- निजीकरण का टेण्डर होने पर अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार और सामूहिक जेल भरो आंदोलन
- निजीकरण के RFP पर कोई निर्णय लेने के पहले विद्युत नियामक आयोग से संघर्ष समिति ने किया वार्ता की अपील
लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन से मांग की है कि पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन द्वारा तैयार किये गए निजीकरण के RFP डाक्यूमेंट को विद्युत नियामक आयोग कोई मंजूरी न दे और इस मामले में संघर्ष समिति को अपना पक्ष रखने हेतु विद्युत नियामक आयोग वार्ता हेतु समय दें। संघर्ष समिति ने निजीकरण की गतिविधियां तेज होते देख बिजली कर्मचारियों को सचेत करते हुए एलर्ट जारी किया है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का टेण्डर होने के बाद अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार और सामूहिक जेल भरो आंदोलन की पूरी तैयारी रखी जाय।
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विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उ.प्र. के केंद्रीय पदाधिकारियों ने बताया कि निजीकरण होने के बाद बिजली कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा अतः निजीकरण के RFP डाक्यूमेंट पर कोई भी अभिमत देने के पहले विद्युत नियामक आयोग को संघर्ष समिति से वार्ता करनी चाहिए। संघर्ष समिति ने इस बावत नियामक आयोग के चेयरमैन को पत्र भेजकर वार्ता का समय मांगा है। संघर्ष समिति का कहना है कि निजीकरण के बाद लगभग 50 हजार संविदा कर्मियों की छटनी हो जायेगी और लगभग 16 हजार 500 नियमित कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ जायेगी। कॉमन केडर के अभियंताओं और जूनियर इंजीनियरों पर नौकरी जाने और पदावनति का खतरा उत्पन्न होगा। ऐसी स्थिति में निजीकरण से सबसे अधिक दुष्प्रभाव बिजली कर्मियों पर पड़ने जा रहा है।
अतः बिना बिजली कर्मियों का पक्ष सुने नियामक आयोग को कोई निर्णय नहीं करना चाहिए अपितु सीधे सीघे पॉवर कार्पोरेशन द्वारा भेजे गये आर.एफ.पी. डाक्यूमेंट को निरस्त कर देना चाहिए। संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियो ने पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन द्वारा जोर जबरदस्ती से निजीकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ाये जाने के घटनाक्रमों पर गंभीर चिंता व्यक्त की। संघर्ष समिति ने प्रदेश के सभी बिजली कर्मियों, संविदा कर्मियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं को एलर्ट जारी करते हुए आह्वान किया है कि यदि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का टेण्डर किया जाता है तो बिजली कर्मी अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार और सामूहिक जेल भरो आंदोलन के लिये तैयार रहें।
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संघर्ष समिति ने कहा कि आ.एफ.पी. डाक्यूमेंट कुछ निजी घरानों की मदद करने के लिए बनाया गया है । अब यह स्पष्ट हो गया है कि ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन की पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रक्रिया में खुलेआम दखलंदाजी है। निजीकरण में ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन सरकार और निजी घरानों के बीच बिचौलिया की भूमिका का निर्वाह कर रही है। संघर्ष समिति के आह्वान पर आज लगातार 303 वें दिन भी बिजली कर्मियों ने सभी जनपदों और परियोजनाओं पर व्यापक विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
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