उमेश तिवारी
नौतनवा/महराजगंज। लुंबिनी डेवलपमेंट फंड ने कपिलवस्तु क्षेत्र में बौद्ध सर्किटों का निरीक्षण किया। भारत से जोड़कर बनने वाले बौद्ध सर्किट पथ के संबंध में जानकारी ली। मंगलवार की दोपहर लुम्बिनी कोष के उपाध्यक्ष भिक्षु मैतया, कोषाध्यक्ष धुंडीराज भट्टराई (सिद्धिचरण), सदस्य सचिव सनुराजा शाक्य, योजना प्रमुख सरोज भट्टराई की टीम ने प्राचीन तिलौराकोट महल, सगरहवा और सिसहनिया का दौरा किया।
इस अवसर पर प्रस्तर राष्ट्रीय कार्यशाला के पदाधिकारियों ने तिलौराकोट के प्रबंधन, सिसहनिया के संरक्षण और सगरहवा को बौद्ध पार्क के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए। कोष के उपाध्यक्ष भिक्षु मैतया ने कहा कि चूंकि कपिलवस्तु में बौद्ध सभ्यता के कई अवशेष हैं, इसलिए कोष धीरे-धीरे उत्खनन, संरक्षण और विकास के लिए काम करेगा। उन्होंने कहा कि तिलौराकोट को विश्व विरासत सूची में शामिल करने की तैयारी के लिए आवश्यक पूरी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।
निरीक्षण के बाद सदस्य सचिव सनुराजा शाक्य ने कहा कि तिलौराकोट, सगरहवा और सिसहनिया क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए प्रथम चरण में तुरंत दीवार का निर्माण शुरू करने की आवश्यकता है। अनुश्रवण में योजना प्रमुख सरोज भट्टराई, कोष के बोर्ड सदस्य विश्वराज पौडेल, एक अन्य बोर्ड सदस्य रामनरेश कोहर, परिषद सदस्य गोपी कृष्ण शर्मा, निधि के पुरातत्व विभाग के प्रमुख हिमाल उप्रेती आदि उपस्थित थे।