दो टूक : युद्ध इजरायल और हमास लड़ रहे लेकिन भारत में फंस गयी है कांग्रेस

राजेश श्रीवास्तव

पिछले सात अक्टूबर को जब इजरायल और फिलीस्तीन के बीच युद्ध शुरू हुआ तो पूरी दुनिया दो ख्ोमों में बंट गयी। ऐसे में भारत को भी किसी न किसी पाले में खड़ा होना था। भारत ने इजरायल के साथ खड़े होने का खुलकर ऐलान किया, और सही भी था। लेकिन भारत में इजरायल-हमास के बीच जंग का असर सबसे ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय के बजाय सियासी भी दिखायी देने लगा है। वजह साफ है 2024 का चुनाव। भाजपा और कांग्रेस के बीच इसको भुनाने की होड़ लग गयी है। इजरायल को जहां भाजपा का खुला समर्थन प्राप्त हैं। वहीं हर बार फिलीस्तीन का समर्थन करने वाली कांग्रेस भी इस बार फूंक-फूंक कर कदम रख रही है क्योंकि इस युद्ध को भी भाजइपाइयों ने राष्ट्रवाद से जोड़ दिया है। दरअसल ये ऐसा मुद्दा है जो आने वाले चुनाव में भारत की राजनीतिक बिसात को उलट पलट कर सकता है।

इसीलिए इस मुद्दे पर फिलहाल कांग्रेस खामोश है। जबकि हमेशा से कांग्रेस ने इजराइल और फिलिस्तीन के बीच अधिकांशत: फिलिस्तीन को ही तवज्जो दी है। लेकिन इस बार कांग्रेस का रुख बदला बदला है। हाल ही में पीएम मोदी ने हमास द्बारा इजराइल पर हुए हमलों को आतंकवाद से जोड़ते हुए इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू का समर्थन किया। भारत में कुछ ही दिनों के बाद पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। कांग्रेस को लगता है कि अगर, इजराइल को छोड़ फिलिस्तीन का सपोर्ट करते हैं तो बीजेपी इसे लपक, चुनावी मुद्दा बना सकती है जो कांग्रेस के लिए ठीक नहीं होगा।

 

इसी को देखते हुए कांग्रेस पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने इजराइल और फिलिस्तीन से शांति बनाए रखने की अपील की। बिना किसी का पक्ष लिए हुए रमेश ने इजराइल-फिलिस्तीन विवाद पर कहा, ‘कांग्रेस का हमेशा यह मानना रहा है कि फिलिस्तीन के लोगों की वैध आकांक्षाएं बातचीत के माध्यम से अवश्य ही पूरी की जानी चाहिए, वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी इजराइली चिताओं का भी समाधान सुनिश्चित किया जाना चाहिए।’ कांग्रेस के सधे हुए बयान से ठीक उलट पीएम मोदी का बयान इजराइल-हमास को लेकर आया है। पीएम मोदी ने कहा कि, आतंक के खिलाफ भारत हमेशा से रहा है इजराइल पर हुए आतंकी हमले में मारे गए लोगों के प्रति भारत संवेदना जातता है, भारत इजरायलियों के साथ है।

कांग्रेस से बीजेपी के सवाल कांग्रेस के संतुलित बयान से कई सियासी सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि साल 2021 में कांग्रेस ने भारत सरकार के स्टैंड की अलोचना की थी। कुछ दिन पहले ही कांग्रेस ने बीजेपी सरकार की आलोचना करते हुए उस पर फिलिस्तीन के साथ पहले किए गए कमिटमेंट से हटने और अपना समर्थन पूरी तरह से इजरायल को देने का आरोप लगाया था। साल 2021 में भी फिलिस्तीन और इजराइल एक दूसरे के सामने आ खड़े हुए थे तब भी भारत ने इजराइल का साथ दिया था। लेकिन उस समय कांग्रेस ने बीजेपी सरकार की आलोचना कर फिलिस्तीन का समर्थन किया था। साल 2021 से ठीक उलट कांग्रेस का इस बार का स्टैंड है। जिस पर बीजेपी ने सवाल खड़े किए है। बीजेपी ने एक बयान जारी करते हुए कहा, इजराइल आज जो झेल रहा है, वही भारत ने 2004-14 के बीच झेला है कभी माफ मत करो, कभी मत भूलो। इसके अलावा बकायदा बीजेपी ने एक वीडियो भी जारी किया है जिसमें राहुल गांधी आतंकवाद को लेकर कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि हर आतंकवादी हमले को रोकना बहुत मुश्किल है।

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि केवल कांग्रेस ही नहीं बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी भी फिलिस्तीन का समर्थन कर चुके हैं। जब बीजेपी जनता दल थी (1977) तब का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें वाजपेयी जी बोल रहे हैं, ”ये कहा जा रहा है कि जनता पार्टी की सरकार बन गई। वो अरबों का साथ नहीं देगी, इजराइल का साथ देगी। आदरणीय मोरारजी भाई स्थिति को स्पष्ट कर चुके हैं। गलतफहमी को दूर करने के लिए मैं कहना चाहता हूं कि हम हरेक प्रश्न को गुण और अवगुण के आधार पर देखेंगे।

इज़राइल को ग़लत ठहराना और हमास का समर्थन दोनों नाजायज

लेकिन मध्य पूर्व के बारे में यह स्थिति साफ है कि अरबों की जिस जमीन पर इजराइल कब्जा करके बैठा है, वो जमीन उसको खाली करनी होगी।’’ आखिर कांग्रेस फिलिस्तीन का समर्थन देने से क्यों कतरा रही? पिछली सरकारों को देखें तो समय-समय पर वो अपने हिसाब से कभी इजराइल को तो कभी फिलिस्तीन का सपोर्ट करती रही है। लेकिन कांग्रेस जो हमेशा से फिलिस्तीन को समर्थन करती है उसकी मजबूरी आगामी चुनाव बना हुआ है। कांग्रेस भलीभांति जानती है कि उसका एक गलत कदम बीजेपी को चुनाव में फायदा पहुंचा सकता है। इसलिए बिना किसी का पक्ष लिए हुए इजराइल और फिलिस्तीन दोनों को युद्ध विराम करने की नसीहत दे रही है। अगर वो फिलिस्तीन का पक्ष लेती भी है तो उसे चुनाव में काफी नुकसान हो सकता है।

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