- एनकाउंटर में ढेर हो गया अतीक का लाड़ला असर
- रमज़ान के पाक महीने में उसे मिली कुकर्मों की सज़ा
रतीन्द्र नाथ
पटना। कभी इस गीत को गाया था मोहम्मद रफ़ी और शैलेंद्र सिंह ने गाया था। तब उन्हें यह पता नहीं था कि यूपी के एक माफ़ियाँ परिवार पर यह गाना बिल्कुल सटीक बैठेगा। हालाँकि जिस दिन से अतीक ने माफियागिरी शुरू की थी और अपने परिवार को इस दलदल में धकेला था, उसी दिन तय हो गया था कि उसने अपने और परिवार के डेथवारंट पर दस्तख़त कर दिया है। केवल उसका तामीला बाक़ी था, जो आज झाँसी के पारीछा डैम के पास से शुरू हो गया। उसका लाड़ला असद जो उसकी सल्तनत को सँभालने की कुव्वत रखता था, को एसटीएफ़ ने मार गिराया। ‘नया लुक’ ने अपनी खोज बीन में पाया था कि असद काफ़ी ग़ुस्सैल प्रकृति का था और बचपन से ही उसे घोड़ा (संजय दत्त के एक फ़िल्म में रिवॉल्वर), घुड़सवारी और हनक भरी ज़िंदगी पसंद थी।
आज उसी सनक के चलते वह पुलिस (STF) की गोली का शिकार हो गया। नीली मोटर बाइक पर सवार असद और मोहम्मद झाँसी के पारीछा डैम के पास से गुजर रहे थे। पुलिस को इस बात की सटीक जानकारी थी, इसलिए वह पहले से जाल बिछाए बैठे थे। बक़ौल अमिताभ यश, पुलिस ने तीन बार उन्हें जीवित सरेंडर करने के लिए कहा, लेकिन वो मानने को तैयार नहीं थे। इसके उलट पर पुलिस पर फ़ायर झोंक दिए। जवाबी फ़ायरिंग में अतीक का नवाबजादा और उसका शूटर गुलाम मोहम्मद ढेर हो गया। उसके पास से विदेशी हथियार बरामद हुए हैं।
यहाँ पंचतंत्र की एक कहानी सटीक बैठती है- एक बच्चा बचपन में चोरी करता था, बाद में बड़ा डकैत हो गया। एक दिन वह पुलिस के हत्थे चढ़ा तो उसे जेल हो गई। एक दिन जेल में उसकी माँ उससे मिलने गई तो उसने अपनी माँ के कान काट लिए। लोग हैरत में पड़ गए कि इसने ऐसा क्यों किया? तब उसने जवाब दिया कि अगर मेरी पहली चोरी पर मेरी माँ ने मेरे कान तोड़े होते तो मैं जेल में न होता। मेरी इस दशा के लिए माँ भी ज़िम्मेदार है। आज असद के साथ जो हुआ उसकी ज़िम्मेदार भी उसकी माँ शाइस्ता परवीन है। पुलिस वाले की बेटी और बीच पास शाइस्ता ने अपने बेटे असद को इस दलदल में धकेला और आज वह पुलिस की गोली का शिकार हो गया।
इस हत्याकांड के बाद उमेश पाल की पत्नी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि मेरे सुहाग के क़ातिलों को सज़ा दिलाकर उन्होंने प्रदेश की बेटी को इंसाफ़ दिलाया। हालाँकि इस मुठभेड़ में यूपी पुलिस के एक डिप्टी एसपी नावेंदु चोटिल हैं। लेकिन वह ख़तरे से बाहर बताए जा रहे हैं।
हालाँकि आज उत्तर प्रदेश के प्रत्येक नागरिक के घर योगी आदित्यनाथ का डंका जहां बज रहा है। वहीं दूसरी तरफ़ माफिया, अपराधी उनका नाम सुनते ही कांप उठते हैं। मुख़्तार और अतीक जैसे डॉन जब ‘योगी नाम केवलम्’ जप रहे हैं तो छूटभैये अपराधियों की क्या बिसात है। हालत यह है कि दिन में भी अपराधियों के सपने में योगी ही आते हैं, तभी तो कई अपराधियों को एनकाउंटर में मौत की नींद सुला दिया जा रहा है। वहीं सैकड़ों से ज़्यादा गैंगस्टरों ने अपनी देह पर पट्टी लटकाकर विभिन्न पुलिस स्टेशनों में जाकर आत्मसमर्पण किया है। हर पट्टी पर लिखा हुआ था ‘योगी बाबा, मेरी जान बख्श दो अब क्राइम से तौबा करता हूँ … जीवन में मज़दूरी कर लूँगा मगर अपराध नहीं।’
आख़िर योगी का मोड्स ऑपरेंडी है क्या? जो अपराधियों में इतनी ख़ौफ़ है…। एक लाइन में इसका जवाब है- शूट ऐट साईट। पुलिस प्रशासन को योगी ने सख़्त आदेश दे रखा है क्रिमिनल को देखो और सीधे ठोंक दो, टपका दो, ख़ल्लास कर दो, सुपुर्द-ए-खाक कर डालो। यानी योगी ने पुलिस प्रशासन को फ्री हैंड दे रखा है। कोई सियासी दख़लंदाज़ी नहीं है। तभी तो यूपी में अवाम की सवारी पटरी पर सरपट दौड़ रही है। इसकी ताज़ा मिसाल है मुख़्तार को सजा दिलवाना, उसके साहबज़ादे को गिरफ़्तार करवाना तथा अतीक के ख़िलाफ़ प्रयागराज की अदालत में चार्ज फ्रेम करवाना। गुरुवार को प्रयागराज की सीजेएम कोर्ट ने माफ़िया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ़ को सात दिनों के पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। अब पुलिस वकील उमेश पाल की हत्या के सम्बन्ध में उनसे पूछताछ करेगी।
कहीं खुशी कहीं ग़म…
भले ही असद के एनकाउंटर के बाद पूरे सूबे में योगी आदित्यनाथ की जय-जय हो रही है, लेकिन अतीक को पनाह देने वाले और देह में खादी का चोला पहनाने वाले एक ख़ास दल के कई दिग्गज नेताओं के वहाँ शाम को चूल्हा नहीं जलेगा। एक विशेष पार्टी के नेता इसे मजबही चाशनी में डुबाना चाहेंगे, लेकिन उन्हें यह मालूम होना चाहिए कि यह रमज़ान का पाक महीना चल रहा है और इसमें कोई भी ग़लत काम करने के लिए इस्लाम में मनाही होती है। लेकिन असद और गुलाम सरीखे लोग न हिंदू होते हैं और न ही मुसलमान होते हैं, यह सिर्फ़ और सिर्फ़ शैतान होते हैं। ऐसे शैतानों का एनकाउंटर होना ज़रूरी था।