Father’s Day Special :  जगत पितरौ वंदे पार्वती परमेश्वरौ

  • माता- पिता दोनों हमारे लिए महान
  • संतान की सुरक्षा ,पोषण, विकास मे दोनों की भूमिका
  • भारतीय परंपरा मे दोनों की भूमिका अहम

बलराम कुमार मणि त्रिपाठी

जगत के माता पिता देवी पार्वती और शिव हैं। जिसके निमित्त बने हैं- हम संसार के सभी परिवार में माता पिता।  सृष्टि मे सहयोगी बने हम सभी प्राणी उसी जगत्पिता के संकेत से चलते हुए‌ संसार में अंडज, पिंडज, स्वेदज, उद्भिज सृष्टि हुईं। जिनकी जातियां,संवर्ग… एक ही ईश्वर से संचालित स्वीकार की गई हैं।

धन्य थे-  नचिकेता, जिन्होंने मनुष्य जाति को वैवाहिक वंधन मे बंधने का तरीका दिया।अग्नि को साक्षी बना कर वैदिक मंत्रों से सात फेरे दिलवा कर  दो परिवार जोड़ने की कला सिखाई। विष्णु रूप वर को लक्ष्मी स्वरुपा कन्या का दान करा कर ऐसे सुपुष्ट व्यवस्था दी कि जो पाश्चात्य देश समझ नहीं सके। भारत के ऋषियों के शोध से तमाम चमत्कृत करने वाली उपलब्धियां हुईं। प्रकृति में होने वाले परिवर्तनों के रहस्य खुले। हर घटना के पीछे का राज खुला । पंच तत्व धरती,अग्नि,जल,वायु,आकाश का दोहन करना हमने सीखा।  वायु के घटक जाने। सूर्य,चंद्र ग्रह उपग्रह की चाल से भविष्य का संकेत जाना। चीन,फ्रांस,जर्मनी आदि पाश्चात्य देशों के घुमंतू दार्शनिक आए। वेद पढ़ा,संस्कृत पढ़ कर पुराण और उपनिषदों का अर्थ जाना और अपने देश मे प्रचार प्रसार किया।इनसे ही वैज्ञानिकों को चिंतन की नई दिशा मिली। हम लोग आज अपनी ही थाती भुला बैठे है। अपने ग्रंथ नहीं पढ़ते सिर्फ पाश्चात्य देशों की तरफ निगाह गड़ाये हैं।

एक पिता अपनी संतानों को पोषण देता है,सुरक्षा देता है।सम्यकरुप से पालन पोषण कर,शिक्षा और संस्कार देकर  समाज के योग्य बनाता है। आजीवन उसका वरद हस्त अपनी संतानों के ऊपर बना रहता है। ऐसे हर माता पिता को नमन है। जो अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभा रहे हैं। भारतीय परंपरा में बिना माता – पिता के परिवार की कल्पना अधूरी है।

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