लखनऊ जेल में अवैध वसूली, नगद बरामदगी की शिकायतों पर हुई थी संस्तुति
शासन में सेटिंग गेटिंग कर निलंबन को अल्पदंड में कराया तब्दील
आरके यादव
लखनऊ। शासन में बैठे आला अफसरों से सेटिंग कर जेल मुख्यालय के अफसर ने अधीक्षक के निलंबन को अल्पदंड में तब्दील कराकर आरोपी वरिष्ठ अधीक्षक को निलंबन से बचा लिया। लखनऊ जेल में बंदियों से अवैध उगाही व अनियमिताओ की शिकायत मिलने पर अधीक्षक के निलंबन की संस्तुति की गई थी। शासन स्तर पर हुई था कार्रगुजारी विभागीय अफसरों में चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा है की जीरो टॉलरेंस वाली सरकार में जुगाड हो तो इस विभाग में बड़े दंड भी समाप्त हो जाते है।
राजधानी की जिला जेल में बीते करीब ढाई साल से घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। वरिष्ठ जेल अधीक्षक के अधीन आदर्श कारागार से दो खूंखार कैदियों को फरारी हो या फिर जेल के अंदर गल्ला गोदाम से 35 लाख रुपए की नगद बरामदगी का मामला हो। यही नहीं जेल में इस कार्यकाल के दौरान करीब आधा दर्जन से अधिक बंदी फंदे में लटक कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर चुके है। सूत्रों का कहना है कि लखनऊ जेल से अब तक कई बंदियों को गलत रिहा तक कर दिया गया। इन गलत रिहा किए गए बंदियों में एक सजायाफ्ता विदेशी कैदी भी शामिल था। ढाका से वाया कोलकाता होते लखनऊ जेल में बंद बांग्लादेशी बंदियों की फंडिंग का मामला सुर्खियों में आने के बाद दबा दिया गया।
इस सनसनीखेज मामले की जांच एटीएस ने की। जेल में बंदियों को पीटकर वसूली का मामला विभाग के मुखिया के पास तक पहुंचा। जेल से मोटी रकम लेकर बाहर के अस्पतालों में असरदार बंदियों को मौज कराने के भी कई मामलों का भी खुलासा हुआ। इतनी घटनाओं के बाद भी किसी दोषी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई। जेल में अवैध वसूली, नगद धनराशि की बरामदी और बंदियों की आए दिन हो रही मौत की घटनाओं को संज्ञान में लिया गया। विभाग के मुखिया ने लखनऊ जेल में व्याप्त अनियमिताओं पर शिथिलता बरतने के जेल के वरिष्ठ अधीक्षक के निलंबन की संतुति की थी। सूत्रों का कहना है कि निलंबन के संस्तुति की भनक लगते ही आरोपी वरिष्ठ अधीक्षक सक्रिय हो गए।
वरिष्ठ अधीक्षक ने जेल मुख्यालय में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी के माध्यम से शासन में बैठे मुखिया से साठगांठ निलंबन की संस्तुति को अल्पदंड में तब्दील करा लिया। इसको लेकर विभागीय अफसरों में चर्चा है एक छोटी सी घटना होने पर अधिकारियों को तुरंत दंडित (निलंबित/स्थानांतरित) कर दिया जाता है, वहीं दूसरी ओर सेटिंग गेटिंग वाले अफसरों से तमाम अनियमिताएं होने के बाद भी कोई कार्यवाही के नहीं की जाती है। यह कार्यवाही एक मिसाल है। उधर इस संबंध में जब आईजी जेल आनंद कुमार से बात करने का प्रयास किया तो उनसे बात नहीं हो पाई। मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने लखनऊ जेल के वरिष्ठ अधीक्षक के खिलाफ निलंबन की संस्तुति होने की पुष्टि तो कि लेकिन इस मामले पर और कुछ भी बोलने से साफ मना कर दिया।