कविता : मेरी छत पर ये तिरंगा रहने दो

कर्नल आदि शंकर मिश्र
कर्नल आदि शंकर मिश्र

मेरा दीपक हवा के खिलाफ
कैसे और क्यों कर जलता है,
क्योंकि मैं तो अमन पसंद हूँ,
मेरे शहर में शोर मत मचाओ,
जाति धर्म के रंग में मत बाँटो
मेरी छत पर ये तिरंगा रहने दो।

रावण दहन के पहले रावण का
निर्माण हम सब स्वयं करते हैं,
आश्चर्यजनक है कि अपने अंदर
छिपे रावण को नहीं देख पाते हैं।

कविता :  ख़ुशियों से नीरसता पर विजय दिलाना होगा

हमारा गर्व, हमारा लोभ और मोह
हमारी ईर्ष्या, जलन और बैरभाव,
हम में से कोई भी नहीं देख पाते हैं,
रावण का पुतला बनाकर जलाते हैं।

लंकेस को अतिशय बल गर्व था,
देव, दानव, गंधर्व बस में किये था,
ऋषियों, मुनियों, पशु-पक्षियों की
नर, नाग सबकी राह रोके खड़ा था।

त्रिलोक द्रोही था दशानन गर्व में,
आकंठ था डूबा हुआ वह पाप में,
श्रीराम श्री हरि विष्णु के अवतार थे,
समर विजयी मर्यादा पुरुषोत्तम थे।

अपने अंदर बने रावण के पुतले को
आओ हम श्रीराम बनकर के जलायें,
आदित्य मर्यादा पुरुष बनकर अब
हम सभी अपनी मर्यादा भी निभायें।

 

Litreture

नार्वे के भारतीय लेखक के दो लघु कथाओं की समीक्षा

समीक्षक: डॉ ऋषि कुमार मणि त्रिपाठी प्रेम प्रस्ताव(लघुकथा) कथाकार-सुरेश चंद्र शुक्ल’ शरद आलोक’ समीक्षक- डॉ ऋषि कमार मणि त्रिपाठी लेखक ने ओस्लो के एक चर्च मे मारिया के पति के अंतिम संस्कार के एक दृश्य का वर्णन किया है। किस प्रकार लोग शामिल हुए,फूलों के गुलदस्तों मे संदेश और श्रद्धांजलि देने वालो के नाम लिखे […]

Read More
Litreture

चार लघु कथाओं की समीक्षा

समीक्षक: डॉ ऋषिकुमार मणि त्रिपाठी लेखक सुरेश शुक्ल ‘शरद आलोक’ लघु कथा एक झलक लेखक सुरेश शुक्ल ‘शरद आलोक’ साग्न स्टूडेंट टाउन से मशहूर क्लब सेवेन शहर ओस्लो के मध्य रात ग्यारह बजे आगए। डिस्कोथेक के जीवंन्त संगीत आर्केस्ट्रा सभी नि:शुल्क प्रवेश  मदिरा पीकर अनजान लड़कियो के बांहो मे बाहें डाले रात भर नाचते। मै […]

Read More
Litreture

जल की एक बूंद

जल की एक बूंद करती है सृजन रचती है विश्व को । जल की एक बूंद बनती वंश लोचन सीप मे मोती गजमुक्ता चमकाती आनन । जल की एक बूंद करती है प्राणदान बनती चरणामृत विष्णु पदनख की सुरसरिता पालती विश्व को। जल की एक बूंद ऋषियों का अस्त्र थी नयनो की भाषा बच्चों की […]

Read More