बॉर्डर के दो भारतीय इलाके में नेपाली सेना की गतिविधि से देश को खतरा,

खुफिया एजेंसियों ने केन्द्र को भेजी रिपोर्ट


उमेश तिवारी


विहार में बेतिया के नवलपरासी के पास नेपाल से सटे दो स्थान नरसही और सुस्ता भारत नेपाल की सीमा के लिए विवादित स्थल बन गए हैं। अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण ये दोनों स्थान विहार के साथ ही देश के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। इस मसले को लेकर विहार की SSB  इकाई ने मौजूदा स्थिति का समुचित वर्णन करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट भेजी है।जिसमें इसका जल्द ही समुचित समाधान निकालने के लिए भी अनुरोध किया गया है। केन्द्रीय खुफिया एजेंसी ने भी इस इलाके को लेकर केन्द्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें यहां नेपाल के लोगों की बड़ी संख्या में बसने और संदिग्ध गतिविधि की बात कही गयी है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस मामले में गृह मंत्रलाय के स्तर से मामले का समाधान निकालने के लिए पहल भी शुरू कर दी गयी है। इस संबंध में नेपाल के अधिकारियों से वार्ता भी की जा रही है।

यह है पूरा मामला

बताते चलें कि वर्ष 1970 में गंडक नदी ने अपना मार्ग बदल लिया था। इसके बाद नरसही और सुस्ता नामक स्थान भारत में आ गये। क्योंकि दोनों नदी के बीच गंडक नदी ही सीमा विभाजन की रेखा के तौर पर काम करती है। इसी नदी को नारायणी नदी कहते हैं। नदी के इस तरफ का इलाका भारत और उस तरफ का इलाका नेपाल के हिस्से में आता है । नदी का मार्ग बदलने से पहले यह स्थान नेपाल के अधीन आते थे। वर्ष 1980 और 1990 के दशक में यह क्षेत्र कुख्यात अपराधियों और आतंकियों का शरण स्थली हुआ करती थी। भारत से सभी भगोड़े अपराधी यहीं पनाह लेते थे।पुलिस से बचने के लिए यह क्षेत्र उनके छिपने का सबसे उपयुक्त और सुरक्षित स्थान हुआ करता था।

भारत की तरफ इन स्थानों के आने के बाद से इसे नो मैंस लैंड के तौर पर छोड़ दिया गया। परन्तु पिछले कुछ समय से नेपाल ने इस क्षेत्र पर अपना अधिकार जताना शुरू कर दिया है। बीते दिनों कई बार दोनों देशों की सेना के बीच इस स्थान पर बहस भी हो चुकी है। पिछले कुछ महीनों से यहां लोगों की संदिग्ध गतिविधियां भी काफी बढ़ गई हैं। नेपाली सेना की भी गतिविधि यहां देखने को मिल रही है। यह भी देखा गया है कि कई अपराधी वारदातों को अंजाम देकर बेतिया की तरफ से इस इलाके में शरण ले लेते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार आतंकी के अलावा ,मादक पदार्थ,नकली नोट,सोना समेत अन्य सामानों की तस्करी से जुड़ी गतिविधि के बढ़ने के कारण भी इस तरह के विवादित इनके लिए बेहतर और सुरक्षित पनाहगार बना हुआ है। इस क्षेत्र का पूरी तरह से नियंत्रण भारतीय सुरक्षा बलों के पास आने से यह इलाका पूरी तरह से सुरक्षित हो जाएगा और विहार से लगी सीमा पर अपराध में काफी कमी आएगी।

उत्तराखंड में भी हैं ऐसे स्थान

उत्तराखंड में काली नदी से जुड़ा काफी बड़ा इलाका भी नेपाल की सीमा के साथ विवाद में उलझा हुआ है। यहां के लिंपियाधुरा,लिपूलेख,काला पानी जैसे इलाके भी भारत की जद में आ गये हैं। लेकिन नेपाल इस पर अपनी दावेदारी जताता रहता है।

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