EXCLUSIE CRIME NEWS: साल-दर-साल कमजोर हो रही थी मुख्तार की फायर पॉवर, कुछ इस तरह गई मुख्तारी

ए अहमद सौदागर

लखनऊ। बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद भले ही कुछ बातें संबंधित विभाग की फाइलों में गोते लगा रही हों, लेकिन कड़वा सच यह है कि अपराध का इतिहास अनगिनत रहा। मुख्तार अंसारी के राजनीतिक और आर्थिक साम्राज्य के साथ उसके गैंग की फायर पावर कई सालों से कमजोर होती रही। खासतौर पर गौर करें तो भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में शामिल रहे सूचीबद्ध शूटर या तो पुलिस मुठभेड़ या फिर विरोधियों की गोलियों का निशाना बन बनते रहे। लखनऊ की भरी अदालत में सूचीबद्ध अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की हुई हत्या इसी कमजोर कड़ी का एक अहम उदाहरण है।

बागपत जेल में मारे गए मुन्ना बजरंगी से शुरूआत…

माफिया मुख्तार गैंग के कमजोर होने का सिलसिला उसके सबसे खास रहे मुन्ना बजरंगी की हत्या से शुरू हुआ। भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या समेत मुख्तार के लिए कई संगीन वारदात अंजाम देने वाले मुन्ना बजरंगी को नौ जुलाई 2018 को बागपत जेल में गोलियों से छलनी कर मौत की नींद सुला दिया गया था। मुन्ना की हत्या के बाद ही मुख्तार ने उत्तर प्रदेश की जेल से पंजाब राज्य की रोपड़ जेल जाने की साज़िश और यहां से निकल गया था।

दूसरा निशाना बना हनुमान…

मुन्ना बजरंगी के बाद विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड में शामिल रहा मुख्तार का करीबी शूटर राकेश पाण्डेय उर्फ हनुमान पांडेय एसटीएफ के साथ हुई पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। यह मुठभेड़ नौ अगस्त 2020 को राजधानी लखनऊ में हुई थी। इसके बाद तीसरा करीबी छह जनवरी 2021 को राजधानी लखनऊ के विभूतिखंड क्षेत्र में पूर्व ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह को उसके विरोधियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग गोलियों से भून डाला।

सलाखों के पीछे मारा गया मेराज

पूर्व ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह हत्याकांड के चार महीने बाद चित्रकूट जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी के करीबी मेराज की गोली मारकर हत्या कर दी गई। बताया जा रहा है कि मेराज इस गैंग के लिए असलहे और फंडिंग जुटाने का काम करता था। उसे कुछ वर्षों पहले रायबरेली के पास से पाकिस्तानी पिस्टल के साथ गिरफ्तार किया गया था।

राजधानी लखनऊ में मारा गया मुख्तार का करीबी अली शेर…

बताया जा रहा है कि चित्रकूट जेल में मारे गए मेराज के पांच महीने बाद गैंग के शूटर खूंखार अपराधी अली शेर को राज्य की एसटीएफ मुठभेड़ के दौरान मार गिराया। एसटीएफ ने उसके साथ कामरान उर्फ बन्ने नाम के शूटर को मुठभेड़ के दौरान मार गिराया था। इसी बीच राज्य की STF ने 13 मार्च 2021 को मुन्ना बजरंगी और मुख्तार से जुड़े रहे शूटर दीपक वर्मा उर्फ गुड्डू को भी वाराणसी में मुठभेड़ में मार गिराया। यही नहीं भाजपा विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड में शामिल नौशाद को 23 दिसंबर 2005 को जौनपुर में पुलिस ने पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया था। यह तो फिलहाल बानगी भर है बताया जा रहा है कि और भी कुछ ऐसे खूंखार अपराधी हैं, जिनकी तलाश पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही है।

मुख्तार गैंग के 292 सदस्यों के खिलाफ हुई कार्रवाई, पांच का एनकाउंटर

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पूरे प्रदेश से माफिया को मिटा रहे हैं… अगला नाम पूर्वांचल के एक और डॉन का…

यूपी को माफिया मुक्त प्रदेश बनाने का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संकल्प लगभग पूरा हो चुका है। कभी पूरे उत्तर भारत को अपने माफिया नेक्सस से आतंकित रखने वाले मुख्तार अंसारी की पूरी सल्तनत मिट्टी में मिल चुकी है। योगीराज में माफिया के खिलाफ न सिर्फ अदालतों में प्रभावी पैरवी चल रही है और एक के बाद एक उसके जघन्य अपराधों की सजा मिल रही है, बल्कि कोर्ट से बाहर भी मुख्तार के पूरे माफिया साम्राज्य को तहस नहस करने की कार्रवाइयां लगातार चल रही हैं। इसी का नतीजा है कि मुख्तार अंसारी द्वारा अवैध तरीकों से बनाई गई 605 करोड़ से अधिक की संपत्ति को योगी सरकार ने जब्त और ध्वस्त करा दिया है।

यह भी पढ़ें और जानें कौन था मुख्तार अंसारी

EXCLUSIVE: योगी के भय से कुछ दिनों पहले गई थी मुख्तारी, अब चला गया मुख्तार…

बता दें कि योगी सरकार द्वारा मुख्तार अंसारी के खिलाफ प्रभावी पैरवी का ही नतीजा है कि बीते 15 महीने में माफिया को सात मामलों में सजा सुनाई गई थी। इसमें उम्रकैद जैसी अधिकतम सजा भी शामिल है। मुख्तार के खिलाफ कुल 65 मामले दर्ज थे। वहीं माफिया के नेक्सस को तोड़ने के लिए उसके पूरे गैंग के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाइयों को अंजाम दिया गया, जिसमें उसके 292 सहयोगियों के खिलाफ अबतक 160 मुकदमे दर्ज किये गये थे। इतना ही नहीं उसके 186 सहयोगियों की अबतक गिरफ्तारी भी हुई थी। कानून व्यवस्था को लेकर योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का ही परिणाम है कि मुख्तार के गैंग के 18 सदस्य ने तो सरेंडर करने में ही अपनी भलाई समझी। मुख्तार के माफिया नेक्सस को तोड़ने की कार्रवाई में पुलिस ने 175 अवैध हथियारों को भी जब्त किया है। अपने माफिया नेटवर्क के जोर से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बने मुख्तार गैंग पर NSA के तहत छह मामले दर्ज थे। वहीं माफिया के पांच शूटर्स पुलिस मुठभेड़ में पहले ही ढेर किये जा चुके हैं।

माफिया के आर्थिक साम्राज्य को नेस्तनाबूद करने के लिए धारा 14(1) के तहत 317 करोड़ 97 लाख 90 हजार 709 रुपये की सम्पत्ति अबतक जब्त की। यही नहीं 287 करोड़ 56 हजार 810 रुपए की अवैध संपत्ति को कब्जामुक्त और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को भी योगी राज में अंजाम दिया गया। यानी कुल 604 करोड़ 98 लाख 47 हजार 519 रुपए की माफिया की संपत्ति को जब्त, ध्वस्त और कब्जामुक्त कराया गया। सबसे अहम बात ये कि माफिया के आतंक से चलने वाले ठेका, टेंडर और अवैध व्यवसायों पर भी योगी सरकार ने जबरदस्त चोट पहुंचाई गई। नतीजतन हर साल मुख्तार के अवैध धंधों को 215 करोड़ से अधिक की चपत लगी और अंततः वह बांदा जेल में हार्ट अटैक के चलते दुनिया से चल बसा।

माफिया कि मौत! अंत भला तो सब भला!!

योगी नाम केवलम जप रहे माफिया

कभी अतीक की तूती बोलती थी, अब इतिहास में तब्दील हुआ यह माफिया

आज उत्तर प्रदेश के प्रत्येक नागरिक के घर योगी आदित्यनाथ का डंका बज रहा है। वहीं दूसरी तरफ़ माफिया, अपराधी उनका नाम सुनते ही कांप उठते हैं। मुख्तार और अतीक जैसे डॉन जब ‘योगी नाम केवलम’ जपने लगे थे तो छूटभैये अपराधियों की क्या बिसात? हालत यह है कि दिन में भी अपराधियों के सपने में योगी आते हैं, तभी तो कई अपराधियों को एनकाउंटर में मौत की नींद सुला दिया जा रहा है। सैकड़ों से ज़्यादा गैंगस्टरों ने अपनी देह पर पट्टी लटकाकर विभिन्न पुलिस स्टेशनों में जाकर आत्मसमर्पण किया है। हर पट्टी पर लिखा हुआ था ‘योगी बाबा, मेरी जान बख्श दो अब क्राइम से तौबा करता हूँ… जीवन में मज़दूरी कर लूंगा मगर अपराध नहीं।’

कहां से आया ‘माफिया’ शब्द

माफिया अल्फ़ाज़ की बुनियाद 18वीं सदी में पड़ी थी। इसकी नींव इटली में डाली गई थी। दरअसल, उस दौरान जब फ्रांसीसियों ने सिसली पर विजय प्राप्त की थी, तो इटली में क्रांतिकारियों ने एक भूमिगत संगठन तैयार किया था, जिसे रू्रस्नढ्ढ्र कहा जाता था। यह अंग्रेज़ी के पाँच अक्षरों से मिलकर बना है। इसका मतलब यूँ- एम-मोर्टे, ए-अला, एफ-फ्रांकिया, आई- इटैलिना और ए-आमेल्ला। यानी इटली में आए हुए फ्रांसिसियों को मार दो। फ्रांस के अनेक सैनिकों तथा क्रांतिकारियों की हत्या इसी संगठन द्वारा की गई थी। फ्रांस के शासन का अंत हो गया। लेकिन इस ख़ूँख़ार संगठन की याद लोगों के ज़ेहन में सदा के लिए बैठ गई। कालांतर में सिसली के अपराधी संगठनों ने इस शब्द को हमेशा के लिए अपना लिया। उनमें अधिकांश अपराधी अमेरिका चले गए। अपराधियों ने संगठित अपराध के साथ माफिया अल्फ़ाज़ को जोड़ लिया। आहिस्ते-आहिस्ते यह शब्द हिंदुस्तान समेत पूरी दुनिया में प्रचलित होता गया।

कब की घटना है जानना चाहते हैं तो अतीक के लिए यह खबर क्लिक करें

अतीत हुआ अतीकः सुरक्षा में बड़ी चूक, दोनों भाइयों की हत्या

Central UP

जानकीपुरम विस्तार में शुरू हुई सृजन झंकार संगीत प्रशिक्षण अकादमी

नृत्य गायन वादन के साथ ही मॉडलिंग और जुंबा नृत्य बन रहे हैं युवाओं के आकर्षण लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस के अवसर पर सांस्कृतिक गतिविधियों के स्कूल ‘सृजन झंकार’ और सृजन फाउंडेशन के नए कार्यालय का उद्घाटन 28 अप्रैल को पूर्व महापौर सुरेश चन्द्र अवस्थी और विशिष्ट अतिथि लक्ष्य जनकल्याण समिति के अध्यक्ष एसके वाजपेई […]

Read More
Central UP

BBLC इण्टर कालेज खमरिया में क्रिकेट टूर्नामेंट का ब्लॉक प्रमुख ने फीता काटकर किया शुभारंभ

नया लुक संवाददाता खमरिया खीरी। स्थानीय BBLC इण्टर कालेज में स्वर्गीय पंडित रामनरेश अवस्थी की स्मृति में रविवार को क्रिकेट टूर्नामेन्ट का शुभारम्भ हो गया। क्रिकेट टूर्नामेंट के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहुचे ब्लॉक प्रमुख ने फीता काटकर खामरिया नाईट राइडर्स व मुस्कान इलेवन समर्दा के बीच मैच का शुभारंभ करवाया। […]

Read More
Central UP

जीवन ज्योति एकेडमी, सैनिक नगर तेलीबाग, लखनऊ में हाई स्कूल बोर्ड का शत प्रतिशत परीक्षा परिणाम

  जीवन ज्योति एकेडमी, सैनिक नगर तेलीबाग, लखनऊ में बोर्ड परीक्षा वर्ष-2024 का परिणाम आने के बाद छात्र-छात्राएं खुशी से झूम उठे।विद्यालय का परिणाम शत प्रतिशत रहा। विद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली छात्रा शुभी सिंह ने 89.3 तथा दूसरे स्थान पर श्रेया गौतम ने 88.1 तथा तीसरे स्थान पर रहने वाली खुशबू गुप्ता […]

Read More