
नया लुक ब्यूरो
रांची/हजारीबाग। हजारीबाग शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के निरीक्षण के लिए बुधवार को आए स्वास्थ्य सचिव की खातिरदारी में पूरा प्रशासनिक महकमा लगा रहा, वहीं अस्पताल गेट के बाहर महिला का प्रसव हो गया और नवजात की जान चली गई। दरअसल स्वास्थ्य सचिव के निरीक्षण के दौरान अस्पतालकर्मियों ने सभी को गेट के बाहर ही रोक दिया। उसमें एक महिला प्रसूति कटकमदाग स्थित कूद निवासी नुसरत परवीन भी थी। वह प्रसव के लिए परिजनों के साथ शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज आयी थी। उसे भी गेट के बाहर रोक दिया गया। महिला दर्द से छटपटाती और चिल्लाती रही। परिजन बदहवास होकर अस्पतालकर्मियों से गेट खोलने के लिए विनती-मन्नत करते रहे।
लेकिन किसी ने गेट नहीं खोला और अंदर जाने नहीं दिया। इसी बीच गेट के पास महिला का प्रसव हो गया और नवजात जमीन पर गिर गया। बच्चे की वहीं मौत हो गई। उसके बाद अस्पताल में हंगामा मच गया। फिर महिला को आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया गया ताकि स्वास्थ्य सचिव को इसकी जानकारी नहीं हो पाए। इस दौरान स्वास्थ्य सचिव अस्पताल कैंपस में ही तामझाम के बीच प्रशासनिक और अस्पताल के अधिकारियों के साथ विभिन्न वार्डों का निरीक्षण करते रहे। इतनी बड़ी घटना की उन्हें भनक तक नहीं लगने दिया गया।
घटना ने खोल दी मेडिकल कॉलेज अस्पताल की व्यवस्था की पोल
जहां कुछ मिनट पहले स्वास्थ्य सचिव हजारीबाग शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल को 100 में 75 नंबर दे रहे थे, वहीं इस घटना ने व्यवस्था की पूरी तरह धज्जियां उड़ा कर रख दी। इस बारे में पीड़िता के पति नौशाद आलम ने कहा कि पत्नी नुसरत परवीन को अगर तुरंत भर्ती ले लिया जाता, तो उनके बच्चे की जान बच जाती।
अस्पतालकर्मियों की लापरवाही की वजह से उनके साथ इतना बड़ा हादसा हो गया। उनका बच्चा कौन लौटाएगा। उनका तो घर-संसार उजड़ गया। इस मामले में स्वास्थ्य सचिव को कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में किसी के साथ ऐसी पुनरावृत्ति नहीं हो।
लिखित शिकायत मिलने पर करेंगे जांच : स्वास्थ्य सचिव
इस घटना के बारे में पूछे जाने पर स्वास्थ्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने कहा कि “लिखित शिकायत मिलने पर जांच करेंगे। यह अच्छी बात नहीं है।
घटना का जिम्मेवार कौन, बताएं स्वास्थ्य सचिव : हजारीबाग विधायक
हजारीबाग शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल की व्यवस्था पर लगातार सवाल उठाने वाले सदर विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि मानवीय संवेदना से जुड़ी इतनी बड़ी घटना का जिम्मेवार कौन है, स्वास्थ्य सचिव जवाब दें। इससे बड़ी खराब व्यवस्था और क्या हो सकती है। उसके बाद भी इसे 100 में 75 अंक देना कितना उचित है, यह अवाम ही बताए। इस अस्पताल की व्यवस्था 25 अंक के लायक भी नहीं है। सचिव के आने के पहले अस्पताल में जो कॉस्मेटिक रूप से तैयारी, ड्रामा और तामझाम किए गए, क्या आगे ऐसी ही सफाई, मरीजों के इलाज के प्रति संजीदगी और सुविधाएं आगे बहाल रहेंगी, इस मुद्दे पर सचिव को बोलने की जरूरत है।
इससे पहले भी कई घटनाएं हो चुकी हैं और अस्पताल प्रशासन अपनी किरकिरी करा चुका है। यहां तो मुर्दों को भी पोस्टमार्टम के लिए घंटों इंतजार कराया जाता है। छठ पूजा के दिन भी सात घंटे महिला को भर्ती नहीं किया गया और नवजात की मौत हो गई। कुछ दिन पहले बच्चा वार्ड में भी लापरवाही की गई, जिस मामले में उन्होंने प्राथमिकी कराई है। इस अस्पताल में न डॉक्टर है और न संसाधन, भगवान भरोसे मरीजों का इलाज चल रहा है।