पैसा फेंको मनमाफिक जेल पाओ!

  • नियमों को ताक पर रखकर सेंट्रल जेलों पर तैनात किए गए अधीक्षक
  • जेल विभाग के तबादलों में एक बार फिर हुआ बड़ा खेल

आर के यादव


लखनऊ। कारागार विभाग के तबादलों में एक बार फिर जमकर वसूली का बड़ा खेल हुआ है। शासन में बैठ अफसरों ने एक बार फिर चहेते अधिकारियों को मोती रकम लेकर मनमाफिक जेलों पर तैनात कर दिया गया। नियमों को ताक पर रखकर की गई नई तैनातियों को लेकर विभागीय अधिकारियों में तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे है। चर्चा है कि विभागीय मंत्री एवं शासन में बैठे आला अफसरों के मोटी रकम लेकर अधिकारियों को मनमाफिक जेलों पर तैनात किए जाने का मामला साफ दिखाई पड़ रहा है। मंगलवार की देर शाम करीब नौ वरिष्ठ अधीक्षक और अधीक्षक के तबादले कर दिए गए। अयोघ्या जिला जेल पर तैनात शशिकांत मिश्रा और जिला कारागार मेरठ और बाराबंकी जिला जेल पर तैनात पीपी सिंह को मुरादाबाद जिला जेल का नया वरिष्ठ अधीक्षक बनाया गया है। इसके साथ अलावा सात अन्य अधिकारियों को इधर-उधर किया गया है।

प्रमुख सचिव कारागार राजेश कुमार सिंह की ओर से जारी आदेश में जिला जेल आगरा के अधीक्षक पीडी सलोनिया को जिला कारागार खीरी, केंद्रीय कारागार आगरा में तैनात वरिष्ठ अधीक्षक आरके मिश्रा को कारागार मुख्यालय में वरिष्ठ अधीक्षक बनाया गया है। गोरखपुर जिला जेल में तैनात अधीक्षक ओपी कटियार को वरिष्ठ अधीक्षक की केंद्रीय कारागार आगरा, गाजीपुर जिला जेल में तैनात अधीक्षक हरिओम शर्मा को जिला जेल आगरा, सुलतानपुर जिला जेल में तैनात अधीक्षक उमेश सिंह को वरिष्ठ अधीक्षक वाली केंद्रीय कारागार वाराणसी, हरदोई जिला जेल में तैनात यूपी मिश्रा को अयोध्या जिला जेल का अधीक्षक बनाया गया है। इसके साथ ही बलरामपुर जिला जेल में कुंदन कुमार को जिला जेल बाराबंकी में अधीक्षक पद पर तैनात किया गया है। प्रमुख सचिव कारागार की ओर से जारी की गई इ स सूची में जेल नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई है। चर्चा है कि एक बार फिर वरिष्ठ अधीक्षक की जेलों पर बेतरतीब तरीके से अधीक्षक तैनात कर दिये गये। सूत्रों का कहना है कि इसके लिए जमकर वसूली की गई है।

सालों से जमे अधीक्षक नहीं हटे

पिछले करीब तीन साल से कमाऊ जेलों पर तैनात किसी भी अधीक्षक का शासन के अधिकारियों ने नहीं हटाया। मिली जानकारी के मुताबिक राजधानी की लखनऊ जेल में तैनात वरिष्ठï अधीक्षक आशीष तिवारी को तैनात हुए करीब तीन साल हो रहे है। इस दौरान जेल में तमाम घटनाएं भी हुई लेकिन इसके बावजूद उन्हें नहीं हटाया गया। इसी प्रकार गाजियाबाद में आलोक सिंह को भी तीन साल से इसी जेल पर जमें हुए है। इस जेल को प्रदेश की सबसे अधिक कमाऊ जेल माना जाता है। गौतमबुद्धनगर (नोएडा) जेल में अरुण कुमार सिंह को भी तीन वर्ष के करीब का कार्यकाल पूरा हो चुका है। शासन की जारी सूची में कई ऐसे अधिकारी शामिल है जिन्हें तैनात हुए अभी कुछ ही महीने हुए थे उन्हें तो हटा दिया गया लेकिन लंबे समय से एक ही स्थान पर जमें अधिकारियों को छुआ तक नहीं गया।

जेलमंत्री व प्रमुख सचिव का नहीं उठा फोन

जेल विभाग में वरिष्ठ अधीक्षक एवं अधीक्षक संवर्ग के अधिकारियों के तबादलों की पहली सूची में किए गए तबादलों के संबंध में जब कारागार विभाग के राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार धर्मवीर प्रजापति से बात करने का प्रयास किया गया तो कई प्रयासों के बाद भी उनका फोन नहीं उठा। कुछ ऐसा ही हाल प्रमुख सचिव राजेश कुमार सिंह का भी रहा उनसे भी काफी प्रयासों के बाद सम्पर्क नहीं हो पाया। जेल मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसे शासन का मामला बताते हुए कोई भी टिप्पणी से साफ इनकार कर दिया।

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