मनरेगा को अधिक प्रभावी तरीके से लागू किया जाए: मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को अधिकारियों से महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को और अधिक प्रभावी तरीके से लागू करने का आह्वान किया। उन्होंने अधिकारियों से जनभागीदारी भावना के महत्व को भी रेखांकित किया और कहा कि यह दृष्टिकोण कुपोषण से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। मोदी ने यहां सुषमा स्वराज भवन में आयोजित सहायक सचिव कार्यक्रम, 2022 के समापन सत्र में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 2020 बैच के अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे।सहायक सचिवों द्वारा प्रधानमंत्री को पोषण अभियान और मत्स्यपालन सहित आठ योजनाओं पर प्रस्तुतियां दी गई। प्रधानमंत्री ने आजदी के अमृत काल में विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति सुनिश्चित करने में अधिकारियों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि अधिकारियों को लीक से हटकर सोचना और अपने प्रयासों में समग्र दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। प्रधानमंत्री कार्यालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार मोदी ने अधिकारियों से कहा कि उनकी सरकार ‘संपूर्ण सरकार’ के दृष्टिकोण के साथ एक टीम के रूप में कैसे काम कर रही है।

उन्होंने अधिकारियों से एक जिला एक उत्पाद और आकांक्षी जिला कार्यक्रम पर ध्यान देने को कहा।प्रधानमंत्री ने जन धन योजना की सफलता का उल्लेख करते हुए अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने की दिशा में काम करने का आह्वान किया कि गांवों के लोग डिजिटल अर्थव्यवस्था और भुगतान के यूपीआई माध्यम से जुड़ें हों। मोदी ने कहा कि अधिकारियों को अमृत काल के दौरान देश की सेवा करने और पंच प्राण को साकार करने में मदद करने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि अमृत काल में विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति सुनिश्चित करने में अधिकारियों की अहम भूमिका होती है। उन्होंने उनसे लीक से हटकर सोच और अपने प्रयासों में समग्र दृष्टिकोण अपनाने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने इस तरह के समग्र दृष्टिकोण के महत्व को प्रदर्शित करने के लिए प्रधानमंत्री गतिशक्ति मास्टर प्लान का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने नवाचार के महत्व पर चर्चा की और यह कैसे सामूहिक प्रयास और देश में कार्य संस्कृति का हिस्सा बन गया है। उन्होंने कहा कि यह कई मंत्रालयों के एक साथ आने और ‘संपूर्ण सरकार’ दृष्टिकोण के माध्यम से एक टीम के रूप में काम करने के कारण संभव हुआ है।

प्रधानमंत्री ने इस बात का भी उल्लेख किया कि शासन का ध्यान किस तरह दिल्ली से बाहर, देश के सभी क्षेत्रों में स्थानांतरित हो गया है तथा महत्वपूर्ण योजनाएं अब दिल्ली के बाहर के स्थानों से शुरू की जा रही हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि अधिकारी कार्य क्षेत्र की स्थानीय संस्कृति की समझ विकसित करें और जमीनी स्तर पर स्थानीय लोगों के साथ अपने संबंध को मजबूत करें। उन्होंने उन्हें एक जिला एक उत्पाद पर ध्यान केंद्रित करने और अपने जिले के उत्पादों के निर्यात के अवसरों का पता लगाने के लिए कहा। उन्होंने अधिकारियों से आकांक्षी जिला कार्यक्रम के लिए अपनी कार्य योजना तैयार करने को भी कहा। प्रधानमंत्री ने पहले जन-धन योजना की सफलता पर प्रकाश डालते हुए डिजिटल अर्थव्यवस्था के महत्व के बारे में बात की और अधिकारियों को गांवों में लोगों को डिजिटल अर्थव्यवस्था और यूपीआई से जोड़ने का प्रयास करने का आह्वान किया।

कार्यक्रम के दौरान सहायक सचिवों द्वारा प्रधानमंत्री को आठ प्रस्तुतियां दी गईं। इन प्रस्तुतियों के विषयों में पोषण ट्रैकर, पोषण अभियान की बेहतर निगरानी के लिए उपकरण, भाषिनी के माध्यम से बहुभाषी आवाज आधारित डिजिटल पहुंच को सक्षम करना, कॉर्पोरेट डेटा प्रबंधन, मातृभूमि जियोपोर्टल-शासन के लिए भारत का एकीकृत राष्ट्रीय जियोपोर्टल, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की पर्यटन क्षमता, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) के माध्यम से डाकघरों का चेहरा बदलना, रीफ जैसी कृत्रिम संरचनाओं के माध्यम से तटीय मत्स्य पालन का विकास और संपीडित बायोगैस-भविष्य के लिए ईंधन शामिल हैं। इस वर्ष 2020 बैच के कुल 175 भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारियों को भारत सरकार के 63 मंत्रालयों/विभागों में 11 जुलाई से सात अक्टूबर 2022 तक सहायक सचिव के रूप में तैनात किया गया है। (वार्ता)

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