथी विचारधारा के लोग सवाल भी खड़ा करते हैं। उनका आरोप है कि योगी जाति विशेष देखकर बुल्डोजर और एनकाउंटर की कार्रवाई को अंजाम देते हैं। यह तोहमत भी उसी तरह है, जैसा गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी पर मढ़ा जाता था। मोदी राज में भी गुजरात में कई ऐसे विवादित पुलिस एनकाउंटर हुए थे, जिन पर कोर्ट की बहुत तीखी टिप्पणियाँ आई थीं। गौरतलब है कि साल 2002 से 2007 के बीच 17 ऐसे विवादित एकाउंटर गुजरात में हुए थे, जिनमें पुलिस और सरकार की भूमिका पर गंभीर सवाल उठे थे।

वरिष्ठ पत्रकार भास्कर दुबे
वरिष्ठ पत्रकार भास्कर दुबे

यूपी में योगी न आते तो क्या होता!

राजधानी लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार मनोज श्रीवास्तव लिखते हैं कि जिन्होंने यूपी में हुए साल 2005 का मऊ दंगा देखा है, उसको याद कर आज भी सिहर उठते हैं। एक माह तक शहर जलता रहा। पहली बार दंगों के कारण ट्रेनों का संचालन रोकना पड़ा था। कर्फ्यू के दौरान मुख्तार अंसारी खुली जिप्सी में घूम रहा था। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव लखनऊ से सरपरस्ती दे रहे थे। जिसके कारण पुलिस बेबस बन कर मुख्तार का तांडव देख रही थी। गुंडा पसंद मुलायम सिंह प्रयागराज में स्थानीय माफिया अतीक अहमद के कुत्ते से हाथ मिला कर प्रशासन को संदेश दे रहे थे कि यूपी का सीएम मैं हूँ लेकिन इलाहाबाद में सिक्का अतीक अहमद का चलेगा। समाजवादी पार्टी के दूसरे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल के दौरान 2013 में मुजफ्फरनगर दंगा हुआ। बहन की छेड़खानी रोकने पर वर्ग विशेष द्वारा दो भाइयों की दिन-दहाड़े घेर कर हत्या कर दी जाती है। इस घटना के प्रतिशोध में पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दंगा फैल गया था।

वरिष्ठ पत्रकार मनोज श्रीवास्तव
वरिष्ठ पत्रकार मनोज श्रीवास्तव

लोगों को जान बचाने राहत शिविरों में जाना पड़ा था। मुख्यमंत्री सैफई महोत्सव के रंग-रंग कार्यक्रम में डूबे थे। अखिलेश के पूरे कार्यकाल में अराजकता चरम पर पहुंच गई थी। जिससे निजात पाने के लिए जनता ने यूपी में तीसरे नंबर की पार्टी को सत्ता में बैठा दिया। योगीराज में क्राइम, करप्शन और माफिया घुटनों के बल हैं। 24 नवंबर 2023 को प्रयागराज में घटी घटना देखें या इसके पहले 25 अक्टूबर को बस्ती जिले के परशुरामपुर थाना क्षेत्र स्थित चौरी बाजार में लगे जिहादी नारे के मसले पर चिंता व्यक्त करें। चर्चा तीन अप्रैल 2022 की करें, जब गोरखनाथ मंदिर के अहमद मुर्तजा अब्बासी नाम के एक युवक ने तेज धारदार हथियार से पुलिस वालों पर हमला कर दिया। या फिर 18 अक्टूबर 2019 की, लखनऊ में हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की दिन दहाड़े कट्टरपंथियों द्वारा हत्या कर सनसनी फैला दी गई थी।

कमलेश तिवारी के गर्दन पर पहले चाकुओं से 15 बार हमला किया गया, उसके बाद गोली मार दी गई थी। लेकिन योगी राज में यह सब न केवल बंद है, बल्कि ऐसी मानसिकता वाले लोग कोने में दुबके पड़े हैं। वरिष्ठ पत्रकार अनिल प्रताप सिंह ने कहा कि समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने कानून के रक्षा के नाम पर एक तरफ मिर्जापुर, खटीमा, को खून से लाल करने में संकोच नहीं किया। दूसरी तरफ समाजवादी सरकारों ने खूंखार आतंकवादियों के मुकदमें वापस करने में जरा भी शर्मिंदगी नहीं महसूस किया। समाजवाद के नाम पर बाप-बेटे द्वारा हर जिले में एक मिनी हाजी मस्तान पैदा करने की कोशिश की गई।

 

जिसका जवाब केवल और केवल योगी आदित्यनाथ ही हो सकते थे, हैं और रहेंगे। सोशल मीडिया के नाम पर पढ़े लिखे मुस्लिम युवा आतंकवाद के झांसे में आ जा रहे हैं उसका कोई अभी तक स्थाई समाधान नहीं दिख रहा है। बस बार-बार मन यही विचार करता है कि यदि योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री न होते तो क्या होता? योगी ने अपने प्रखर हिंदुत्ववादी निर्णयों से न सिर्फ यूपी बल्कि देश के बहुसंख्यक वर्ग का विश्वास अर्जित किया है।

हिंदुओं के नए नियंता योगी

वरिष्ठ पत्रकार ओपी मिश्र
वरिष्ठ पत्रकार ओपी मिश्र

वरिष्ठ पत्रकार ओपी मिश्र कहते हैं कि रामोत्सव के पहले योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह उत्तर प्रदेश के लिए ग्लोबल ब्रांडिंग का सुनहरा अवसर है। हमें इसके लिए पुख्ता और बेहतरीन इंतजाम करने होंगे। सीएम योगी केवल योगी ही नहीं बल्कि हिंदू हृदय सम्राट के साथ-साथ एक राजनेता तथा कुशल प्रशासक भी हैं। उनकी दृष्टि ब्रांडिंग के बहाने यूपी के सर्वांगीण विकास पर टिकी हुई है। हम सब जानते हैं कि अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर से न केवल अयोध्या या उसके आस-पड़ोस का विकास होगा, बल्कि पूरे प्रदेश का सर्वांगीण विकास होगा। क्योंकि अगर अयोध्या यूपी में है तो काशी विश्वनाथ मंदिर भी है। इतना ही नहीं कृष्ण जन्मभूमि भी इसी राज्य में है। यानी यूपी एक ऐसा प्रदेश है जहां शिव हैं तो राम भी हैं और कृष्ण भी हैं। धन्य है उत्तर प्रदेश के वे लोग जिसमें मैं भी शामिल हूं। इस प्रदेश का अगुआई भी एक योगी के हाथ में है। तभी तो लोग यह नारा लगाते हुए नहीं थकते की मोदी के बाद योगी।

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