मां स्कंद माता को नमन

बलराम कुमार मणि त्रिपाठी

गर्भस्थ शिशु को जन्म देने के बाद..संतान होने पर नारी माता की संज्ञा पाती है। जब महादेवी ने स्कंद को जन्म दिया तो वे देवी मां कहलाईं। नवरात्र की पंचमी में देवी को स्कंद माता कह कर पूजित किया गया। यह नारी का पांचवां स्वरूप है।

शरीर से शरीर का जन्म देना एक जटिल कार्य रहा,इहीलिए स्त्रियो को कठोर व्रत करा कर हर परिस्थिति का सामना करने के लिए सुयोग्य बनाया गया। उसमे पीड़ा सहने का असीम शक्ति है। धैर्य है,सहन शीलता है। बिना खाये पिये रह पाना,इतनी पीड़ा सह पाना पुरुष वर्ग के लिए संभव नहीं। वह जन्मदात्री मां है। इसीलिए ऋषियो ने नारी को हर रूप मे सम्मान देने का आग्रह किया-

यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता:।

यत्र एता न पूज्यंते सर्वा तत्राफला: क्रिया:।।

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बस्तर का एकमात्र दक्षिणमुखी शिवलिंग दंतेवाड़ा की मावली गुड़ी में

करीब एक हजार साल पुराना है यह शिवलिंग बस्तर में छिंदक नागवंशी राजाओं का वर्चस्व रहा है और यह शिव उपासक थे, इसलिए पूरे बस्तर में शिव परिवार की प्रतिमाएं सर्वाधिक हैं किंतु दक्षिणमुखी शिवलिंग सिर्फ एक है। यह शिवलिंग दंतेवाड़ा में मावली माता मंदिर परिसर में है। यह करीब एक हज़ार साल पुराना तथा […]

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चलने-फिरने में अक्षम युवती दर्शन को पहुंची

अयोध्या। 8मई। चलने-फिरने में पूरी तरह असमर्थ युवती ने सुविधापूर्वक श्री राम लला का दर्शन किया। साथ ही दिव्यांगजनों के लिए मंदिर परिसर में की गई व्यवस्था की सराहना की। 26 वर्षीय भावना चलना-फिरना तो दूर उठकर खड़ी भी नहीं हो सकती। अलबत्ता, समझने, बोलने में कोई दिक्कत नहीं है। वे अपने मां बाप के […]

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ये 10 बातों से जान जाएंगे कि मूल में पैदा हुआ बालक होगा कैसा…?

यदि आपका या आपके बच्चे का जन्म मूल में हुआ है तो… मूल नक्षत्र में जन्मे बालक का कैसा होता है स्वभाव और भविष्य राजेन्द्र गुप्ता, ज्योतिषी और हस्तरेखाविद नक्षत्र मंडल में मूल का स्थान 19वां है। ‘मूल’ का अर्थ ‘जड़’ होता है। राशि और नक्षत्र के एक ही स्थान पर उदय और मिलन के […]

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