… राहुल और सूर्य के चमके बिना विश्वकप जीतना असम्भव

  • कोहली की विराट पारी से ही विश्वविजेता का ख़िताब जीतेगी टीम इंडिया
  • गेंदबाज़ी के सबसे उच्च स्तर पर है भारतीय टीम, बुमराह और कुलदीप ट्रम्प कार्ड

अब भारतीय टीम बदल चुकी है। बेंच स्ट्रेंथ इतनी मज़बूत है कि अंतिम एकादश में खेलने वाला खिलाड़ी भी अपना शत-प्रतिशत देने की कोशिश करता है। यानी अब आस्ट्रेलिया की तरह टीम इंडिया में भी कई उलटफेर का माद्दा रखने वाले खिलाड़ी है। शायद यही कारण है कि दुनिया भर के गेंदबाज़ों को तबाह कर चुके सूर्य कुमार यादव इस समय अंतिम एकादश से बाहर हैं। लेकिन सच तो यह है कि बिना सूर्य के चमके विश्वविजेता बनना मुश्किल है।

दीपक शुक्ल ‘सत्येंद्र’
दीपक शुक्ल ‘सत्येंद्र’

लखनऊ। आस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ पहले मैच में जिस तरह भारतीय टीम का शीर्ष क्रम ध्वस्त हुआ, उससे विश्वकप जैसे बड़े सपने को ठेस लगने की सम्भावनाएँ भी प्रबल होती दिखने लगी हैं। आस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ 200 जैसे छोटे लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम इंडिया इतना ख़राब प्रदर्शन करेगी, यह देखकर करोड़ों दर्शकों को धक्का लगा होगा। लेकिन जो हुआ, उसे अच्छा ही कहा जा सकता है। राहुल को लेकर कुछ लोग टिप्पणी कर रहे थे, उन्हें केएल ने अपने बल्ले से जवाब दे दिया। लेकिन एक बात रह गई यदि बड़े लक्ष्य का पीछा करना होता तो? सवाल यहीं नहीं ठहरता?
क्रिकेट के जानकारों का कहना है कि टी-20 क्रिकेट में दुनिया के नम्बर-1 बल्लेबाज़ सूर्य कुमार यादव को वनडे क्रिकेट में भी मौक़ा देना चाहिए, क्योंकि रन चेज करते समय वही एक ऐसा क्रिकेटर है, जो गियर बदल सकता है। सूर्य अगर चमका तो दुनिया का कोई भी गेंदबाज़ उसके आगे नहीं ठहरेगा। इसका ताज़ातरीन उदाहरण दक्षिण अफ़्रीका के बल्लेबाज़ मार्करम को देखकर लगाया जा सकता है। मार्करम ने इस विश्वकप का सबसे तेज़ शतक ठोंका। उन्होंने महज़ 54 गेंदों की अपनी आतिशी पारी में सेंचुरी बना डाली। बताते चलें कि सूर्य कुमार यादव से अच्छे बल्लेबाज़ मार्करम नहीं है।

 

वहीं इस जीत से एक और सकारात्मक परिणाम आए। चार नम्बर पर बल्लेबाज़ी की जो चिंता देश को थी, उस पर केएल राहुल का खेलना बड़ा अच्छा रहेगा। यानी अबकी बार अंतिम एकादश में विराट कोहली के बाद राहुल और उनके बाद सूर्य का उतरना तय है। कुछ जानकार कह रहे हैं कि जडेजा जैसे धाँसू ऑलराउंडर को यदि अंतिम एकादश में तीन नम्बर पर उतारा जाए तो कोहली जैसे विराट क़द का बल्लेबाज़ चार नम्बर पर उतरकर टीम इंडिया को विश्व फ़तह करने से कोई रोक नहीं सकता। उसके बाद दायें हाथ के तीन बल्लेबाज़ क्रमशः राहुल, सूर्य कुमार यादव और हार्दिक पांड्या टीम को बड़ा स्कोर बनाने में पूर्ण मदद कर सकते हैं।

वैसे गेंदबाज़ी में ज़बरदस्त जलवा दिखाने वाली टीम इंडिया में मोहम्मद शमी जैसा बॉलर बाहर बैठा हुआ है। कोई पिच तेज़ गेंदबाज़ों के मदद वाली हुई तो अंतिम एकादश में अश्विन की जगह शमी भी खेल सकते हैं। इस बार कुलदीप यादव और जसप्रीत बुमराह टीम इंडिया के ट्रम्प कार्ड हैं। रवींद्र जडेजा भी अपनी फिरकी गेंद से बल्लेबाज़ों को परेशान कर रहे हैं और उन्हें पैवेलियन की राह भी दिखा रहे हैं।

 

वहीं बीबीसी  कि रिपोर्ट के अनुसार दो साल पहले भारतीय टीम के लिए वनडे और टी-20 में कप्तान बने रोहित शर्मा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वो अपनी टीम को उस परिस्थिति के लिए तैयार देखना चाहते हैं, जब 10 रन पर तीन विकेट गिर चुके हों। रविवार की रात वर्ल्ड कप 2023 के पहले ही मैच में ऑस्ट्रेलिया के सामने भारतीय टीम ठीक उसी स्थिति में थी, जब स्कोर केवल दो रन पर तीन विकेट था। टीम वहाँ से तो मैच के बाद रोहित बोले भी कि इस जीत से बहुत ख़ुशी मिली। कप्तान ने विशेष तौर पर टीम की फ़ील्डिंग की बहुत तारीफ़ की। चेज़ मास्टर विराट कोहली सबसे बड़ी कुंजी थे जो तब पिच पर मौजूद थे और अगले बल्लेबाज़ केएल राहुल को ये समझा रहे थे कि उन्हें ऐसी स्थिति में क्या करना है। पिच पर विराट ने कहा कि शुरू में टेस्ट मैच की तरह बल्लेबाज़ी करनी होगी और सही शॉट्स खेलने होंगे। रोहित भी मैच के बाद तीन विकेट गिरने के बारे में बोले, “ईमानदारी से कहूं तो, हाँ मैं घबराया था। लक्ष्य का पीछा करते हुए आप ऐसी शुरुआत नहीं चाहते हैं। लेकिन अंत भला तो सब भला।

सलामी बल्लेबाज़ी चिंता की बात नहीं…

विश्वकप के पहले मैच में भले ही टीम इंडिया दो रनों पर अपने तीन विकेट गँवा दी, लेकिन भारतीय टीम के लिए सलामी बल्लेबाज़ी चिंता का सबब नहीं है। टीम भारत के कप्तान रोहित शर्मा अपनी धाँसू बल्लेबाज़ी के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। पहले ही ओवर से छक्का मारने का दम रखने वाला यह बल्लेबाज़ अपने साथी बल्लेबाज़ के लिए लड़ने का जज़्बा देता है। शुभमन गिल हों या इशान किशन उनके साथ काफ़ी तेज़ी से रन बटोर सकते हैं। वाशिंगटन सुंदर से ओपनिंग कराकर टीम ने यह प्रयोग भी आज़मा लिया कि रोहित के साथ जडेजा ओपन भी करें तो कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा, वो रन बना लेंगे। सामने वाली टीम रोहित के डर के नाते सटीक गेंदबाज़ी वैसे ही नहीं कर पाती है। उस पर यदि गिल जैसा धुरंधर बल्लेबाज़ उतरे तो क्या कहने।

युवराज-सहवाग और सचिन जैसे बॉलर की खल रही कमी

पिछले विश्वकप में टीम इंडिया को जीत दिलाने वाले धुरंधर ऑलराउंडर युवराज सिंह जैसे हरफ़नमौला खिलाड़ी की कमी इस विश्वकप में ज़रूर खल रही है। वो ज़माना था, जब टीम इंडिया केवल चार बॉलर के साथ मैदान पर उतर जाया करती थी और 20 ओवर की गेंदबाज़ी सचिन, सहवाग और युवराज जैसे दिग्गज बल्लेबाज़ कर दिया करते थे। इसमें से सचिन और युवराज कई बार पूरे 10 ओवर की गेंदबाज़ी करते थे। लेकिन इस बार टीम इंडिया में ऐसे हरफ़नमौला खिलाड़ी की कमी है। केवल विराट कोहली ही एक ऐसे बल्लेबाज़ हैं जो एक-दो ओवर की गेंदबाज़ी कर सकते हैं।

सटीक गेंदबाज़ी अब टीम भारत की पहचान

एक ज़माना था जब तेज़ गेंदबाज़ी में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और आस्ट्रेलिया-दक्षिण अफ़्रीका का ही जलवा हुआ करता था। श्रीलंका के पास चमिंडा वास जैसे कुशल गेंदबाज़ ज़रूर हुआ, लेकिन मज़बूत साथी न होने के कारण उस समय वो जलवा नहीं बन पाया। बताते चलें कि पाकिस्तान में दोनों छोर से ज़बरदस्त गेंदबाज़ी करने वाले बॉलर हुआ करते थे। जैसे वसीम अकरम, वकार युनूस, शोएब अख़्तर और अब शाहीन अफ़रीदी के साथ हारिस रउफ और हसन अली जैसे पेस के सौदागर हैं। लेकिन अब ज़माना बदल चुका है भारतीय टीम में जसप्रीत बुमराह जैसा तेज़ गेंदबाज़ है जो 154 किमी प्रतिघंटा की स्पीड से गेंद फेंक चुका है। वहीं मोहम्मद सिराज ने 150 किमी प्रति घंटा की गति से गेंद फेंकते हैं। इसके अलावा तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद शमी भी क़रीब 145 किमी प्रति घंटा की स्पीड से गेंदबाज़ी करते हैं। वहीं स्पिन गेंदबाज़ी में कुलदीप यादव के साथ आर. अश्विन और रवींद्र जडेजा की फिरकी किसी भी टीम को ध्वस्त करने का माद्दा रखती है।

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