प्रसाद का अपमान करने से होता है भगवान का अपमान : आचार्य वीरेंद्र तिवारी
महराजगंज। महराजगंज जनपद के घुघली थाना क्षेत्र के मेदिनीपुर के शम्मै माता मंदिर पर चल रहे शतचण्डी महायज्ञ रविवार को संपन्न हो गया। कथा के समापन पर हवन यज्ञ और विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने पहले हवन यज्ञ में आहुति डाली और फिर प्रसाद ग्रहण कर पुण्य कमाया। शतचण्डी महायज्ञ का आयोजन समिति के संरक्षक अनिल श्रीवास्तव, व्यवस्थापक वीरेन्द्र चौधरी के नेतृत्व में जनसहयोग से करवाया गया था। कथा वाचक यज्ञ आचार्य वेद व्यास आचार्य वीरेन्द्र तिवारी ने लगातार 9 दिन तक चली कथा में भक्तों को मानव जीवन से जुड़े सत्कर्म तथा भागवत कथा की महिमा बताई। उन्होंने लोगों से भक्ति मार्ग से जुड़ने और सत्कर्म करने को कहा। आचार्य वीरेंद्र तिवारी ने कहा कि हवन-यज्ञ से वातावरण एवं वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है। व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है।
दुर्गुणों की बजाय सद्गुणों के द्वार खुलते हैं। यज्ञ से देवता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं। उन्होंने बताया कि महायज्ञ करने तथा भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भव सागर से पार हो जाता है। शतचण्डी महायज्ञ से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है। कथावाचक आचार्य वीरेंद्र तिवारी ने भंडारे के प्रसाद का भी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि प्रसाद तीन अक्षर से मिलकर बना है। पहला प्र का अर्थ प्रभु, दूसरा सा का अर्थ साक्षात व तीसरा द का अर्थ होता है दर्शन। जिसे हम सब प्रसाद कहते हैं। प्रसाद हर कथा या अनुष्ठान का तत्वसार होता है जो मन बुद्धि व चित को निर्मल कर देता है। मनुष्य शरीर भी भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। जीवन में प्रसाद का अपमान करने से भगवान का ही अपमान होता है।
भगवान का लगाए गए भोग का बचा हुआ शेष भाग मनुष्यों के लिए प्रसाद बन जाता है। कथा समापन के दिन रविवार को विधि – विधान से पूजा करवाई। दोपहर तक हवन और भंडारा कराया गया। इसमें मुख्य यजमान गुड्डू पाण्डेय ने अपने परिवार के साथ आहुति डाली। गांव, कस्बे और तमाम शहरों से आए श्रद्धालुओं ने भी हवन में आहुति डाली। इस अवसर पर 1100 कुवांरी कन्याओं का पूजन कर भोजन ग्रहण करवाया गया और भोजन दक्षिणा देकर श्रद्धालुओं ने उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। पूजन के बाद दोपहर को वृहद भंडारा लगाकर श्रद्धालुओं में प्रसाद बांटा गया। जिसमें लगभग 12 हजार से अधिक श्रद्धालुओं और आम जनमानस ने दिव्य भण्डारे का प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर विजय चौधरी, मोहनलाल कोटेदार, सर्वज्ञ नाथ त्रिपाठी, करूणेश्वर त्रिपाठी, नरेन्द्र नाथ त्रिपाठी, गोरखनाथ पाण्डेय, दया निषाद, मकसूद आलम, राजबहादुर सिंह, रामध्यान मल्ल, रमाकर कृष्ण त्रिपाठी, जंगी यादव तथा राम प्यारे आदि श्रद्धालुओं को विशेष सहयोग रहा। यज्ञ के सफल आयोजन पर यज्ञ समिति के संरक्षक अनिल श्रीवास्तव ने सभी सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए खुशी जाहिर किया।