सरकार से बढ़ी तकरार, बढ़ सकता है बिजली का इंतज़ार

  • ज़्यादती से तंग बिजलीकर्मी कर सकते हैं अनिश्चितकालीन हड़ताल
  • 13 से ज़्यादा संविदाकर्मियों को बर्खास्त कर चुकी है सरकार
  • छह कर्मियों को किया जा चुका है सस्पेंड, 22 पर मुक़दमा दर्ज
  • यूपी ऊर्जा विभाग की सबसे बड़ी कार्रवाई, नई भर्ती की तैयारी

कुलदीप मिश्रा
 कुलदीप मिश्रा

लखनऊ। अपनी कुछ माँगों के लिए बृहस्पतिवार रात 10 बजे से 72 घंटे की हड़ताल पर गए बिजली कर्मियों और सरकार के बीच बढ़ती तकरार बढ़ती जा रही है। जानकारों का कहना है कि विद्युत विभाग और बिजली कर्मियों के बीच खींचतान बढ़ी तो सूबे में बिजली संकट और गहरा जाएगा। बिजली का आलम यह है बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर और यूपी के वज़ीर-ए-आला योगी आदित्यनाथ के ज़िले गोरखपुर में भी लोग मोबाइल चार्ज करने के लिए तड़प रहे हैं। राजधानी से सटे बाराबंकी ज़िले में बिजली की बड़ी समस्या हो गई है। कुछ जगहों पर किराए के जनरेटर मंगाए गए हैं और लोग लाइन में लगकर अपना फ़ोन चार्ज कर रहे हैं।

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बताते चलें कि सूबे के बिजली कर्मी शांतिपूर्वक 72 घण्टे की सांकेतिक हड़ताल कर रहे हैं। लेकिन उनके इस हड़ताल से परेशान सरकार उन पर अपना डंडा चला रही है। ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने पत्रकारों से कहा कि अब तक क़रीब 1332 संविदाकर्मियों को बर्खास्त किया जा चुका है। वहीं 22 लोगों पर केस दर्ज कराया गया है, साथ ही छह कर्मियों को सस्पेंड किया जा चुका है। वहीं महराजगंज ज़िले के बैकुंठपुर उपकेंद्र का एक एसएसओ 62 घंटे की लगातार ड्यूटी से आजिज़ होकर घास खा रहा था। उसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है।

बस्ती ज़िले के श्याममणि दुबे कहते हैं कि शहर के आधे हिस्से में बिजली है और आधे हिस्से से बिजली गुल हो चुकी है।

वहीं सिद्धार्थनगर के प्रदीप मिश्र कहते हैं कि केवल अस्पतालों को बिजली की सप्लाई दी जा रही है, बाक़ी जगहों पर लाइट नहीं है। लोगों को भारी दिक़्क़त का सामना करना पड़ रहा है। पूरे ज़िले में अफ़रातफ़री का माहौल है।

वाराणसी ज़िले के वीरू सरोज कहते हैं कि कई जगहों पर बिजली व्यवस्था पूरी तरह से ज़मींदोज़ हो चुकी है। शहरों में कोई प्रॉब्लम नहीं है, लेकिन गाँव-देहात के ज़िलों में लोग बिजली के लिए अभी भी तड़प रहे हैं।

सिद्धार्थनगर के घोसियारी इलाक़े में पिछले तीन दिनों से बिजली ग़ायब है। इस संबंध में मनीष पाठक बताते हैं कि पहले लोकल फ़ॉल्ट के नाम बिजली व्यस्था ध्वस्त हुई लेकिन अब हड़ताल पर गए बिजलीकर्मियों ने फ़ोन न उठाकर तीन दिन तक बिजली न आने की धमकी को सही साबित करने की कोशिश भी की है।

गोंडा के सिम्पल पाठक बताते हैं कि बिजली न होने की वजह से बाहर रहने वाले लोग अपने लोगों से बातचीत नहीं कर है।

वहीं गोरखपुर के अभिषेक उपाध्याय कहते हैं कि गोरखपुर के ग्रामीण इलाक़ों में बिजली की बड़ी समस्या है। सरकार को चंद गिनती भर बिजलीकर्मियों की बात मानकर आंदोलन को ख़त्म करवा देना चाहिए।

अंबेडकर नगर के हरेंद्र सिंह कहते हैं कि घासलेट की अनुपस्थिति में मोमबत्ती से काम चलाना बड़ा दुष्कर हो रहा है सरकार को बिजली कर्मियों की बात मान लेनी चाहिए।

सिद्धार्थनगर के चौरी गाँव के अभिषेक मिश्रा कहते हैं कि हमारे गाँव में किराए के जनरेटर मंगाए गए हैं और लोग लाइन में लगकर अपना फ़ोन चार्ज कर रहे हैं। सरकार को बिजलीकर्मियों की बात मानकर आंदोलन को ख़त्म कर देना चाहिए।

देवरिया के सपा नेता और अध्यक्ष अखिलेश यादव के करीबी पीडी तिवारी कहते हैं कि सरकार तानाशाही पर उतर आई है वह अपने कर्मचारियों का शोषण करती है, इसलिए सरकार कर्मचारियों की बात मानने को तैयार नहीं है।

 

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के शैलेंद्र दुबे ने दो टूक लहजे में चेतावनी दी है कि यदि शान्तिपूर्ण ढंग से आंदोलनरत बिजली कर्मियों को गिरफ्तार किया गया या उनकी बर्खास्तगी की गई तो तमाम बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर, अभियन्ता और निविदा/संविदा कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जायेंगे और पूरे सूबे में सामूहिक जेल भरो आन्दोलन शुरू हो जाएगा। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों इस हालात के लिए ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन और सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि 03 दिसम्बर 2022 को ऊर्जा मंत्री के साथ संघर्ष समिति का लिखित समझौता हुआ जिसे बिजली निगमों के चेयरमैन मानने से इन्कार कर रहे हैं। संघर्ष समिति ने हड़ताल से उत्पन्न स्थिति के लिए ऊर्जा निगमों के चेयरमैन के हठवादी रवैये को जिम्मेदार ठहराया है। पदाधिकारियों ने कहा कि संघर्ष समिति ऊर्जा मंत्री से वार्ता के लिए हमेशा तैयार है।

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संघर्ष समिति ने कहा कि निविदा/संविदा कर्मचारियों की बर्खास्तगी के आदेश एवं बड़े पैमाने पर बिजली कर्मियों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करने तथा संघर्ष समिति के पदाधिकारियों की गिरफ्तारी के आदेश के चलते टकराव और बढ़ गया है।
वहीं ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने पत्रकारों को बताया कि पिछले पांच दिनों से बिजली कर्मियों के कुछ संगठन हड़ताल पर हैं। हमने उनके साथ बार-बार वार्ता की, लेकिन बात नहीं बनी। हम बातचीत करने को तैयार हैं, जो संगठन हमारे साथ हैं वह निष्ठा से काम कर रहे हैं। NTPC समेत कुछ निजी संस्थान हमारी मदद कर रहे हैं। साथ ही जनता ने भी हमारा साथ दिया है। हमारी क्षमता 27 हजार मेगावाट है, लेकिन डिमांड अभी आधी चल रही है। मौसम की वजह से हमारी कुछ लाइन डिस्टर्ब हुई है। हालाँकि इस बीच में उन्होंने कहा कि हड़ताल का कोई विशेष प्रभाव नही है।

कुछ लोगों ने कानून को हाथ मे लेने की कोशिश की। जहां भी कोई समस्या आई हमने ठीक कराया। उन्होंने दो टूक लहजे में कहा कि कोई जनता की सम्पत्ति को नुकसान नहीं पहुंचा सकता। शर्मा बताते हैं कि पॉवर कॉरपोरेशन एक लाख करोड़ के घाटे में है। वहीं करीब 80 हजार करोड़ का लोन भी है। मैंने संगठनों को बताने और समझाने की कोशिश की। हाईकोर्ट ने भी हड़ताल पर नोटिस दिया है। उन्होंने बताया कि 22 लोगों पर ‘इसेंशियल सर्विस’ के तहत केस दर्ज हुआ है। जो लोग अव्यवस्था कर रहे हैं उनपर FIR दर्ज कराने के निर्देश दिए गए। छह कर्मियों के सस्पेंशन किया गया है। साथ ही 1332 आउटसोर्सिंग कर्मियों को बर्खास्त किया गया है। हालाँकि उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा डाला कि जरूरत पड़ेगी तो हजारों लोगों को बर्खास्त करेंगे। किसी को नौकरी आसानी से नहीं मिलती, मैं चार घंटे का समय देता हूं। आउटसोर्सिंग और संविदा कर्मी हड़ताल से वापस नहीं लौटे तो बर्खास्तगी की जाएगी।

Purvanchal

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