नमो गोभ्य: श्रीमतीभ्य:
आज गोपाष्टमी है,गौ पूजन,गौमाता को हरा चारा,रोटी गुड़,फल आदि खिलाना,जल पिलाना चाहिए। गौ माता के हर अंग मे देवताओं का निवास है। श्रीकृष्णावतार मे गौ चारण कर भगवान ने इतिहास रच दिया। ब्रह्मा जी ने एक बार जब श्रीकृष्ण गौचराने गाय बछड़ो को लेकर वंशीवट गए थे। तो दोपहर मे ग्वाल बाल सखाओं के साथ रोटी खाते समय श्रीकृष्ण का साधारण बालको की भांति खाते देख ब्रह्या को संशय हो गया कि क्या यही पूर्ण ब्रह्म है?
उन्होने ग्वाल बालो से दूर चर रही गायों को और बछड़ो को चुरा लिया। श्रीकृष्ण को ज्ञात होगया। उन्होंने उतनी गाये और बछड़े रच दिये और ऐसे रचे जिनके रूप रंग आकार प्रकार हूबहू पहले जैसे थे। उनके स्वभाव भी उन्ही जैसे थे। यहां तक कि जिनकी गायें बछड़े थे वे भी पहचान न सके। वेगाये उतनी ही दूध देती थी। स्वभाव भी पहले गायो की तरह थे। साल भर यह सिलसिला चलता रहा। तब ब्रह्मा जी को लगा मुझसे गलती होगई। वे श्रीकृष्ण से क्षमा मांग कर उन गायो और बछड़ो को वापस कर दिये। श्रीकृष्ण मुस्कराने लगे।
गोपाष्टमी को गोपूजन कर गोग्रास दें
सुरभिस्त्वम् जगन्मातर्देवि विष्णु पदे स्थिता।
सर्व देवमयी ग्रासम् मया दत्तमिमं ग्रस।।