न्यायालय के आगे नतमस्तक हुआ कमेटी अफसरों का महिला प्रेम!

  • चाह कर भी अपने चहेतों को नहीं बचा पाए अफसर
  • छह महिला डिप्टी जेलर डिमोट होकर बनी हेड वार्डर
  • अब तक 70 अधिकारी और कर्मी हुए पदावनत

लखनऊ। कारागार विभाग में अधिकारियों और कर्मियों के डिमोशन का सिलसिला बदस्तूर जारी है। सोमवार को कारागार मुख्यालय की ओर से छह महिला डिप्टी जेलरों को डिमोशन कर महिला हेड वार्डर बना दिया गया। इससे पूर्व में 64 महिला हेड वार्डर को पदावनत कर वार्डर बनाया जा चुका है। न्यायालय के आदेश पर अब तक विभाग में 70 प्रोन्नत पाई महिला अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों को डिमोट किया जा चुका है। दिलचस्प बात यह है कि मामले की जांच के लिए मुख्यालय की ओर से गठित की गई कमेटी के अध्यक्ष एवं सदस्य मामला न्यायालय से जुड़ा होने के कारण अपनी चहीती महिला कर्मियों और अधिकारियों को बचा नहीं सके। जांच कमेटी की कमान विभाग में महिला प्रेम को लेकर सुर्खियों में रहने वाले एक अधिकारी को सौंपी गई थी। यह मामला विभागीय अधिकारियों और कर्मियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें भी लगाई जा रही हैं। नियम विरुद्ध तरीके से प्रोन्नति देने के मामले में प्रदेश कारागार मुख्यालय ने गाजियाबाद जेल पर तैनात डिप्टी जेलर कुंती, बांदा की मयूरपाल, रायबरेली की रेखा, खीरी की रीता राजभर, सहारनपुर की नीतू निम और आजमगढ़ की अनीता देवी को डिमोट करके महिला हेड वार्डर बना दिया है। इससे पूर्व में 64 महिला हेड वार्डर पद पर प्रोन्नत हुई महिलाओं को वार्डर पद पर वापस किया जा चुका है।

उल्लेखनीय है कि बीते दिनों हाईकोर्ट  ने विभागीय अधिकारियों से प्रोन्नत वार्डर व हेड वार्डर निरस्त करने का आदेश देते हुए प्रोन्नति करने वाले अफसरों की जांच कर आख्या प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। न्यायालय के आदेश अनुपालन को लेकर कारागार मुख्यालय ने मामले की जांच के तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है। इस कमेटी की कमान कई गंभीर आरोपों और महिला प्रेम को लेकर विभाग में सुर्खियों में रहने वाले डीआईजी को सौंपी गई थी। सूत्रों का कहना है कि कमेटी के सदस्यों ने कई महिला अधिकारियों और कर्मियों को बचाने का प्रयास जरूर किया, लेकिन मामला उच्च न्यायालय से जुड़ा होने की वजह से उन्हें न्यायालय के आदेश के आगे नतमस्तक होना पड़ा। उधर कारागार मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारी इस मसले पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आए। कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान ने भी मामले में चुप्पी साध रखी है।

प्रोन्नत प्रदान करने वालों पर नहीं हुई कोई कार्यवाही

वर्ष 2024 में कारागार विभाग में वार्डर से हेड वार्डर और हेड वार्डर से डिप्टी जेलर पद पर प्रोन्नत प्रक्रिया पूरी की गई। इस प्रक्रिया में दर्जनों की संख्या में वार्डर को हेड वार्डर पद पर और हेड वार्डर महिलाओं को डिप्टी जेलर पद पर प्रोन्नत कर दिया गया। विभाग के अधिकारियों ने 10 प्रतिशत पदों को चिन्हित न कर आरक्षित मानते हुए प्रोन्नतियां प्रदान कर दी गईं। नियम विरुद्ध तरीके से हुई इस प्रोन्नति को लेकर धर्मेंद्र कुमार सिंह न्यायालय की शरण में चले गए। न्यायालय ने प्रोन्नत प्रक्रिया को निरस्त करते हुए निर्देश दिया कि प्रोन्नति प्रदान करने संबंधी उत्तरदायी अधिकारियों/कर्मचारियों का उत्तरदायित्व तय कर उनके खिलाफ कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।

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