मुरादाबाद रिपोर्ट : इस खुलासे में लग गए 43 साल

  • 15 मुख्यमंत्री आए लेकिन रिपोर्ट पेश करने की हिम्मत नही जुटा पाया कोई
  • 43 साल बाद योगी सरकार ने सदन में रखी मुरादाबाद दंगों की रिपोर्ट,
  • रिपोर्ट पर केशव मौर्य ने कहा अब दंगा कराने वालों की सच्चाई आएगी सामने
  • मुरादाबाद दंगे की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखा गया,
  • 13 अगस्त 1980 को हुआ था जनपद मुरादाबाद में दंगा
  • दंगों की जांच रिपोर्ट को विलंब के कारणों सहित जांच आयोग ने अधिनियम 1952 की धारा 34 के अधीन सदन के पटल पर रखा,
  • 83 मौत/113से अधिक घायल ऑफिशियल रिपोर्ट में।

 

 

वरिष्ठ पत्रकार अमरेंद्र प्रताप सिंह की रिपोर्ट

लखनऊ। 1980 के मुरादाबाद दंगों की रिपोर्ट आज यानी मंगलवार 08 अगस्त को यूपी विधानसभा में पेश की गई है। प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार 43 साल के बाद इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए सामने लाई है। रिपोर्ट को सार्वजनिक किए जाने का डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने स्वागत किया।

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए कहा, ‘1980 के मुरादाबाद दंगों की रिपोर्ट जनता से छिपाई गई थी और इसे पेश किए जाने की जरूरत है।’ इस रिपोर्ट से प्रदेश ही नहीं देश की जनता को मुरादाबाद दंगों के बारे में सच्चाई जानने में मदद मिलेगी।

डिप्टी सीएम मौर्य ने कहा कि हर किसी को इस रिपोर्ट का स्वागत करना चाहिए क्योंकि इससे पता चल जाएगा कि दंगा कौन करता है? कौन इसका समर्थन करता है? और कौन इसके खिलाफ लड़ता है? इस दौरान मीडिया कर्मियों ने सवाल करते हुए पूछा कि ये रिपोर्ट 15 मुख्यमंत्रियों ने अभी तक क्यों पेश नहीं की थी? इस सवाल का जवाब देते हुए डिप्टी सीएम ने कहा कि ये तो उन 15 मुख्यमंत्रियों से सवाल पूछना चाहिए। अगर इस रिपोर्ट को वर्तमान में पेश किया जा रहा है तो उसका स्वागत होना चाहिए और दंगों का सच सभी के सामने आना चाहिए।

ईद के दिन शुरू हुआ था मुरादाबाद में दंगा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1980 में मुरादाबाद के अंदर हुए दंगों में करीब 83 लोगों की जान चली गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। जिस वक्त ये दंगे हुए थे उस समय प्रदेश में वीपी सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार थी। ऐसा बताया जा रहा है कि ये दंगा ईद के दिन शुरू हुआ था।

1983 में आई रिपोर्ट को अब तक की सरकारों ने सार्वजनिक नहीं किया

मुरादाबाद में हुए इन दंगों की रिपोर्ट जांच आयोग ने नवंबर 1983 में सरकार को सौंप दी थी, लेकिन सरकार ने कभी इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया। पिछले दिनों योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस रिपोर्ट का सार्वजनिक करने का फैसला लिया था। हालांकि, इसे लेकर काफी सियासत भी देखने को मिली थी।

15 मुख्यमंत्री बने, कोई भी रिपोर्ट सामने क्यों नहीं लाया?

मीडिया खबरों के मुताबिक, साल 1983 में रिपोर्ट आने के बाद प्रदेश में कई पार्टियों की सरकार सत्ता में आई। लेकिन, इस रिपोर्ट को कभी सार्वजनिक नहीं किया गया। इन दंगों के बाद से अभी तक 15 मुख्यमंत्री बने, लेकिन कोई भी सीएम इस रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखने की हिम्मत नहीं जुटा सका। वहीं, 40 साल गुजर जाने के बाद आज मुरादाबाद दंगों से जुड़ी इस रिपोर्ट को योगी सरकार सार्वजनिक करने के लिए सदन में रख दिया है।

 

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