#Kesarsuwas

Litreture

कविता: आबाद बालटोली, नवगान माँगती हूँ

  उपवनखिले सभी में मुस्कान माँगती हूँ, आबाद बालटोली,नवगान माँगती हूँ। सागर से पानी लेके गिरिराज को नहाए, उमड़घुमड़ के बादल चिरप्यास को बुझाए, बादल से आज झमझम नहान माँगती हूँ, आबाद बालटोली,नवगान माँगती हूँ।   केसरसुवास लहरों पे झूमझूम आए, चन्दन की भीनी ख़ुशबू गिरिकन्यका रिझाए, चन्दनमहक से महका मकान माँगती हूँ, आबाद बालटोली, […]

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