हर अंत की नई शुरुआत होती है,

कर्नल आदि शंकर मिश्र
कर्नल आदि शंकर मिश्र

हर अंत की एक नई शुरुआत होती है,
इतना क्यों सोचना जीवन के बारे में,
ज़िंदगी देने वाले ने भी तो कुछ सोच
रखा होगा नादान इंसान हमारे बारे में।

मेहनत करके उसका फल मिलता है,
मेहनत से समस्या का हल मिलता है,
देर से ही सही, सदकर्मों का फल व
प्रभूकृपा से सदा हर कष्ट दूर होता है।

थोड़ी सी दवा खाकर गम्भीर रोग से
हर रोगी अक्सर निरोगी हो जाता है,
हृदय से ईश्वर पर आस्था रखकर,
विनती से हर दुःख दूर हो जाता है।

ईश्वर को अपना मानो तो वह अपना
और पराया मानो तो पराया होता है,
क्या फ़र्क़ है ईश्वर में और ख़ुदा में
मानो तो अपना न मानो तो पराया है।

हाँ, जो भावना से परे होता है वही
अक्सर जीवन भर पराया होता है,
दूर होकर भी हृदय में हो, अपना भी
वो और परमात्मा भी वही होता है।

कोई हमारी क्षमता पर संदेह करे तो
भी हम अपने कमतर कहाँ आंकते हैं,
स्वयं पर पूरा भरोसा रखना क्योंकि
लोग सोने को भी नहीं खरा मानते हैं।

दुनिया सोने की शुद्धता पर ही संदेह
करती है, लोहे को सभी शुद्ध मानते हैं,
आदित्य सच्चाई की राह चलते रहो
लोग तो चाँद पर भी दाग देखते हैं।

 

Litreture

नार्वे के भारतीय लेखक के दो लघु कथाओं की समीक्षा

समीक्षक: डॉ ऋषि कुमार मणि त्रिपाठी प्रेम प्रस्ताव(लघुकथा) कथाकार-सुरेश चंद्र शुक्ल’ शरद आलोक’ समीक्षक- डॉ ऋषि कमार मणि त्रिपाठी लेखक ने ओस्लो के एक चर्च मे मारिया के पति के अंतिम संस्कार के एक दृश्य का वर्णन किया है। किस प्रकार लोग शामिल हुए,फूलों के गुलदस्तों मे संदेश और श्रद्धांजलि देने वालो के नाम लिखे […]

Read More
Litreture

चार लघु कथाओं की समीक्षा

समीक्षक: डॉ ऋषिकुमार मणि त्रिपाठी लेखक सुरेश शुक्ल ‘शरद आलोक’ लघु कथा एक झलक लेखक सुरेश शुक्ल ‘शरद आलोक’ साग्न स्टूडेंट टाउन से मशहूर क्लब सेवेन शहर ओस्लो के मध्य रात ग्यारह बजे आगए। डिस्कोथेक के जीवंन्त संगीत आर्केस्ट्रा सभी नि:शुल्क प्रवेश  मदिरा पीकर अनजान लड़कियो के बांहो मे बाहें डाले रात भर नाचते। मै […]

Read More
Litreture

जल की एक बूंद

जल की एक बूंद करती है सृजन रचती है विश्व को । जल की एक बूंद बनती वंश लोचन सीप मे मोती गजमुक्ता चमकाती आनन । जल की एक बूंद करती है प्राणदान बनती चरणामृत विष्णु पदनख की सुरसरिता पालती विश्व को। जल की एक बूंद ऋषियों का अस्त्र थी नयनो की भाषा बच्चों की […]

Read More