भारत-नेपाल में बिजली व्यापार के लिए दीर्घकालिक समझौते का रास्ता हुआ साफ

उमेश तिवारी


काठमांडू / नेपाल । भारत और नेपाल के बीच दीर्घकालिक ऊर्जा समझौते पर अगले हफ्ते दस्तखत हो जाएंगे। इस समझौते को लेकर हाल में प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल प्रचंड की भारत यात्रा के दौरान सैद्धांतिक सहमति बनी थी। दहाल ने प्रस्तावित करार को अपनी एक बड़ी उपलब्धि माना है। इसके तहत भारत अगले दस साल तक नेपाल से दस हजार मेगावाट बिजली खरीदेगा। दहाल ने इस बारे में अपनी नई दिल्ली यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की थी। उसके बाद बीते दो जून को दोनों देशों के ऊर्जा सचिवों के बीच आरंभिक समझौते पर दस्तखत हुआ था। लेकिन तब बताया गया था कि चूंकि भारत सरकार ने इस समझौते को अंतिम मंजूरी देने की प्रक्रिया पूरी नहीं की है, इसलिए पूरा समझौता तब नहीं हो सका था। नेपाल सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को अखबार काठमांडू पोस्ट से बातचीत में कहा- ‘अब दोनों पक्षों ने जरूरी प्रक्रियाएं पूरी कर ली हैं।’

काठमांडू पोस्ट के मुताबिक संभव है कि अगले 18 जून को इस समझौते पर दस्तखत हो जाए। इसके लिए नेपाल के ऊर्जा सचिव दिनेश कुमार घिमिरे नई दिल्ली जाएंगे। प्रधानमंत्री दहाल ने पिछले 31 मई से तीन जून तक भारत की यात्रा की थी। उस दौरान कई समझौते हुए थे और दीर्घकालिक ऊर्जा समझौते को लेकर सहमति बनी थी। नेपाल के ऊर्जा मंत्रालय के प्रवक्ता मधु कुमार भेटवाल के मुताबिक प्रस्तावित समझौता एक मोटी सहमति जैसा होगा। उन्होंने कहा- ‘हालांकि इसमें दस साल तक भारत को बिजली निर्यात करने का प्रावधान है, लेकिन इसे कभी भी जरूरत के मुताबिक बदला जा सकेगा।’ भेटवाल ने कहा कि समझौते के तहत प्रावधानों में लचीलापन रखा गया है, ताकि अगर भविष्य कभी जरूरी महसूस हो, तो प्रावधानों को बदला जा सके। भेटवाल ने कहा कि दोनों देशों के बीच बनी समिति ने इसी तरह के समझौते का सुझाव दिया था। इस समिति के सह-अध्यक्ष दोनों देशों के ऊर्जा सचिव हैं।

ऊर्जा, जल संसाधन, बिजली व्यापार आदि पर सुझाव देने के लिए भारत और नेपाल ने दो समितियां बना रखी हैं। इनमें एक के सह-अध्यक्ष दोनों देशों के ऊर्जा सचिव हैं, जबकि दूसरी समिति की सह-अध्यक्ष दोनों देशों के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी हैं। नेपाल के अधिकारियों ने दावा किया है कि समझौते के जिस रूप पर सहमति बनी है, उससे दोनों देश संतुष्ट हैं। समझौते पर दस्तखत होने के बाद दोनों देशों के अधिकारी आपसी बातचीत से बिजली व्यापार की प्रक्रियाओं को तय करेंगे। इसका लक्ष्य अगले दस साल तक नेपाल से भारत को दस हजार मेगावाट बिजली का निर्यात करना होगा। बताया गया है कि इस लक्ष्य का सुझाव भारतीय प्रधानमंत्री ने दहाल के सामने रखा था। यह समझौता होने के साथ ही भारत और नेपाल के रिश्तों में लंबे समय से मौजूद रहा एक पेंच दूर हो जाएगा। कूटनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इससे दोनों देशों के बीच आपसी भरोसा मजबूत होगा। नेपाल में यह शिकायत रही है कि भारत उसके हितों की अनदेखी करता है। इस समझौते से यह शिकायत काफी हद तक दूर हो जाएगी।

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