- जेल के आक्रोशित बंदियों ने की भूख हड़ताल
- डेढ़ माह में तीन दर्जन कर्मियों को स्पष्टीकरण, चार के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की संस्तुति
- कारागार मुख्यालय ने पूरे मामले पर साध रखी चुप्पी
- डीजी जेल ने कहा मामले की कराई जाएगी जांच, दोषी बख्शा नहीं जाएगा
लखनऊ। कासगंज जेल के नव नियुक्त अधीक्षक की तानाशाही से बंदियों और सुरक्षाकर्मियों में खासा आक्रोश व्याप्त है। अधीक्षक की वसूली से आक्रोशित बंदी भूख हड़ताल पर बैठ गए। यह अलग बात है कि अधीक्षक के माफी मांगने के बाद बंदियों ने भोजन ग्रहण कर लिया। शासन, कारागार मुख्यालय और सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं से नजदीकी रखने वाले तानाशाह अधीक्षक ने पदभार संभालने के बाद डेढ़ माह के अंतराल में करीब 36 जेल कर्मियों से स्पष्टीकरण मांगा है, वहीं दूसरी ओर चार हेड वार्डर और वार्डर के खिलाफ विभागीय कार्यवाही किए जाने के संस्तुति की है। दिलचस्प बात यह है कि शासन और कारागार मुख्यालय इस तानाशाह अधीक्षक के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाए उसको बचाने में जुटा हुआ है। कारागार मंत्री ने भी इस गंभीर मामले पर चुप्पी साध रखी है। मामले को लेकर चर्चा है कि समरथ को नहीं दोष गोसाईं वाली कहावत इस जेल पर एकदम फिट बैठ रही है।
मिली जानकारी के मुताबिक मुजफ्फरनगर जेल पर तैनात जेलर राजेश कुमार सिंह का बीते दिनों अधीक्षक पर पर प्रमोशन हुआ। प्रोन्नत के बाद पश्चिम की समस्त जेलों पर अधीक्षकों की तैनाती हो जाने की वजह से इनका स्थानांतरण कांसगज जिला जेल पर कर दिया गया। बताया गया है शासन, मुख्यालय और सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं का संरक्षण प्राप्त होने की वजह से इस नवनियुक्त अधीक्षक का अधिकांश कार्यकाल पश्चिम की कमाऊ जेलों पर बीता। यह पहला मौका था जब उनकी तैनाती कमाऊ जेल के बजाय कासगंज जैसी छोटी जेल पर हो गई। जेल पर प्रभार संभालते ही नवनियुक्त प्रोन्नत अधीक्षक ने वसूली के ठिकानों को बढ़ाने पर जोर देना शुरू कर दिया।
सूत्रों का कहना है कि बंदियों के राशन में बेतहाशा कटौती कर बंदियों को घटिया भोजन परोसा जाने लगा। इससे नाराज होकर तीन दिन पहले बंदियों ने भोजन लेने से इनकार कर भूख हड़ताल पर बैठ गए। इस हड़ताल से जेल और जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। इसके साथ ही अधीक्षक ने बंदियों को ड्यूटी डंडा घड़ी पर लगाकर सुरक्षाकर्मियों का उत्पीड़न शुरू कर दिया। बैरियर गेट पर ड्यूटी करने वाले वार्डर को निर्देश दिया कि मोबाइल जमा करने वाले आगंतुकों से प्रति मोबाइल 50 रुपए वसूल किए जाए। इसके साथ ही मनमाने दामों पर गिनती कटवाने के साथ अन्य मद से पैसा वसूल करना शुरू कर दिया। सूत्रों की माने तो वसूली में सहयोग नहीं करने वाले हेड वार्डर और वार्डरों को ड्यूटी में लापरवाही का आरोप लगाते हुए 36 सुरक्षाकर्मियों को स्पष्टीकरण और चार के खिलाफ विभागीय कार्यवाही किए जाने की संस्तुति कर डाली। अधीक्षक की इस तानाशाही से बंदियों के साथ जेलकर्मियों में भी खासा आक्रोश व्याप्त है। इस संबंध में जब महानिदेशक कारागार पीसी मीणा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इसकी जांच कराई जाएगी। वहीं कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन ही नहीं उठा।
सत्तारुढ़ नेताओं को संरक्षण होने से नहीं होती कोई कार्रवाई
कासगंज जेल अधीक्षक का विवादों से गहरा नाता रहा है। मुजफ्फरनगर जेल में जेलर रहने के दौरान मशक्कत, बैठकी की अवैध वसूली को लेकर लंबे समय तक सुर्खियों में रहे। यह वसूली प्रिटिशन रायटर के माध्यम से कराई जाती थी। बीती 12 अप्रैल 2025 को तत्कालीन डीजी जेल पीवी रामाशास्त्री मुजफ्फरनगर जेल का निरीक्षण करने गए थे। मुलाकातघर के निरीक्षण के दौरान शामली जिले के जिजौला गांव निवासी अनीसा नाम की महिला मुलाकाती ने डीजी जेल से शिकायत की कि उनका देवर मादक द्रव्यों की आपूर्ति के मामले में जेल में बंद है। उससे गिनती कटवाने के नाम पर 21 हजार रुपए की मांग की जा रही है। डीजी ने महिला से शिकायती पत्र लेकर मेरठ जेल के अधीक्षक को जांच का आदेश दिया। सेटिंग गेटिंग के चलते इस मामले में आज तक इसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई। इसके साथ ही सपा के पूर्व विधायक शाहनवाज राणा को जेल के अंदर मोबाइल फोन इस्तेमाल करते पकड़ा गया था। इस मामले में भी जेलर की भूमिका संदिग्ध थी। पूर्व विधायक की जेल बदल दी गई किंतु शासन, मुख्यालय और राजनैतिक संरक्षण की वजह से इसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई।
