मैक्स लाइफ ने इंडिया प्रोटेक्शन कोशेंट 5.0 सर्वे का ग्रामीण संस्करण किया लॉन्च,

  • ग्रामीण भारत की वित्तीय सुरक्षा 12 पॉइंट हुई दर्ज देशभर के 113 गांवों में कराया गया सर्वे

सर्वे की खास बातें…

  • ग्रामीण भारत की सुरक्षा का स्तर 38 फीसदी तक पहुंचा, 10 में 7 लोग वित्तीय सुरक्षा को लेकर जागरूक,
  • सिर्फ 22 फीसदी ग्रामीण आबादी के पास है जीवन बीमा, वहीं शहरी भारत में 73 फीसदी लोगों के पास जीवन बीमा है ।
  • ग्रामीण भारत की आबादी के बचत के उद्देश्य परिवार के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं , घर के आधारभूत खर्चों में ज़्यादातर कमाई खर्च हो जाती है ।
  • मौजूदा बचत के साथ लाइफस्टाइल को बनाए रखने को लेकर चिंतित हैं ग्रामीण , 4 में से 3 ग्रामीण भारतीय महसूस करते हैं कि उनकी बचत 10 वर्षों में खत्म हो जाएगी।

नई दिल्‍ली।  मैक्‍स लाइफ इंश्‍योरेंस कंपनी लिमिटेड (”मैक्‍स लाइफ”/ ”कंपनी”) ने दुनिया की प्रमुख मार्केटिंग डेटा एवं एनालिटिक्स कंपनी कांतार के साथ मिलकर किए गए अपने प्रमुख सर्वे इंडिया प्रोटेक्शन कोशेंट सर्वे (IPQ) के अब तक के पहले ग्रामीण संस्करण से मिली जानकारी को साझा किया है। इस सर्वे से भारत की ग्रामीण आबादी की वित्तीय तैयारियों, देश के शहरी और ग्रामीण इलाकों के बीच के अंतर और पूरे इलाके की वित्तीय तैयारियों को बढ़ावा देने के अवसरों के बारे में महत्चवूर्ण जानकारी का पता चलता है। 113 गांवों में किए गए सर्वे के मुताबिक, ग्रामीण भारत ने प्रोटेक्शन कोशेंट स्केल पर 12 पॉइंट हासिल किए, जबकि IPQ 5.0 (नवंबर-दिसंबर 2022 के दौरान किए गए) में शहरी भारत को 43 पॉइंट मिले थे। जीवन बीमा लेने वालों की संख्या में अंतर और भी ज्यादा है। सिर्फ 22 फीसदी ग्रामीण आबादी के पास जीवन बीमा है, जबकि शहरी भारत में 73 फीसदी लोगों के पास जीवन बीमा है। बीमा लेने वालों की कम संख्या की एक प्रमुख वजह जीवन बीमा खरीदने के लिए ज़रूरी पैसे की कमी (41 फीसदी) हो सकती है। इसके अलावा, प्रीमियम की उच्च दरें (32 फीसदी) और खरीदारी करने से जुड़ी कई औपचारिकताएं (24 फीसदी) भी प्रमुख वजहें हैं।

सर्वे में मिली जानकारी के मुताबिक, ग्रामीण भारत में नॉलेज इंडेक्स 27 पर है जबकि वित्तीय सुरक्षा (38 फीसदी) को लेकर  लोगों में जागरूकता भी है। बचत के प्रमुख उद्देश्यों में बच्चों की शिक्षा और शादी के लिए बचत करना सबसे अहम है। इसके अलावा, भविष्य के लिए बचत और खर्चों को लेकर तमाम परेशानियां भी बनी हुई हैं। सर्वे में 4 में से 3 प्रतिभागियों ने अगले दस वर्षों में अपनी बचत के खत्म होने को लेकर चिंता व्यक्त की, वहीं 4 में 1 व्यक्ति ने भविष्य के लिए ज़रूरी बचत की रकम को लेकर अनिश्चितता जाहिर की। मैक्स लाइफ के  MD एवं CEO प्रशांत त्रिपाठी ने कहा, “भारत पहले के मुकाबले अधिक समावेशी विकास की ओर सकारात्मक कदम बढ़ा रहा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने की ओर पहले से ज़्यादा ध्यान दिया जा रहा है। हम अपने स्थापित IPQ स्टडी को 113 गांवों तक ले गए, ताकि यह समझा जा सके कि ग्रामीण भारत किस तरह अपने वित्तीय मामलों का प्रबंधन करता है। हालांकि, भारत में जीवन बीमा लेने वालों की संख्या कम ही है, ऐसे में इस अध्ययन से जीवन बीमा के ईकोसिस्टम के अंतर और अवसरों की पहचान करने में मदद मिलती है। साथ ही, अध्ययन से व्यवस्थित, विस्तार करने योग्य, बहुआयामी दृष्टिकोण तैयार करने की दिशा में काम करने में भी मदद मिली, जिससे ग्रामीण लोगों को सशक्त बनाया जा सके और वे अपनी वित्तीय महत्वाकांक्षाएं पूरी कर सकें।”

नीचे दी गई जानकारी से ग्रामीण भारत की वित्तीय सुरक्षा की स्थिति का पता चलता है और उनकी प्राथमिकताओं व परेशानियों के बारे में जानकारी मिलती है।

ग्रामीण भारत की वित्तीय तैयारी

  • ग्रामीण भारत के लिए लंबा है आगे का सफर :  सर्वे से शहरी-ग्रामीण भारत के बीच विभाजन का पता चलता है।

इस सर्वे में देश के एक महत्वपूर्ण विषय की ओर ध्यान दिया गया है यानी शहरी-ग्रामीण भारत के बीच बीमा को लेकर कितना अंतर है। इन जानकारी से पता चला है कि प्रोटेक्शन कोशेंट स्केल पर ग्रामीण भारत को सिर्फ 12 पॉइंट मिले, जबकि शहरी भारत का स्कोर 43 रहा, जिससे वित्तीय सुरक्षा को बढ़ावा देने के व्यापक अवसरों का पता चलता है। इस अंतर से ग्रामीण भारत के परिवारों को सशक्त बनाने की तत्काल ज़रूरत की जानकारी मिलती है, ताकि वे वित्तीय रूप से तैयार हो सकें। “सभी के लिए बीमा” की दिशा में प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY), सरल जीवन बीमा और पेंशन योजना जैसी योजनाओं के माध्यम से सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों को काफी सफलता मिली है, वहीं सार्वजनिक-निजी साझेदारी के माध्यम से देश में जीवन बीमा लेने वाले लोगों की संख्या बढ़ाई जा सकती है।

  • वित्तीय सुरक्षा के कई मानकों पर ग्रामीण भारत का संघर्ष जारी: जागरूकता और जीवन बीमा पॉलिसी के ऑनरशिप के बीच लंबा अंतर

इस सर्वे से पता चला है कि नॉलेज इंडेक्स में 27 अंकों के साथ ग्रामीण भारतीय जीवन बीमा उत्पादों के प्रति कम जागरूक हैं, वहीं शहरी भारत का नॉलेज इंडेक्स दोगुने से भी ज़्यादा यानी 57 के स्तर पर है। हालांकि, शहरी और ग्रामीण भारत के बीच वित्तीय सुरक्षा में अंतर अन्य मानकों जितना बड़ा नहीं है। ग्रामीण भारत में सुरक्षा का स्तर 38 फीसदी है, जबकि शहरी भारत में यह स्तर 63 फीसदी है जिससे देश भर में सुरक्षा के प्रति सम्मानजनक दृष्टिकोण का पता चलता है।

वित्तीय सुरक्षा के प्रति दृष्टिकोण

वित्तीय सुरक्षा की राह में बाधाएं: जीवन बीमा उत्पादों में निवेश करने के लिए धन की कमी और ज़्यादा प्रीमियम

सर्वे के मुताबिक, ग्रामीण भारत के आधे से ज़्यादा प्रतिभागियों ने जीवन बीमा उत्पाद खरीदने के लिए धन की कमी को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर कीं । दूसरी ओर, 3 में से 1 व्यक्ति ने ज़्यादा प्रीमियम को जीवन बीमा खरीदने के लिहाज़ से अहम बाधा माना। इसके अलावा, 4 में से 1 प्रतिभागी का मानना है कि बीमा लेने की प्रक्रिया बहुत ही मुश्किल है और उसमें कई औपचारिकताएं हैं। ठीक इसी तरह, 5 में से 2 लोगों ने कहा कि उन्होंने अपने परिवार को वित्तीय रूप से सुरक्षित करने के लिए जीवन बीमा खरीदने के बारे में कभी नहीं सोचा।

ग्रामीण भारत ने टर्म प्लान के मुकाबले बचत से जुड़े उत्पादों को पसंद किया, हालांकि दोनों को खरीदने वालों की संख्या बहुत ही कम है। सुरक्षा के बदले बचत को प्राथमिकता देने के राष्ट्रीय रुझान के मुताबिक ही ग्रामीण परिवार भी टर्म इंश्योरेंस प्लान के मुकाबले बचत के विकल्पों को पसंद करते हैं। बचत और टर्म प्लान के प्रति जागरूकता का स्तर लगभग समान स्तर पर ही है जो क्रमश: 31 फीसदी और 32 फीसदी है। हालांकि, बचत उत्पाद (नौ फीसदी) और टर्म प्लान (12 फीसदी) खरीदने वालों की कम संख्या चिंता का कारण है और इससे देश में जीवन बीमा खरीदने वालों की संख्या बढ़ाने के लिए उपयुक्त उत्पाद लाने की तत्काल ज़रूरत का पचा चलता है।

बचत और खर्च करने के पैटर्न

ग्रामीण भारत की बचत करने की मानसिकता: सोना और सावधि जमा (FD) जैसी पारंपरिक परिसंपत्तियों को पसंद किए जाने के रुझान का पता चला, बच्चों की शिक्षा और सेवानिवृत्ति जैसे बचत के लक्ष्यों की ओर लोगों का ज़्यादा ध्यान सर्वे में पता चला कि ग्रामीण भारत सोने और सावधि जमा जैसे पारंपरिक वित्तीय उत्पादों में निवेश करना पसंद करता है। यह देखना सुखद है कि 83 फीसदी प्रतिभागी सरकारी योजनाओं के बारे में अच्छी तरह जानते हैं। परिवार के भविष्य के लिए बचत करने की अपनी प्रतिबद्धता के तहत् भारत की 64 फीसदी ग्रामीण आबादी ने अपने बच्चों की शिक्षा के लिए बचत करने में दिलचस्पी दिखाई, जबकि 41 फीसदी लोगों ने बच्चों की शादी के लिए बचत करने को पसंद किया।

  • ग्रामीण भारत की कमाई का ज़्यादातर हिस्सा घर के मूलभूत खर्चों में जाता है।

ग्रामीण भारत अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा मूलभूत खर्चों में खर्च करता है और अन्य विवेकाधीन खर्चों के लिए बहुत कम पैसा खर्च किया जाता है। ग्रामीण भारत का बचत और खर्च करने का पैटर्न, शहरी भारत के बचत और खर्च करने के पैटर्न से बिल्कुल अलग है। जहां ग्रामीण भारत अपनी कमाई का 55 फीसदी हिस्सा मूलभूत खर्चों में खर्च करते हैं, जबकि शहरी भारत इस गैर-विवेकाधीन श्रेणी के लिए अपनी कमाई का 42 फीसदी खर्च करते हैं। इसके उलट, शहरी भारतीयों की आय का 15 फीसदी हिस्सा लग्ज़री खर्चों में जाता है, वहीं ग्रामीण भारतीय इस मद में सिर्फ 5 फीसदी खर्च करते हैं। बचत और निवेश में अंतर बहुत ही कम है, शहरी और ग्रामीण भारत अपनी कमाई का क्रमश: 43 फीसदी और 39 फीसदी हिस्सा इसके लिए आवंटित करते हैं।

  • बढ़ते खर्च और कम बचत के प्रति ग्रामीण भारत की चिंताएं

पूरे ग्रामीण भारत के लोग बचत में आ रही तेज़ गिरावट को लेकर चिंतित दिखे, चार में से तीन प्रतिभागियों ने अगले दस वर्षों में अपनी बचत में आने वाली कमी को लेकर चिंताएं जाहिर कीं। सर्वे से पता चला कि बढ़ती कीमतों से तालमेल बिठाए रखने के लिए ग्रामीण भारत में 10 में से 6 लोगों ने अपने खर्चों में कटौती की है, जबकि दो में से एक व्यक्ति अपने रोज़ के खर्चों को पूरा कर पाने में असफल हैं। इसके अलावा, चार में से एक व्यक्ति भविष्य के लिए ज़रूरी बचत की रकम को लेकर अनिश्चित दिखा।

  • तेज़ डिजिटलीकरण से नए भारत को आगे बढ़ने के लिए ताकत मिल रही है।
  • ग्रामीण भारत घर में बैठे-बैठे पूरी दुनिया तक पहुंच पा रहा है।

सकारात्मक पहलू की बात करें तो सर्वे में पता चला कि ग्रामीण भारत टेक्नोलॉजी का लाभ उठाकर घर में बैठे-बैठे पूरी दुनिया को एक्सेस कर पा रहा है, 64 फीसदी ग्रामीण प्रतिभागी सोशल मीडिया मैसेजिंग/चैटिंग करने के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं और 58 फीसदी लोग फोन का इस्तेमाल फिल्में या वीडियो देखने के लिए करते हैं। हालांकि, सिर्फ 17 फीसदी लोग ऑनलाइन वित्तीय लेनदेन के लिए फोन का इस्तेमाल करते हैं, जिससे पता चलता है कि भारत के ग्रामीण इलाकों में डिजिटल वित्तीय जागरूकता बढ़ाने और इन्हें इस्तेमाल करने वालों की संख्या बढ़ाने के लिए बेहतर उपाय की ज़रूरत है।

इंडिया प्रोटेक्शन कोशेंट : मैक्स लाइफ इंश्योरेंस द्वारा कांतार (Kantar) के साथ मिलकर 2019 में शुरू किया गया सालाना सर्वेक्षण इंडिया प्रोटेक्शन कोशेंट वित्तीय सुरक्षा क्षेत्र में भारतीय उपभोक्ताओं की नब्‍ज़ समझने में मदद करता है। जीवन बीमा के आधारभूत और किफायती प्रारूप के तौर पर टर्म इंश्योरेंस लेने के लिए लोगों को प्रेरित करने के शुरुआती उद्देश्य के साथ शुरू किए गए इस सर्वेक्षण का उद्देश्य मौजूदा वित्तीय सुरक्षा स्तर, बचत और निवेश की बदलते पैटर्न, प्रमुख परेशानियों और मौजूदा समय में वित्तीय सुरक्षा को बढ़ावा देने वाले कारकों के लिहाज़ से शहरी भारतीयों की स्थिति के बारे में जानकारी देना है। इंडिया प्रोटेक्शन कोशेंट, मैक्स लाइफ द्वारा कांतार के सहयोग से तैयार ऐसा प्रॉपरायटरी टूल है जो शून्य से 100 के स्केल पर यह बताता है कि भारतीय भविष्य की अनिश्तिताओं के प्रति खुद को कितना सुरक्षित समझते हैं। यह लोगों के दृष्टिकोण, भविष्य की अनिश्चितताओं के लिए मानसिक तैयारी, जागरूकता, और जीवन बीमा उत्पाद श्रेणियों (टर्म, एनडाउमेंट और यूलिप) की खरीदारी पर आधारित है।

मैक्स लाइफ इंश्‍योरेंस के बारे में (www.maxlifeinsurance.com)

मैक्स लाइफ इंश्‍योरेंस कंपनी लिमिटेड, (Max Life Insurance Company Limited)  मैक्स फाइनेंशियल सर्विसेज़ लिमिटेड तथा एक्सिस बैंक लिमिटेड का संयुक्त उपक्रम है। मैक्स फाइनेंशियल सर्विसेज़ लिमिटेड एक प्रमुख भारतीय बहु-व्यावसायिक संगठन मैक्स ग्रुप का हिस्सा है। मैक्‍स लाइफ एजेंसी और थर्ड पार्टी डिस्ट्रीब्यूशन पार्टनर्स समेत अपने मल्‍टी-चैनल वितरण के जरिए विस्‍तृत सुरक्षा और दीर्घकालिक बचत की पेशकश करती है। मैक्‍स लाइफ ने पिछले करीब दो दशकों में, आवश्‍यकता आधारित बिक्री प्रक्रिया, संपर्क एवं सेवा प्रदान करने के स्‍तर पर ग्राहकोन्‍मुख दृष्टिकोण और प्रशिक्षित मानव संसाधन की मदद से अपना व्‍यवसाय स्‍थापित किया है। सार्वजनिक प्रकटीकरण तथा वार्षिक लेखा परीक्षित वित्‍तीय आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 21-22 के दौरान, मैक्स लाइफ इंश्‍योरेंस का ‘सकल लिखित प्रीमियम’ 22,414 करोड़ रुपये रहा। और जानकारी के लिए कृपया कंपनी वेबसाइट www.maxlifeinsurance.com देखें।

डिस्‍क्‍लेमर: यह अध्‍ययन देश के शीर्ष 25 शहरी महानगरों, टियर एक व टियर दो शहरों में कराया गया; इसलिए इसके परिणाम शहरी भारत के महानगरों, टियर एक और टियर दो शहरों के रुझानों को ही दर्शाते हैं।

  • महानगर- दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरू, हैदराबाद, मुंबई
  • टियर 1- लुधियाना, जयपुर, लखनऊ, पटना, भुवनेश्वर, वाइज़ैग, अहमदाबाद, भोपाल, पुणे
  • टियर 2- देहरादून, मुरादाबाद, गुवाहाटी, बोकारो, कोल्हापुर, जामनगर, रायपुर, उज्जैन, हुबली-धारवाड़, त्रिचिरापल्ली
  • IPQ 0 बनाम IPQ 3.0 डेटा की तुलना सिर्फ 25 बाज़ारों के लिए की गई है। (छह महानगर, नौ टियर एक तथा 10 टियर दो शहर)
  • किसी भी ​परिणाम पर पहुंचने के लिए अध्ययन में लिया गया न्यूनतम सैंपल 270 है जिसमें +- 964% का मार्जिन है।
  • जहां भी 5वीं वर्षगांठ लिखा है, वहां इससे आशय इंडिया प्रोटेक्‍शन कोशेंट के 5वें एडिशन से है।

कांतार के बारे में :  कांतार विश्‍व की अग्रणी मार्केटिंग डेटा एवं एनेलिटिक्‍स कंपनी है। हमारे पास इस बात की अद्भुत और संपूर्ण समझ है कि 90 से अधिक बाज़ारों में, स्‍थानीय एवं वैश्विक स्‍तर पर, लोग किस प्रकार सोचते, महसूस और व्‍यवहार करते हैं। लोगों के व्‍यवहारों की गहरी समझ, हमारे डेटा संसाधनों तथा मानकों और हमारे इनोवेटिव एनेलिटिक्‍स एवं टेक्नोलॉजी के संयोजन से, हम अपने ग्राहकों को लोगों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करते हैं ओर विकास को प्रेरित करते हैं।

 

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