उमेश तिवारी
काठमांडू/नेपाल। नेपाल के प्रधानमंत्री बीते दिनों भारत की चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर आए थे जिसने नेपाल की सियासत में भूचाल मचा दिया है। नेपाल की मुख्य विपक्षी पार्टी सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा है कि नेपाली PM पुष्प कमल दहल प्रचंड की भारत यात्रा में प्रोटोकॉल शामिल नहीं थे। नेपाल का विपक्ष प्रचंड की भारत यात्रा की जमकर आलोचना कर रहा है और इसे एक ‘असफल दौरा’ करार दे रहा है। इससे पहले ओली की ही पार्टी के प्रदीप ज्ञवाली ने कहा था कि प्रचंड की यात्रा से नेपाल को कोई फायदा नहीं हुआ। ज्ञवाली ओली सरकार में नेपाल के विदेश मंत्री भी रह चुके हैं।
ओली ने सोमवार को नेपाल के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव (संसद) में बोलते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री की हालिया भारत यात्रा के दौरान कई प्रोटोकॉल चूक हुईं।’ उन्होंने कालापानी विवाद और बांग्लादेश के लिए व्यापार मार्ग को लेकर प्रचंड के प्रस्ताव पर भी आपत्ति जताई है। ओली ने कहा कि प्रचंड की यात्रा की कोई ‘ऐतिहासिक उपलब्धियां’ नहीं हैं। उन्होंने नेपाली PM की भारत यात्रा को ‘असंगठित और असफल’ बताया।
ओली ने कसा प्रचंड की यात्रा पर तंज
ओली ने तंज कसते हुए कहा, ‘प्रचंड की इकलौती उपलब्धि, अगर ऐसा कहा जाए तो, भारत सरकार की तरफ से 12 भैंसें देने का फैसला है।’ वहीं नेपाली PM ने अपनी यात्रा का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने सीमा मुद्दे के समाधान पर भारतीय पक्ष के साथ स्पष्ट बातचीत की है। प्रचंड ने संसद में कहा, ‘मुझे लगता है कि यह पहला मौका है जब किसी नेपाली प्रधानमंत्री ने भारतीय पक्ष के सामने इस मुद्दे को इतनी गंभीरता से उठाया है।’
‘सीमा मुद्दे को हल करने के लिए प्रतिबद्ध दोनों देश‘
उन्होंने कहा, ‘मैंने इस बात पर जोर दिया कि सीमा मामले को सुलझाए बिना नेपाल और भारत के संबंध नई ऊंचाइयों तक नहीं पहुंच सकते हैं।’ नेपाली प्रधानमंत्री के अनुसार भारत और नेपाल दोनों सीमा मुद्दे को हल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और यह दोनों देशों के लिए बेहद जरूरी मामला है। यहां तक कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सीमा मुद्दे को हल करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है।