बुलन्द अंतरिक्ष अभियान

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का सदैव मनोबल बढ़ाते रहे। जय पराजय सभी में समभाव का संदेश देते रहे। अंतरिक्ष अनुसन्धान केंद्रों और वैज्ञानिकों को पर्याप्त संसाधन सुविधा उपलब्ध कराने के प्रति उनकी सरकार सदैव गंभीर रही। इसके सकारत्मक परिणाम मिल रहे हैं। चन्द्रयान यात्रा सफल हुई। चंद्रमा पर शिव-शक्ति स्थल का नामकरण हुआ। अब आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से आदित्य L1 का सफल प्रक्षेपण किया गया। नरेंद्र मोदी ने  लिखा, ‘संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए अतंरिक्ष की बेहतर समझ विकसित करने के वास्ते हमारे अथक वैज्ञानिक प्रयास जारी रहेंगे।’आदित्य-एल1’ यान पीएसएलवी रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया है। अब यह सूर्य की ओर 125 दिन की अपनी यात्रा पर आगे बढ़ेगा। भारत का यह मिशन सूर्य से संबंधित रहस्यों को उजागर करेगा।

देश में चन्द्रयान की सफ़लता और शिव-शक्ति नामकरण को लेकर पहले से उत्साह था। आदित्य-एल1 के सफल प्रक्षेपण ने राष्ट्रीय गौरव को बढ़ाया है। विपक्षी इंडिया के अनेक नेताओं को चन्द्रयान सफ़लता स्थल को शिव-शक्ति नाम देना  बर्दास्त नहीं हो रहा है। उन्होंने इसे वैज्ञानिकों का अपमान बताया। जबकि सच्चाइ यह कि इस नामकरण से इसरो वैज्ञानिक प्रसन्न हैं। वह भी शिवभक्त हैं। उन्होंने सफल अभियान से पहले मन्दिरों में प्रार्थना की। सफ़लता के बाद पुनः दर्शन पूजन के लिए गये। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि सूर्य सिद्धांत सबसे पहली किताब है जो मैंने संस्कृत में देखी। यह उस विषय के बारे में है जिससे मैं परिचित हूं। यह बुक विशेष तौर पर सौर प्रणाली के बारे में है, कैसे ग्रह सूर्य के चारों और घूमते हैं, इसकी गति की अवधि, घटनाओं से संबंधित समय आदि। यह सारा ज्ञान यहां से चला, अरब पहुंचा, फिर यूरोप गया और हजारों साल बाद महान पश्चिम वैज्ञानिक खोज के रुप में हमारे पास वापस आया। हालांकि, यह सारा ज्ञान यहां संस्कृत भाषा में लिखा गया था।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को संस्कृत से प्यार है भारत वैदिक काल से ही एक ज्ञानी समाज था। जिसमें संस्कृति की भूमिका रही है। सोमनाथ ने कहा कि गणित, चिकित्सा, तत्व विज्ञान, खगोल विज्ञान आदि विषय शामिल थे जो संस्कृत में लिखे गए थे। ‘पश्चिमी वैज्ञानिकों  खोज इसी पर आधारित हैं। संस्कृत दुनिया की सबसे प्राचीन यानी पुरानी भाषा है। जिसमें कविता तर्क, व्याकरण, दर्शन, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, गणित और अन्य संबद्ध विषय शामिल हैं।

नरेंद्र मोदी ने चंद्रयान-तीन  की लैंडिंग वाली जगह को शिवशक्ति नाम दिया था। उन्होंने कहा था कि  शिव में मानवता के कल्याण का संकल्प है और शक्ति हमें उन संकल्पों को पूरा करने की शक्ति देती है। चंद्रमा का यह शिवशक्ति बिंदु हिमालय से लेकर कन्याकुमारी तक के संबंध का भी बोध कराता है। शिव शक्ति महिला और पुरुष दोनों को दर्शाता है। इसरो में महिलाओं का भी योगदान है।एस। सोमनाथ ने कहा था कि नरेंद्र मोदी ने शिव शक्ति का अर्थ जिस तरीके से बताया है वह सभी के लिए सही है।

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