भड़ली नवमी आज है, जानिए शुभ मुहूर्त व महत्व और उत्सव…

जयपुर से राजेंद्र गुप्ता


हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को भड़ली नवमी मनाई जाती है। इस प्रकार साल 2023 में 27 जून को भड़ली नवमी है। इस दिन आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की नवमी भी है। सनातन धर्म में भड़ली नवमी का विशेष महत्व है। इस दिन बिना मुहूर्त देखे मांगलिक कार्य करने की अनुमति होती है। ज्योतिषियों की मानें तो चातुर्मास और खरमास में कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। इस वर्ष चातुर्मास 5 महीने का रहेगा। धार्मिक मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार माह की निद्रा के बाद जागृत होते हैं। वहीं, सूर्य के धनु और मीन राशि में प्रवेश करने के चलते वर्ष में दो बार खरमास लगता है। खरमास के दौरान भी शादी, सगाई, उपनयन, गृह प्रवेश, मुंडन आदि शुभ काम नहीं किए जाते हैं। अतः देवशयनी एकादशी से दो दिन पूर्व भड़ली नवमी मनाई जाती है। इस दिन बिना किसी ज्योतिषीय सलाह के मांगलिक कार्य कर सकते हैं।

भड़ली नवमी का मुहूर्त

पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 27 जून, 2023 को सुबह 02 बजकर 04 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 28 जून, 2023 को सुबह 03 बजकर 05 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 27 जून को भड़ली नवमी है।

महत्व :  धर्म शास्त्रों की मानें तो मांगलिक कार्य समेत विवाह के लिए भी भड़ली नवमी उत्तम तिथि मानी जाती है। इस तिथि के बाद चातुर्मास लग जाने की वजह से अगले 5 महीने तक कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाएंगे। अतः भड़ली नवमी के दिन बिना मुहूर्त देखे मांगलिक कार्य किए जाते हैं। अगर वाहन और घर खरीदने की सोच रहे हैं, तो भड़ली नवमी को खरीद सकते हैं।

विष्णु को समर्पित है उत्सव

भड़ली नवमी का त्यौहार भगवान विष्णु के सम्मान में मनाया जाता है। आमतौर पर हिंदू पौराणिक कथाओं में यह माना जाता है कि भगवान विष्णु बहुत शक्तिशाली हैं। हिंदुओं में जब भगवान सो रहे हों तो विवाह नहीं किया जा सकता है और भड़ली नवमी के बाद भगवान विष्णु सो जाते हैं। विवाहित जीवन को खुश करने के लिए भगवान विष्णु का आशीर्वाद होना अत्यंत आवश्यक होता है। भगवान विष्णु सोने जाने से पहले भड़ली नवमी का दिन भक्तों को देते हैं ताकि वह अपने बचे हुए शुभ कार्य इस दिन कर लें। इस दिन पूजा पाठ करने से भगवान सब मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। इसलिए भक्त इस दिन को अनोखे तरीके से बिताने और प्रभु का आशीर्वाद पाने की इच्छा रखते हैं। भड़ली नवमी किसी भी धार्मिक गतिविधि के लिए आखिरी दिन होता है इसके बाद कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है।

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