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Analysis

अंततः जातिवादी ढोंग का खात्मा हो ही गया!

जाति-आधारित आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय (7 नवंबर 2022) की राममनोहर लोहिया और डॉ. भीमराव अंबेडकर निस्संदेह अवश्य ताईद करते, अनुमोदन भी। लोहिया का तो सूत्र था : “सोशलिस्टों ने बांधी गांठ, पिछड़ा पाये सौ में साठ।” परंतु एक कालखण्ड तक ही। डॉ. अंबेडकर शाश्वत आरक्षण के सदैव विरोधी रहे। लोकसभा के पूर्व प्रधान […]

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