राजेश श्रीवास्तव
शुक्रवार को दिल्ली पहुंचे समाजवादी पार्टी के नेताओं को कांग्रेस गठबंधन ने यह कहकर मना कर दिया कि अभी वह व्यस्त हैं। फिर जब शनिवार को विपक्षी दलों की वर्चुअल मीटिग हुई तो पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे और सपा नेता अखिलेश यादव शामिल नहीं हुए। पिछले कुछ दिनों से सीट शेयरिग को लेकर टीएमसी, सपा और कांग्रेस के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिल रही है। विपक्षी गठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों की दो घंटे चली वर्चुअल मीटिग में ‘सीट शेयरिग’ को लेकर कोई ठोस प्रगति नहीं हुई। हालांकि इस बैठक में नीतीश की जगह, खरगे को विपक्षी दलों ने गठबंधन के अध्यक्ष पद पर बैठा दिया।
नीतीश कुमार ने इस पद के लिए अनिच्छा जताई। उन्होंने कहा, गठबंधन का संयोजक बनने की उनकी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है। गठबंधन की एकजुटता जरूरी है। अब ये सवाल उठना लाजमी है कि सीट शेयरिग पर कहीं विपक्षी गठबंधन दरकने तो नहीं लगा है। तीन बड़े राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, इस मीटिग में शामिल नहीं हुए। दूसरी तरफ विपक्षी गठबंधन की इस बैठक को BJP अपने लिए ‘वॉकओवर’ जैसा मान रही है।
बैठक में स्टालिन ने गठबंधन के संयोजक पद के लिए नीतीश का नाम सुझाया था। जैसे ही चर्चा आगे बढ़ती कि नीतीश कुमार ने खुद ही अपना नाम पीछे हटा लिया। इसके बाद वर्चुअल मीटिग में मौजूद दलों ने सर्वसम्मति ने मल्लिकार्जुन खरगे को अध्यक्ष पद सौंप दिया। लेकिन विपक्षी दलों की वर्चुअल मीटिग में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे और सपा नेता अखिलेश यादव शामिल नहीं हुए। पिछले कुछ दिनों से सीट शेयरिग को लेकर टीएमसी, सपा और कांग्रेस के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिल रही है।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि ममता बनर्जी अहंकारी और बेईमान हैं। जिन लोगों की वजह से वो नेता बनी हैं, उन्हीं को आज ममता अहंकार दिखा रही हैं। ममता और BJP के बीच सांठगांठ हो चुकी है। वे पीएम मोदी को धोखा नहीं देंगी। यही वजह है कि इंडिया गठबंधन में ममता, सीटों पर समझौता नहीं करना चाहती हैं। इस बयानबाजी को गठबंधन में गंभीरता से लिया गया। एक तरफ नीतीश कुमार का संयोजक पद लेने से मना करना और दूसरी ओर तीन बड़े नेताओं का वर्चुअल मीटिग से किनारा करना, ये गठबंधन की एकजुटता के लिए शुभ संकेत नहीं हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ सीट शेयरिग को लेकर कांग्रेस पार्टी असहज स्थिति में हैं। दोनों दलों के नेताओं के बीच बैठक होनी थी, लेकिन एन वक्त पर कांग्रेस ने सपा को फोन कर बैठक टालने का आग्रह किया। सपा की ओर से ‘एक्स’ पर एक पोस्ट अपलोड की गई, जिसे कुछ घंटे बाद हटा लिया गया था। उसमें कांग्रेस पर धोखेबाजी का आरोप लगाया गया था। सपा का कहना है कि हम कांग्रेस से जिताऊ प्रत्याशियों के नाम दो महीने से मांग रहे हैं।
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दरअसल गठबंधन की एकजुटता में सबसे बड़ी बाधा सीट शेयरिग है। हर पार्टी, ज्यादा से ज्यादा सीट चाहती है। यूपी में सपा, कांग्रेस को पांच सीटें ही देना चाहती है। मायावती का सपा और कांग्रेस, दोनों को इंतजार है। हालांकि अभी तक बसपा प्रमुख मायावती ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। कांग्रेस को उम्मीद है कि देर सवेर बसपा के साथ दूरियां कम हो सकती हैं। दूसरी ओर, सपा भी इसी उम्मीद में लगी है कि बुआ और भतीजे के बीच सुलह हो जाए। इस वजह से कांग्रेस और सपा के बीच सीट शेयरिग आगे नहीं बढ़ रही है। उधर, नीतीश कुमार भी अभी भंवर में फंसे हैं। ऐसी अफवाह उड़ती रहती है कि वे BJP यानी एनडीए में आ सकते हैं। पश्चिम बंगाल में भी टीएमसी, कांग्रेस पर हावी होना चाहती है। ममता बनर्जी, कांग्रेस को पांच से नीचे के अंक पर सीट देने का मन बना रही हैं। कांग्रेस इस पर सहमत नहीं है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस अभी शीट शेयरिंग लटका कर रखना चाहती है। वह चाहती है कि राहुल गांधी की न्याय यात्रा जिन-जिन राज्यों से निकलेगी वह उन राज्यों में सहयोगी दलों के सहयोग और उन राज्यों में न्याय यात्रा के असर को देखकर फैसला लेगी अगर उसे यात्रा में उम्मीद के मुताबिक समर्थन मिला तो वह अन्य दलों के दबाव में नहीं आयेगी क्योंकि हर सहयोगी क्षोत्रीय दल उसे दबा कर ब्लैक मेल करना चाह रहा है।