देवांश जायसवाल
नौतनवा/महराजगंज। योगी सरकार लाख दावा करे कि प्रदेश भ्रष्टाचार मुक्त हो गया, हकीकत में ऐसा है नहीं। ऊपर से लेकर नीचे तक हर हाथ भ्रष्टाचार से सना हुआ है और इसका सीधा खामियाजा आम पब्लिक भुगतने को मजबूर है। ताजा मामला नेपाल सीमा पर स्थित नौतनवां तहसील का है। समय समय पर यहां का भ्रष्टाचार सुर्खियों में रहता है। यहां भ्रष्टाचार का मामला सामने आना आम बात हो गई है। भ्रष्टाचार और घूसखोरी का पर्याय बन गए। इस तहसील में कभी तहसीलदार तो कभी लेखपाल तो कभी खुद उपजिलाधिकारी ऐसे मामलों को लेकर चर्चा का विषय बने रहते हैं।
हाल ही कहीं अन्यत्र स्थानांतरित एक कानूनगो का स्थानांतरण की खूब चर्चा रही है। अब तहसील प्रशासन के कुछ निचले स्तर के कर्मचारी अपने निजी दलालों के जरिए धन उगाही को लेकर चर्चा में हैं। तहसील में कर्मचारियों के निजी दलाली के एक दो नही कई मामले है जहां साहब के आदेश के बावजूद जमीन की पैमाइस मातहत बिना घूस और दलाल के संभव ही नही है। कोई भी छोटा काम हो या बड़ा, अधिकारियों के दलालों से मिलिए तब जाकर काम हो संभव हो पाता है।
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वरना सालों साल चक्कर लगाते रहिए,कोई सुनने वाला नहीं है। दलाली और घूसखोरी के बाबत तहसील के ही एक राजस्वकर्मी का कहना है कि इस पर अंकुश संभव नहीं है क्योंकि यहां हर टेबल पर निजी दलालों और घूसखोरी की जानकारी ऊपर तक है। कौन सुनेगा आपकी? खबर तो यहां तक है कि चापरासी तक के भी अपने दलाल हैं। तहसील स्तर के भ्रष्टाचार को तहसील का बच्चा बच्चा जानता है, यह भी किस मामले में क्या फैसला हो सकता है, फैसला आने के पहले दलाल को पता होता है।