गवाहों के गनर और शैडो की भी जान पर आई आफ़त
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। यूपी सरकार अधिकारियों को मुकदमों की पैरवी के लिए जवाबदेही बनाकर अपराधियों को पकड़ने व उन्हें सज़ा दिलवाने के लिए प्रयासरत है, लेकिन अपराधी और माफिया सज़ा से बचने के लिए गवाहों को निशाना बना रहे हैं। प्रयागराज एक हत्या के मुख्य गवाह भाजपा नेता कृष्ण कुमार पाल उर्फ उमेश पाल व उनके सरकारी गनर की हत्या एक बार फिर सरकार के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। एक ओर गवाहों की सुरक्षा का सवाल खड़ा हो गया है। तो दूसरी तरफ़ गवाहों की सुरक्षा में लगे गनर और शैडो की जान पर भी आफ़त आ गई है।
सूबे में गवाहों की जान हमेशा ख़तरे में रही है। वर्ष 2005 बसपा विधायक राजू पाल उर्फ की हुई हत्या के मामले में चश्मदीद गवाह भाजपा नेता कृष्ण कुमार पाल उर्फ उमेश पाल की बेखौफ बदमाशों ने बम और गोलियों की बौछार कर मौत की नींद सुला। इस सनसनीखेज मामले में घरवालों ने गुजरात जेल में बंद अतीक पर हत्या की साज़िश का आरोप लगाया है।
गवाहों की जान की खतरा पर गौर करें तो 6 जनवरी वर्ष 2021 को आजमगढ़ जिले के जीयनपुर कोतवाली क्षेत्र निवासी पूर्व विधायक सीपू सिंह हत्याकांड में गवाह रहे मऊ निवासी अजीत सिंह की असलहों से लैस बदमाशों ने राजधानी लखनऊ के विभूतिखंड क्षेत्र स्थित कठौता चौराहे पर ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार कर मौत की नींद सुला दिया था।
,,, इससे पहले भी कई गवाहों की जानें जा चुकी हैं,,,
नोएडा में एक हत्या के मुख्य गवाह के पिता और सुरक्षाकर्मी की हत्या कर दी गई थी। गाजीपुर जिले में ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह उर्फ मन्ना सिंह की हत्या के गवाह राम सिंह मौर्य बयान बदलने पर राज़ी न हुए तो कुछ वर्ष पहले मऊ में उनकी हत्या कर दी गई। इन मामलों को लोग भुला भी नहीं पाए थे कि बदमाशों ने प्रयागराज जिले में भाजपा नेता कृष्ण कुमार पाल उर्फ उमेश पाल सिंह की हत्या कर सनसनी फैला दी। यह तो बानगी भर है इससे पहले भी कई गवाह बदमाशों के गोलियों का निशाना बन चुके हैं।