ज्योतिषाचार्य. डॉ उमाशंकर मिश्र
ज्योतिष शास्त्र में एक वर्ष को दो अयनों में बांटा गया है। ये हैं उत्तरायण और दक्षिणयान। जब सूर्य दक्षिण ध्रुव की ओर रहता है, तो इसे दक्षिणायन कहते हैं और जब सूर्य उत्तरी ध्रुव की ओर होता है तो इसे उत्तरायण कहते हैं। धर्म ग्रंथों में उत्तरायण को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात कहा गया है। सभी मांगलिक कार्य जैसे विवाह आदि उत्तरायण के दौरान ही किए जाते हैं। उत्तरायण और दक्षियान के बारे में पंचांग से जाना जा सकता है।
दिन- शुक्रवार
विक्रम संवत – 2079
शक संवत – 1944
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – भाद्रपद
पक्ष – शुक्ल
तिथि – चतुर्दशी शाम 05:35 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
नक्षत्र – धनिष्ठा सुबह 11:54 तक तत्पश्चात शतभिषा
योग – सुकर्मा रात्रि 07:43 तक तत्पश्चात धृति
राहुकाल – सुबह 10:30 से दोपहर 12:00 तक
सूर्योदय – 05:49
सूर्यास्त – 18:11
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण – अनंत चतुर्दशी, गणेश महोत्सव समाप्त, व्रत पूर्णिमा