- जलवायु की रक्षा करने वाले नेताओं की सूची में शामिल रहे हैं,
- समाज को असली क्लाइमेट एक्शन की ओर ले जाने वाले
अब इसके बाद भी क्या कुछ लिखने-पढ़ने को बचता है? पेशे से इंजीनियर, नवाचारी और शिक्षा सुधारक वांगचुक … वह 1988 में स्थापित स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECOML) के संस्थापक-निदेशक भी हैं … सोनम वांगचुक को सरकारी स्कूल व्यवस्था में सुधार लाने के लिए सरकार, ग्रामीण समुदायों और नागरिक समाज के सहयोग से 1994 में “ऑपरेशन न्यू होप” शुरु करने का श्रेय भी प्राप्त है। सोनम ने बर्फ-स्तूप तकनीक का आविष्कार किया है जो ग्लेशियरों को बनाता है। अब आज के दौर में आंदोलन कारी सोनम वांगचुक की अब दो अलग-अलग तस्वीरें हैं। एक तरफ भारत सरकार उन्हें ‘राष्ट्र-विरोधी’ बता कर जेल में रख रही है तो दूसरी तरफ दुनिया की मशहूर टाइम मैगजीन ने उन्हें 2025 के सबसे प्रभावशाली 100 लोगों में चुना है। वे जलवायु की रक्षा करने वाले नेताओं की सूची में हैं।
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30 अक्टूबर को टाइम ने अपनी ‘टाइम 100 क्लाइमेट’ सूची जारी की। इसमें सोनम वांगचुक को ‘डिफेंडर्स’ श्रेणी में जगह मिली है। मैगजीन ने कहा कि वे व्यापार और समाज को असली क्लाइमेट एक्शन की ओर ले जा रहे हैं। सोनम की पत्नी गीतांजलि अंगमो ने ट्वीट कर कहा है, “जहाँ उनकी अपनी सरकार वांगचुक को राष्ट्र-विरोधी और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा घोषित करने में जुटी है, वहीं टाइम मैगज़ीन का 2025 का वैश्विक सम्मान तब आया है जब कुछ ही हफ्ते पहले केंद्र सरकार ने वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम यानी एनएसए के तहत गिरफ्तार किया है। वह लद्दाख की स्वायत्तता और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर लंबे समय से धरने पर थे। इसी बीच यह विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया। इस हिंसा के बाद वांगचुक को गिरफ़्तार किया गया।
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सोनम वांगचुक फ़िलहाल राजस्थान के जोधपुर सेंट्रल जेल में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम यानी एनएसए के तहत हिरासत में हैं। उनकी गिरफ्तारी 26 सितंबर 2025 को हुई थी, जो लद्दाख में राज्य के दर्जे और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों से जुड़ी है। स्थानीय लोग राज्य का दर्जा, नौकरी और भूमि अधिकारों की मांग कर रहे हैं ताकि क्षेत्र की नाजुक पारिस्थितिकी को बाहरी शोषण से बचाया जा सके। देश की केंद्र सरकार ने वांगचुक को प्रदर्शनों को भड़काने का आरोप लगाया। वांगचुक को एनएसए के तहत गिरफ्तार किया। एनएसए बिना मुकदमे के 12 महीने तक हिरासत की अनुमति देता है। प्रशासन का दावा है कि वांगचुक के उत्तेजक बयानों ने सार्वजनिक व्यवस्था को खतरे में डाला। देश विरोधी बयान जैसे कई आरोप लगाए गए हैं। उन्हें जोधपुर जेल भेजा गया, ताकि स्थानीय समर्थकों के विरोध प्रदर्शनों से बचा जा सके।
