कुंडली बताती है मरने के बाद कौन सा लोक मिलेगा

जयपुर से राजेंद्र गुप्ता


भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि आत्मा कभी मरती नहीं है। आत्मा शरीर बदलती है और जब तक मोक्ष प्राप्ति नहीं होती है तब तक आत्मा जीवन और मृत्यु के चक्र में रहती है। आत्मा का लक्ष्य है परमात्मा से मिलन यानि मोक्ष की प्राप्ति। लेकिन अपने कर्मों के बंधन में फंसकर जीवात्मा अनेकानेक योनियों में भटकता रहता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार व्यक्ति को अपने कर्मों के अनुसार वर्तमान जीवन के बाद किस लोक में स्थान प्राप्त होगा और व्यक्ति किस योनि और लोक से आया है यह उसकी कुण्डली से जाना जा सकता है। यहां कुछ सामान्य ज्योतिषीय योगों की जानकारी दी जा रही है जिससे यह पता किया जा सकता है कि व्यक्ति मृत्यु के बाद किस लोक में स्थान प्राप्त करेगा।

स्वर्ग प्राप्ति योग

ज्योतिषशास्त्र का एक नियम है कि कुण्डली के बारहवें घर में शुभ ग्रह हों अथवा बारहवें घर पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। आठवें घर में चन्द्रमा, गुरू, शुक्र का स्थित होना भी मृत्यु के पश्चात स्वर्ग प्राप्ति को दर्शाता है। जिनकी कुण्डली में पहले घर में गुरू होता है और चन्द्रमा को देखता है ऐसा व्यक्ति धार्मिक प्रवृति का होता है। ऐसे व्यक्ति की कुण्डली में अगर आठवें घर में कोई ग्रह नहीं हो तो अपने सद्कर्मों से मृत्यु के पश्चात स्वर्ग में उत्तम स्थान प्राप्त करता है। इसी प्रकार जिनकी जन्मपत्री में दसवें घर में धनु अथवा मीन राशि हो और बारहवें स्थान में बैठे गुरू पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो व्यक्ति को स्वर्ग में देवपद मिलता है।

मोक्ष प्राप्ति योग

बृहद् पराशर होराशास्त्र में लिखा है कि जिनकी कुण्डली में बारहवें स्थान में शुभ ग्रह बैठें हों और बारहवें भाव का स्वामी अपनी राशि अथवा मित्र की राशि में हों एवं उन पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो ऐसा व्यक्ति अपने सद्कर्मों से मोक्ष प्राप्त करता है। वराह मिहिर ने अपनी पुस्तक वृहद्जातक में इस बात का जिक्र किया है कि, कुण्डली में सभी ग्रह कमज़ोर हों केवल गुरू कर्क राशि में छठे, आठवें, प्रथम, चतुर्थ, सप्तम अथवा दशम में तो ऐसा व्यक्ति मोक्ष का अधिकारी होता है। कुण्डली में गुरू मीन राशि में लग्न अथवा दशम भाव में हो और कोई अशुभ ग्रह उसे नहीं देख रहा हो तो यह मोक्ष प्राप्ति का योग बनता है।

नरक प्राप्ति योग

जिस व्यक्ति की कुण्डली में राहु आठवें भाव में कमज़ोर स्थिति में हो और छठे अथवा आठवें घर का स्वामी राहु को देख रहा हो तो नरक प्राप्ति योग बनता है। वृहद् पराशर होराशास्त्र के अनुसार जिनकी कुण्डली में पाप ग्रह यानी सूर्य, मंगल, शनि, राहु बारहवें घर में हो अथवा बारहवें घर का स्वामी सूर्य के साथ हो वह मृत्यु के बाद नरकगामी होता है। बारहवें घर में राहु अथवा शनि के साथ आठवें घर का स्वामी स्थित हो तब भी नरक प्राप्ति योग बनता है।


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