
नई दिल्ली। सरकार ने आज स्पष्ट किया कि डाकघरों के निगमीकरण या निजीकरण का कोई प्रस्ताव नहीं है और इस संबंध में कुछ कर्मचारी संघ गलत और भ्रामक जानकारी दे रहे हैं। इसबीच सरकार ने अनियमित फंडिंग और कई प्रावधानों के उल्लंघन के आरोप में डाक विभाग में कार्यरत कर्मचारियों के दो संघों की मान्यता रद्द कर दी है। विभाग ने आज यहां जारी बयान में कहा कि डाकघरों का निगमीकरण या निजीकरण का कोई प्रस्ताव नहीं है। डाक विभाग के निजीकरण/निगमीकरण के संबंध में कुछ कर्मचारी संघ गैर-तथ्यात्मक और भ्रामक बयान दे रहे हैं। इसके उलट, सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बैंकिंग और सरकारी सेवाओं के प्रसार के लिए डाक नेटवर्क का उपयोग किया है। इसलिए, पिछले कुछ वर्षों के दौरान डाकघरों के नेटवर्क का लगातार विस्तार हुआ और उसमें मजबूती आई है।
उसने कहा कि कर्मचारी संघ हमेशा से डाक विभाग का अभिन्न अंग रहे हैं। ये संघ अपने सदस्यों के सेवा संबंधी साझा हितों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। केन्द्रीय सिविल सेवा (कर्मचारी संघों की मान्यता) नियम – CCS (RSA) नियम, 1993 संघों को मान्यता प्रदान करते हैं। CCS (RSA) नियम, 1993 के सभी प्रावधानों का पालन करना सभी मान्यता प्राप्त संघों के लिए आवश्यक है।
दो संघों – अखिल भारतीय डाक कर्मचारी संघ समूह ‘सी’ और राष्ट्रीय डाक कर्मचारी संघ (NFPE)- द्वारा इन नियमों का कथित उल्लंघन किए जाने के संबंध में एक शिकायत प्राप्त हुई थी। लगाए गए आरोप इन दोनों यूनियनों के सदस्यों से जुटाई गई धनराशि के अनियमित उपयोग से संबंधित थे। प्रक्रिया का पालन करते हुए उक्त शिकायतों के संबंध में एक विस्तृत जांच की गई। संघ को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया। जांच रिपोर्ट में संघ द्वारा धन के उपयोग में बरती गई विभिन्न अनियमितताओं की पहचान की गई, जो CCS (RSA) नियम, 1993 के प्रावधानों का सीधा उल्लंघन कर रहे थे। इन नियमों के तहत कई प्रावधानों का उल्लंघन विभिन्न पहलुओं के संदर्भ में सेवा संघों के उद्देश्यों के गैर-अनुपालन जैसा था। इसलिए प्रक्रिया का पालन करते हुए, डाक विभाग ने 25 अप्रैल, 2023 से अखिल भारतीय डाक कर्मचारी संघ समूह ‘सी’ और राष्ट्रीय डाक कर्मचारी संघ (NFPE) की मान्यता वापस ले ली है।(वार्ता)