चीन ने वांग यी को विदेश मंत्री के पद से हटाया, US में राजदूत क्विन गेंग को सौंपी जिम्मेदारी

उमेश तिवारी


काठमांडू/नेपाल। वांग यी पिछले 10 सालों से चीन के विदेश मंत्री थे और इस दौरान उन्होंने चीन के वुल्फ वॉरियर डिप्लोमेसी को काफी सख्ती के साथ आगे बढ़ाया और अब वही जिम्मेदारी क्विन गेंग के ऊपर भी होगी। चीन ने करीब 10 सालों के बाद अपना विदेश मंत्री बदल दिया है और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने लंबे समय से विदेश मंत्री रहे वांग यी को अब प्रमोशन देकर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी में और प्रमुख पद पर पहुंचा दिया है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने क्विन गेंग को चीन का नया विदेश मंत्री नामित किया है, जो लंबे समय से शी जिनपिंग के सहायक रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दस वर्षों से चीन के विदेश मंत्री वांग यी की जगह किन गैंग ने ले ली है।

जिनपिंग के बेहद करीबी हैं क्विन गेंग
                                                         जिनपिंग के बेहद करीबी हैं क्विन गेंग

जिन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में राजदूत के रूप में काम किया है। क्विन गेंग बने चीन के नये विदेश मंत्री इसी साल अक्टूबर महीने में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस में वांग यी को प्रमोशन दिया गया था और उन्हें पोलित ब्यूरो में चुना गया था, जो चीन की सबसे बड़ी फैसले लेने वाली टीम है। माना जा रहा है, कि वांग यी को अब विदेश मामलों में और भी नई जिम्मेदारी मिल सकती है। वांग यी फिलहाल 69 साल के हैं और वो राष्ट्रपति शी जिनपिंग के काफी करीबी माने जाते हैं। क्विन गेंग, चीनी विदेश मंत्रालय के एक उभरते हुए सितारा माने जा रहे हैं और शी जिनपिंग ने हमेशा से उनपर काफी गहरा विश्वास जताया है। क्विन गेंग इससे पहले ब्रिटेन में चीन के राजदूत भी रह चुके हैं और जिस वक्त उन्हें चीनी विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है, उस वक्त वो अमेरिका में चीन के राजदूत हैं।

अमेरिका को लेकर नया रूख
                                                               अमेरिका को लेकर नया रूख

क्विन गेंग उस वक्त अमेरिका में चीन का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जिस वक्त दोनों देशों के राजनयिक संबंध काफी खराब हो चुके हैं और ताइवान, इंडो-पैसिफिक समेत कई मुद्दों पर दोनों देश आमने-सामने हैं। क्विन गेंग के बारे में कहा जाता है, कि उन्होंने चीन की विदेश नीति को एक नया आकार देने में काफी अहम भूमिका निभाई है। खासकर, चीन-अमेरिका टेंशन को उन्होंने अमेरिका के लोगों के बीच नये नजरिए से प्रकाश में लाया, जिसमें चीन के वर्चस्व को स्थापित करने की कोशिश की गई और अमेरिकी लोगों के मन में ये बात डाला गया, की चीन उससे अब कम नहीं रहा है। वहीं, हाल ही में अमेरिका और चीन के राष्ट्रपतियों के बीच इंडोनेशिया के बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात हुई थी, जिसमें राजनयिक संबंधों में तनाव कम करने को लेकर बात की गई, लेकिन इस बात की उम्मीद काफी कम है, कि दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य होंगे।

भारत से भी संबंध सामान्य नहीं
                                                          भारत से भी संबंध सामान्य नहीं,

हालांकि, वांग यी विदेश मंत्री के पद से हट जाएंगे, इसका फैसला तो अक्टूबर में कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस की बैठक में ही तय हो गई थी, लेकिन उन्हें इतनी जल्दी हटा देने का फैसला थोड़ा चौंकाने वाला है। उनका कार्यकाल अगले साल अप्रैल तक चलने वाला है और उसके बाद नये विदेश मंत्री का चुना जाना था, लेकिन वांग यी को हटाने का फैसला अचानक आया है। चीन में ट्रेंड ये रहा है, कि उसके विदेश विभाग के अधिकारी काफी कम बदले जाते हैं और वांग यी खुद पिछले 10 सालों से ये जिम्मेदारी संभाल रहे थे और पोलित ब्यूरो में भी उनका काम विदेश विभाग को लेकर ही होगा।

चीन के विदेश मंत्री सीधे तौर पर राष्ट्रपति को रिपोर्ट करता है, लिहाजा क्विन गेंग को शी जिनपिंग ने अगला विदेश मंत्री नियुक्त किया है। 56 साल के क्विन गेंग अमेरिका में चीनी राजदूत होने के अलावा, वो चीन के सबसे काबिल अफसरों में गिने जाते हैं, जिनके पास बड़ी-बड़ी शक्तियों के साथ काम करने का विशाल अनुभव है। लिहाजा, अब वो अपने अनुभवों को अपनी नई जिम्मेदारी में शामिल कर पाएंगे और इसीलिए शी जिनपिंग को उनते ऊपर भरोसा भी है। इसक अलावा साउथ चायना सी और ताइवान विवाद को लेकर अमेरिका और चीन के बीच अकसर बवाल होते रहते हैं, लिहाजा ये दोनों मुद्दे क्विन गेंग के लिए भी बड़ी चुनौतियों में से एक होंगे। वहीं, ताइवान तो काफी ज्यादा तनावपूर्ण है ही और इसी हफ्ते चीनी और अमेरिकी विमान एक दूसरे के सामने आ गये थे, लिहाजा क्विन गेंग के लिए इन चुनौतियों को संभालना आसान नहीं होने वाला है।

वांग यी को हटाने पर उठ रहे हैं सवाल
                                                                  वांग यी को हटाने पर उठ रहे हैं सवाल

क्विन गेंग के सामने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र और भारत के साथ चीन का सीमा विवाद भी मुख्य चुनौतियों में होगा। भारत और चीन के बीच डोकलाम, पूर्वी लद्दाख से लेकर अरूणाचल प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा तक विवाद है और पिछले कुछ सालों में तो हालात काफी तनावपूर्ण हो चुके हैं। कई बार दोनों सेनाओं के बीच झड़पें भी हो चुकी हैं, लिहाजा अब क्विन गेंग के हाथों में इस तनाव को संभावने की जिम्मेदारी होगी। इसके अलावा क्विन गेंग साल 2014 से 2018 तक राष्ट्रपति शी जिनपिंग के प्रोटोकॉल अफसर भी रह चुके हैं, लिहाजा शी जिनपिंग के साथ काम करना और मधुर संबंध बनाए रखना उनके पक्ष में गया है और वो चीन के विदेश मंत्री बन गये हैं।

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