घुटनों की समस्या से पीड़ित लोगों का अब घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी जैसे जटिल उपचार के साथ स्टेम सेल थेरेपी का भी विकल्प होगा। एल्केम लैबोरेटरीज और बेंगलूरु की बायोटेक कंपनी स्टेमप्यूटिक्स भारत में गठिया के एक प्रकार – ऑस्टियोआर्थराइटिस से ग्रस्त मरीजों के इलाज के लिए व्यावसायिक स्तर पर पहली स्टेम सेल थेरेपी ‘स्टेमवन’ लाने जा रही है। इसके एक टीके की कीमत करीब 1.25 लाख रुपये है। गठिया के जिन पुराने मरीजों के घुटनों में हड्डियों को जोड़ने वाले नरम टिश्यू (कार्टिलेज) खत्म हो रहे हैं, उनमें इस सुई का असर दो साल या उससे भी अधिक समय तक रह सकता है। एल्केम और स्टेमप्यूटिक्स ने दावा किया कि ऑस्टियोआर्थराइटिस का स्टेम सेल के जरिये उपचार करने के लिए व्यावसायिक इस्तेमाल की मंजूरी हासिल करने यह पहला ‘एलोजेनिक सेल थेरेपी’ उत्पाद है। सेल थेरेपी आमतौर पर एक ही किस्म की कोशिकाओं के जरिये होती है, जिसका अर्थ यह है कि प्रत्यारोपण में स्टेम कोशिकाएं उसी व्यक्ति से ली जाती हैं जिनका प्रत्यारोपण होना है यानी मरीज खुद अपना डोनर होगा। यह इलाज का कस्टमाइज तरीका है, जिसमें समय लगता है और यह खासा महंगा भी है।
इसका इस्तेमाल कैंसर के इलाज के लिए भी किया जाता है। अमेरिका में स्टेम सेल कैंसर के इलाज में करीब 1 करोड़ रुपये का खर्च आता है। लेकिन एलोजेनिक प्रत्यारोपण में स्टेम कोशिकाएं मरीज के बजाय किसी अन्य व्यक्ति से ली जाती हैं और इसकी वजह से यह उत्पाद व्यावसायिक बन जाता है। मणिपाल एजूकेशन ऐंड मेडिकल ग्रुप की कंपनी स्टेमप्यूटिक्स ने 12 वर्षों के शोध से इस उत्पाद को विकसित किया है। कंपनी की मालिकाना तकनीक यह सुनिश्चित करती है कि मास्टर सेल बैंक के एक सेट से दस लाख से अधिक खुराक का उत्पादन किया जा सकता है। इससे बड़ी मात्रा में उत्पाद बनते हैं और किफायदी दर पर मरीजों को दिए जा सकते हैं।
भारत में लगभग 3.5 करोड़ लोग घुटने से जुड़ी बीमारी से ग्रस्त हैं और फिलहाल इसके इलाज के विकल्पों में गैर-स्टेरॉयड सूजनरोधी दवा (एनएसएआईडी), हाइलूरॉनिक एसिड टीके, स्टेरॉयड टीके आदि शामिल हैं। स्टेमप्यूटिक्स के प्रबंध निदेशक और सीईओ मनोहर बीएन ने बताया कि मौजूदा उपचार विकल्पों में बीमारी की दिशा को प्रभावित किए बिना बीमारी के शुरुआती चरणों के दौरान अस्थायी रूप से दर्द से राहत और सूजन को कम करने पर ध्यान दिया जाता है। उन्होंने कहा कि इसके उलट स्टेमवन न केवल दर्द से राहत दे सकता है बल्कि इसमें कार्टिलेज की गुणवत्ता को बनाए रखने और ऑस्टियोआर्थराइटिस की दूसरी और तीसरी श्रेणी के मरीजों में आगे की बीमारी की प्रगति को रोकने की क्षमता है।
यह घुटने के जोड़ में सूजन और जलन को भी कम करता है तथा इसे दुरुस्त करने की प्रक्रिया भी शुरू कर सकता है। एल्केम ने इस उत्पाद की मार्केटिंग के लिए स्टेमप्यूटिक्स के साथ साझेदारी की है। उसने उत्पाद के क्लिनिकल परीक्षणों के लिए भी धन मुहैया कराया है। फिलहाल स्टेमप्यूटिक्स उत्पाद का निर्माण करेगी और इसे वितरण तथा मार्केटिंग के लिए एल्केम को देगी। मनोहर ने कहा कि वे ठेके पर यह उत्पाद बनाने के लिए बेंगलूरु की कंपनी केमवेल बायोफार्मा के साथ बातचीत कर रहे हैं। एल्केम के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और क्लस्टर प्रमुख सुनील पाठक ने कहा कि घुटने से जुड़ी बीमारी ऑस्टियोआर्थराइटिस गंभीर और दर्दनाक है, जिससे दुनिया भर के मरीज प्रभावित हैं और हमें खुशी है कि हम किफायती दर पर देश में यह स्टेम सेल थेरेपी दे पा रहे हैं। (BNE)