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Litreture

कविता : दया से बढ़कर कोई धर्म नहीं है

शान्ति के समान कोई तप नही है, संतोष से श्रेष्ठ कोई सुख नही है, तृष्णा से बढकर कोई रोग नही है, दया से बढकर कोई धर्म नहीं है । संस्कारशाला बचपन से शुरू होती है, बचपन कच्चे घड़े की तरह ही होता है, जब घड़ा पककर तैयार हो जाता है, तो फिर कुछ नहीं बदला […]

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