पांच वर्षों में पर्यटन के नक्शे पर उभरा गोरक्षनगरी, 50 से अधिक योजनाओं पर हुआ काम

रतन गुप्ता

गोरखपुर। पांच वर्षों में पर्यटन के नक्शे पर गोरक्षनगरी तेजी से उभरी है। पहले जहां पर्यटन के नाम पर गोरखनाथ मंदिर, गीता प्रेस, तरकुलहा आदि स्थल ही थे, वहीं अब दर्जनों पर्यटन स्थल हैं। पिछले पांच वर्षों में पर्यटन विकास को पंख लग गए हैं। पर्यटन विभाग ने 50 से अधिक योजनाओं पर काम कर पर्यटकों को आकर्षित करने का काम किया है। पर्यटन की आगे की योजनाओं में हैंगिंग रेस्टोरेंट, रामगढ़ताल में रोपवे संचालन, रामगढ़ताल में देश के सबसे उंचे फाउंटेन, चिलुआताल का कायाकल्प सहित कई योजनाओं पर काम चल रहा है। प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मुख्यमंत्री पर्यटन संवर्धन योजना ने इसे गांवों तक पहुंचा दिया है। इसके तहत प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र में 50 लाख रुपये की लागत से एक धार्मिक स्थल को पर्यटन के रूप में विकसित किया जा रहा है।

तीन सौ करोड़ से अधिक की योजनाओं पर हुआ काम

पर्यटन नीति-2018 ने जहां गोरखपुर में कई बड़े निवेशकों को आकर्षित किया तो पर्यटन स्थलों के विकास के लिए भी सरकार ने खजाना खोल दिया। गोरखपुर में पर्यटन विकास के लिए करीब तीन सौ करोड़ रुपये के कार्यों को मंजूरी दी गई है।

इन धरोहरों की बदली सूरत

पर्यटन विभाग द्वारा पिछले पांच वर्षों में करीब 54 स्थानों का सुंदरीकरण हो रहा है। इसमें से कुछ का काम पूरे भी हो चुके हैं। गोरखनाथ मंदिर में साउंड एंड लाइट शो, राम प्रसाद बिस्मिल स्मारक, चौरीचौरा शहीद स्मारक, डोहरिया कला स्मारक, भरोहिया शिव स्थल, सूर्यकुंड धाम, मुंजेश्वरनाथ मंदिर, मोहद्दीपुर व जटाशंकर गुरुद्वारा, मुक्तेश्वरनाथ मंदिर, वाटर स्पोर्ट्स कांपलेक्स, मानसरोवर मंदिर, मानसरोवर रामलीला मैदान, कबीर धूनी, गोरख तलैया, रामलीला मैदान बर्डघाट, रामगढ़ताल लाइट एंड साउंड शो सहित 45 जगहों पर कार्य पूरे हो गए हैं। क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी रविंद्र कुमार मिश्रा ने कहा कि पर्यटन विकास के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है। पर्यटन के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार दिलाने की तरफ सरकार का रुझान है। शहर से लेकर गांव तक के प्राचीन मंदिरों का कायाकल्प कराया गया है। ज्यादातर योजनाएं पूरी हो चुकी हैं। वहीं कुछ के काम आखिरी चरण में हैं।

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