जनपद में बौद्ध धरोहरों के सहेजने से विकास की प्रबल संभावना : सत्येन्द्र कुमा
उमेश तिवारी
नौतनवा/महराजगंज। बौद्ध सर्किट के अंतरराष्ट्रीय एक्जिट प्वाइंट सोनौली में IPC व लॉजिस्टिक हब के बाद शासन ने जनजातीय संग्रहालय (ट्राइबल म्यूजियम) की सौगात दी है। शासन से इसके लिए 24 करोड़ की स्वीकृति मिल चुकी है। जिला प्रशासन ने सोनौली के कुनसेरवा बाईपास के पास तीन एकड़ जमीन चिह्नित की है। कार्यदायी संस्था साइट विजिट के बाद डीपीआर तैयार कर रही है। धन मिलते ही निर्माण शुरू हो जाएगा। इस संग्रहालय में थारू जनजाति के उद्विकास से लेकर उनकी संस्कृति, परंपराएं, धर्म, जीवनशैली आदि सभी आयामों को झांकी के माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा। जिले में उत्खनन से मिले बौद्धकालीन अवशेष की धरोहरें इसमें संजोई जाएंगी।
भारत-नेपाल से सटे जिले के कई सीमावर्ती गांव में थारू परिवार आबाद हैं। बरगदवा में जनजातीय कॉलेज भी है। थारुओं का रहन-सहन, पूजा-पाठ, रीति रिवाज, पोशाक आदि उन्हें विशिष्ट बनाती हैं। आधुनिकता से थारू समुदाय की पहचान रस्म तक ही सिमटकर रह गई है।
नई पीढ़ी अपनी संस्कृति न भूले, इसके लिए प्रदेश सरकार ने जनजातीय संग्रहालय के निर्माण की स्वीकृति दी है। इस संग्रहालय में थारुओं की वेश-भूषा, वाद्य यंत्र व कलाकृतियों को सुरक्षित रखा जाएगा। उनके जीवन की झांकी भी प्रदर्शित की जाएगी।
म्यूजियम में कन्वेंशन सेंटर भी बनेगा,
जनजातीय संग्रहालय में ट्राइबल आर्टिटेक्ट के अलावा कन्वेंशन सेंटर भी बनेगा। इसमें अलग-अलग प्रकृति के समारोह, शिविर और प्रदर्शनियां आयोजित की जाएंगी। इन गतिविधियों से जनसामान्य को जनजातीय सभ्यता व संस्कृति से जोड़ा जाएगा। संग्रहालय का मुख्य उद्देश्य बड़ी से बड़ी संख्या में समाज (दर्शकों) से खुद को जोड़ना व उनसे संवाद कायम करना है।
388 स्थलों से खुदाई में मिलीं बौद्धकालीन वस्तुएं संरक्षित होंगी
जिले में भगवान बुद्ध से जुड़े दो महत्वपूर्ण स्थल रामग्राम व देवदह है। रामग्राम के बारे में मान्यता है कि यहां भगवान बुद्ध का आठवां अस्थि मूल स्वरूप में स्तूप के नीचे संरक्षित है। देवदह में भगवान बुद्ध का ननिहाल था। बीते दशक में लक्ष्मीपुर क्षेत्र के प्राचीन बौद्ध स्थल गौतम बुद्ध के ननिहाल देवदह के टीलों की खुदाई हुई थी। इसमें गौतम बुद्ध से संबंधित कई अवशेष मिले थे। उन्हें शहर के जवाहर लाल नेहरू स्मारक पीजी कालेज के एक कमरे में संरक्षित रखा गया है। डीएम ने इन अवशेषों की कार्बन डेटिंग कर उनकी आयु व काल निर्धारित करने के निर्देश दिए हैं। जनपद में करीब 388 स्थलों से खुदाई में पुरातात्विक महत्व की वस्तुएं प्राप्त हुई हैं। इन सभी अवशेषों जनजातीय संग्रहालय में संजोया जाएगा।
इस संबंध में जिलाधिकारी महराजगंज सत्येन्द्र कुमार ने बताया कि जनताजीय संग्रहालय के लिए शासन से स्वीकृति मिल चुकी है। सोनौली में कुनसेरवा बाईपास के समीप जमीन भी चिह्नित कर ली गई है। कार्यदायी संस्था DPR तैयार कर रही है। धनराशि अवमुक्त होने के बाद निर्माण कार्य शुरू करा दिया जाएगा। यह संग्रहालय बनने से युवा पीढ़ी जिले की प्राचीन व समृद्ध सभ्यता व संस्कृति से परिचित होगी। इससे विकास को गति मिलेगी।