
- जज पिता की दोनों बेटियां, दोनों दामाद समेत बेटा भी बना न्यायिक अधिकारी
- केवल सपने देखने और ऊंचा सोचने से नहीं, परिश्रम से सिद्ध होते हैं सभी कार्यः मयंक
आशीष दूबे/लखनऊ
हार हो जाती है जब मान लिया जाता है,
जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है।
शकील़ आज़मी का यह शेर आरुष पाठक पर बिल्कुल सटीक चरितार्थ हुआ। एक जुनून ही था, जिसके दम पर वो राजस्थान न्यायिक सेवा में 40वीं रैंक प्राप्त कर चयनित हुए हैं। AMITY LAW SCHOOL से विधि स्नातक (LL.B) की पढ़ाई करने वाले आरुष ने इतनी बड़ी सफलता अर्जित कर अपने कुनबे के साथ-साथ पूरे गांव, समाज और जिले के रुतबे को बढ़ाया है।
उनके जीजा और साल 2012 बैच के न्यायिक अधिकारी मयंक त्रिपाठी उन्हें शुभकामनाएं देते हुए सोशल मीडिया पर लिखते हैं- आपके न्यायिक विवेक से, आपकी कलम से जो न्याय हो, वो समाज में एक नजीर बने और अंतिम से अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के मुख पर प्रसन्नता आ जाए, ऐसी मेरी शुभकामना है। आज आपके चयन से इस न्यायिक परिवार को देखकर ऐसी अनुभूति हुई कि परमात्मा की भी यही इच्छा है कि परिवार के सभी सदस्य से न्यायिक कार्य हो।

गौरतलब है कि आरुष के पिता बस्ती जिले के मूल निवासी श्रीचन्द्र पाठक, बिहार राज्य के सेवानिवृत्त न्यायाधीश रहे हैं। उनकी दोनों बेटियां न्यायिक सेवाओं से जुड़ी हुई हैं। बड़ी बिटिया पूनम पाठक 2006 बैच की न्यायिक अधिकारी हैं और वर्तमान में अपर जिला जज मथुरा हैं। वहीं दूसरी बेटी बबिता पाठक 2012 बैच की हैं और वर्तमान में सिविल जज वरिष्ठ श्रेणी संभल में तैनात हैं। वहीं आरुष के दोनों बहनोई नितिन पांडेय अपर जिला जज मथुरा, 2006 बैच व मयंक त्रिपाठी सिविल जज वरिष्ठ श्रेणी चंदौसी-संभल 2012 बैच के रूप में न्यायिक सेवाओं से जुड़े हुए हैं।

वर्तमान में आरुष का परिवार राजधानी लखनऊ के आनंद लोक फेज दो,रहमानपुर, गनेशपुर मटियारी में रहता है। लेकिन ये बस्ती के भानपुर तहसील के उकड़ा गांव के हैं।
साल 2013 की बात है, आरुष अपने दीदी-जीजा के साथ जम्मू-कश्मीर की यात्रा पर थे। साधारण सा दिखने वाला बच्चा तभी से जज्बाती दिख रहा था। केवल एक जिद थी, एक दिन जज बनना है और देश सेवा में जुटना है। इतना कठिन सफर कैसे तय होगा, तब कोई सटीक रोड मैप नहीं था। बस ऊर्जा थी, कुछ कर गुजरने की, कुछ बन जाने की। उसी ऊर्जा ने रास्ता खोजा, सरपट दौड़ने की ताकत बनी और नतीजा सामने है। उनका केवल चयन नहीं हुआ है, वह राजस्थान न्यायिक सेवा में 40वें पायदान पर चयनित हुए हैं।

बताते चलें कि बस्ती जिले से कई मेधा राष्ट्रीय क्षितिज पर चमक रही है। बस्ती जिले के गाना गांव के डॉ. ब्रह्मदेव राम तिवारी जहां साल 2006 बैच के आईएएस अफसर हैं। वह वर्तमान में मेघायल में कमिश्नर एजुकेशन के पद पर तैनात हैं।
उनकी पत्नी डॉ. पूजा पांडेय भी साल 2008 बैच की IAS अफसर हैं और मेघालय में ही बतौर डायरेक्टर तैनात हैं।

वहीं बस्ती के डॉ. विकास पाठक राजस्थान कैडर में 2008 बैच के IPS अफसर हैं और IPS पत्नी के साथ राजस्थान में डीआईजी हैं।

बस्ती के डॉ. नवलेंद्र कुमार सिंह (दानिक्स) दिल्ली में ज्वाइंट डायरेक्टर ट्रांसपोर्ट के पद पर तैनात हैं तो ताड़केश्वर सिंह बतौर IFS प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष कार्याधिकारी हैं।

वहीं 2009 बैच की अदिति सिंह वर्तमान में बलिया की जिलाधिकारी हैं।
वहीं हरैया तहसील में घाघरा नदी के बिल्कुल किनारे बसे बभनौली गांव के उदयभानु त्रिपाठी वर्तमान में अपर आवास आयुक्त के पद पर तैनात हैं। साल 2011 बैच के आईएएस उदयभानु को उत्तर प्रदेश सरकार में शांत रहकर सटीक निर्णय लेने वाला अफसर कहा जाता है।
अजय कुमार बस्ती जिले के देऊरापुरा गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता वंश बहादुर पांडेय के अनुसार अजय कुमार पांडेय ने गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से पढ़ाई की है। Kanpur IIT से मैकेनिकल से बीटेक करने के बाद तीन से चार बड़ी कंपनियों में अच्छे पद पर काम करने के बाद जनता की सेवा के लिए अजय ने अपनी हाईप्रोफाइल निजी नौकरी को छोड़ दिया व त्याग पत्र देकर अपने परिवार के साथ दिल्ली आ गए। एक वर्ष तक बेरोजगार रहकर जी-जान से मेहनत की और IPS बनकर UP कैडर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

इसके अलावा राघवेंद्र मिश्र एडिशनल एसपी के रूप में लखनऊ में तैनात हैं तो अमित राजन राय बतौर ARTO वह लखनऊ में ही अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ये एक छोटी सी लिस्ट है, बस्ती की मेधा पूरे देश में अपनी धमक बना रही है।

इसी सूची में एक और नाम जुड़ा है आरुष पाठक, न्यायिक अधिकारी राजस्थान कैडर। नया लुक परिवार की ओर से उन्हें उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं।