फिर वही मनमोहिनी कोयला घपला! इस बार भूपेश बघेल वाला !!

के. विक्रम राव
              के. विक्रम राव

कांग्रेस, कोयला, कालिमा अब शब्दकोश में पर्यायवाची बन गए हैं। एक ही अर्थ वाले। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार द्वारा कोयला लेवी धनशोधन घोटाला के भंडाफोड़ के अंजाम में ऐसा घृणित मंजर कल (20 फरवरी 2023) रायपुर में पेश आया है। भूपेश बघेल, मुख्यमंत्री, पर भी लपटें आई हैं क्योंकि उनकी महिला उपसचिव की शिरकत भी उभरी है। एक वरिष्ठ IAS अधिकारी समीर विश्नोई जेल में हैं। वसूली का आरोप है। भूपेश बघेल अपने बचाव में कहते हैं कि प्रवर्तन निदेशालय का दुरुपयोग कर मोदी सरकार द्वारा उनकी 138-वर्ष पुरानी कांग्रेस पार्टी के रायपुर में होने वाले अधिवेशन के ठीक पूर्व यह छापेमारी हुई है, जो प्रतिशोधात्मक है। वस्तुस्थिति यह है कि रायपुर का पूरा माजरा सरदार मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री काल (29 मई 2012) के कोयला घोटाले का आधुनिक संस्करण लगता है। तब सीबीआई के स्पेशल कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आरोपी के तौर पर समन किया था, जिस समय कोयला गोलमाल हुआ था।

उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री के पास कोयला मंत्रालय का प्रभार भी था। फिर मनमोहन सिंह सरकार के वरिष्ठ IAS अधिकारी और कोयला सचिव एचसी गुप्ता को तीन साल की सजा हुई थी। कांग्रेसी प्रधानमंत्री पर छीटें तो पड़ी थीं, मगर जेल यात्रा से बच गये। बस नौकरशाह ही सजा पायें। उस काल खंड की न्यायिक रपट आज बहुत प्रासंगिक और प्रमाणिक दिखती है। अर्थात कोयला के घाघ खिलाड़ी वही पुरानी हरकत से छत्तीसगढ़ में खेल चला रहे हैं। मनमोहन सिंह के शासनकाल में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रपट के मुताबिक़ कोयला घोटाला एक लाख 86 हज़ार करोड़ रुपए का अनुमानित घपला था। कैग ने कहा था कि निजी कंपनियों को कोयले की खानें मिलने से सरकार को पौने दो लाख करोड़ से अधिक का नुक़सान हुआ। इन कंपनियों को कोयला की खानों का बिना कोई बोली लगाए लाइसेंस दे दिया गया था। विश्लेषकों का कहना था कि अगर इन कोयला खानों की नीलामी की गई होती तो भारत सरकार को इतना घाटा नहीं उठाना पड़ा होता।

फूहड़ मजाक तो यह हो रहा है कि भूपेश बघेल कि सरकार ने बेतुके ढ़ंग से कोल डिस्पैच ऑर्डर की प्रक्रिया को ऑनलाइन से ऑफलाइन करने का तर्कहीन बचाव किया है। खनिज साधन विभाग की ओर से कहा गया है, कि इस बदली प्रक्रिया की वजह से सरकार को सात हजार 217 करोड़ रुपए का राजस्व मिला है। प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी कार्रवाई में इसी ऑफलाइन कोल डिस्पैच ऑर्डर सिस्टम को भ्रष्टाचार का पेंडोरा बॉक्स (भानुमति का पिटारा !) बताया है। प्रवर्तन निदेशालय का दावा है कि छत्तीसगढ़ में कोयला ढुलाई के तहत नेताओं, अधिकारियों और अन्य लोगों का एक गिरोह कथित तौर पर ‘अवैध कर-वसूली की समानांतर प्रणाली’ चला कर प्रतिदिन लगभग 2 से 3 करोड़ रुपये अर्जित कर रहा है। संघीय जांच एजेंसी ईडी ने गत सप्ताह की शुरुआत में छत्तीसगढ़ में कई जगह छापे मारने के बाद समीर विश्नोई, IAS, और दो अन्य को गिरफ्तार किया था।

राज्य की राजधानी रायपुर की एक अदालत ने उन्हें ईडी की हिरासत में भेज दिया। ईडी ने कहा कि 2009 बैच के यह आईएएस अधिकारी विश्नोई और उनकी पत्नी के पास से 47 लाख रुपये की ‘बेहिसाब’ नकदी और चार किलोग्राम सोने के आभूषण मिले। ईडी ने एक बयान में कहा कि यह मामला ‘एक बड़े घोटाले से संबंधित है जिसमें छत्तीसगढ़ में वरिष्ठ नौकरशाहों, व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलियों से जुड़ा एक गिरोह ढुलाई किये जाने वाले प्रति टन कोयले पर अवैध रूप से 25 रुपये का कर वसूल रहा है। कांग्रेस के इस पूरे कोल प्रकरण में भूत पूर्व भाजपाई मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह की हास्य रस की भावना तेजी से बह चली है। वे बोले कि भूपेश बघेल अब “सोनिया-कांग्रेस के एटीएम हैं”।

घोटाले की आवक दिल्ली मे पार्टी मुख्यालय को जाती है। यूं भी पंजाब, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में सोनिया-कांग्रेस की सरकार गिर जाने और सत्ता फिसल जाने से कांग्रेस की वित्तीय मुफलिसी हो ही गई है। छत्तीसगढ़ आवक का खास स्त्रोत है। डॉ. रमन सिंह ने कहा भी कि “बेल (जमानत) पर छूटा मुखिया अब बेलगाम हो गया। चंद पैसों के लिए भ्रष्ट अधिकारियों का गुलाम हो गया। यह लोग आगे की कार्यवाही के लिए तैयार हो लें। साथ ही अब माफी भी मांग लें। सारे नाम सामने आएंगे, सारे भ्रष्टाचार उजागर होंगे। सच सामने आएगा, सब सामने आएगा। मैं पहले बता चुका हूं। मैं साल भर से बोल रहा हूं। मैं बार-बार कहता हूं कि भूपेश बघेल सोनिया गांधी का एटीएम है।” अर्थात निर्मला सीतारमण ने अब उनके एटीएम पर ही छापा डाला है।

K. Vikram Rao
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